
- धांधली की शिकायतों के चलते सरकारी अस्पतालों से छीने लोकल खरीदी के अधिकार
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य के जिला और सिविल अस्पताल अब जरूरत की बड़ी खरीदी केवल मध्यप्रदेश हेल्थ कारपोरेशन के मार्फत ही कर सकेंगे। अस्पताल का मैनेजमेंट या सीएमएचओ बेहद जरूरी दवाओं या पट्टी आदि की ही अपने स्तर पर खरीदी कर पाएंगे। बाकी सामान के लिए उन्हें प्रस्ताव बनाकर कॉपोर्रेशन को देना होगा। इसके लिए सरकार ने अस्पतालों में रेट कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था को खत्म कर दिया है।
बताया जा रहा है कि लोकल खरीदी में गड़बड़ी की शिकायतों के चलते यह तबदीली की गयी है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता और पारदर्शिता के लिए रेट अनुबंध को समाप्त किया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों में अब बेहतर ढंग से उपकरण और सामान की सप्लाई हो सकेगी। अब तक चल रही व्यवस्था में अस्पताल का प्रबन्धन या सीएमएचओ अपने लिए जरूरत के उपकरण, दवाएं और अन्य सामान खरीदते आए हैं। इस हेतु अस्पतालों को सरकार की तरफ से तीन-तीन महीने का अलग से बजट भी दिया जाता रहा है। राज्य के 52 जिला तथा बड़ी संख्या में मौजूद सिविल अस्पतालों में इस तरह से हर साल करीब 350 से 400 करोड़ तक के सामान की अपने स्तर पर खरीदी करते आये हैं, लेकिन अब से यह व्यवस्था नहीं चल सकेगी। अस्पताल लोकल पर्चेसिंग के तहत केवल पट्टी, इमरजेंसी वाली दवाओं आदि की ही खरीदी कर सकेंगे। दरअसल यह सारी खरीदी अब तक बगैर किसी टेंडर के हो रही थी।
इसलिए यह शिकायत आ रही थी कि कई सिविल सर्जन और सीएमएचओ और ब्लॉक मेडिकल अफसर इस खरीदी में चहेती फार्मों से मोटा कमीशन लेकर गड़बड़ी कर रहे हैं। बता दें कि तीन महीने वाले इस बजट से अस्पताल पलंग, पैथोलॉजी मशीन और कई मेडिकल उपकरण भी खरीदते आए हैं। इनमें काफी गड़बड़ी होने की बात सामने आ रही थी। विभाग ने रेट अनुबंध को समाप्त करने के साथ ही एक नई व्यवस्था और शुरू की है। अब सभी सरकारी अस्पतालों के सभी उपकरणों का एनुएल मेंटेनेंस एक प्राइवेट कंपनी को दे दिया गया है। एक्यूपमेंट मैनेजमेंट एंड मेंटेनेंस सर्विस नाम की इस योजना में संबंधित कंपनी को यह जिम्मा सौंपा गया है कि वह अस्पताल की किसी खराब मशीन को 48 घंटे में दुरुस्त करेगी। इस कंपनी को लक्ष्य दिया गया है कि वह उपकरणों को 48 घंटों में फिर से सर्विस में लाएगी। इसका पोर्टल भी बनाया गया है।