
- कई दिग्गज नेताओं के परिजनों को हराया
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पहले चरण के तहत हुए पंचायत चुनाव के अब तक जो रुझान सामने आए हैं, उनमें जनता ने नेताओं के परिवारवाद को पूरी तरह से नकार दिया है। खास बात यह है कि इन चुनावों में आम से लेकर बड़े नेताओं की ऐसी बाट लगाई की उनके परिजनों को हार का मुंह देखना पड़ गया है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से लेकर कई भाजपाई विधायक तक शामिल हैं। दरअसल भाजपा नेताओं ने अपने ही परिजनों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें पंचायत चुनावों में उतार दिया था। उन्हें लगता था कि उनके रसूख की वजह से उनके परिवार वाले भी जीत दर्ज कर लेंगे, जिससे उनका परिवारवाद खुलकर चलता रहेगा, लेकिन अब मतदाताओं ने नकार दिया है। परिवारवाद के चलते भाजपा को पहले चरण के पंचायत चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह से पार्टी को कई अपने ही गढ़ों में हारने की बदनामी तो सहनी ही पड़ रही है साथ ही ग्राम सरकार से भी हाथ धोना पड़ रहा है। छिंदवाड़ा को छोड़ दिया जाए तो बालाघाट, सिवनी, रतलाम, मंदसौर सहित कई भाजपा के प्रभाव वाले जिलों में इस बार कांग्रेस को सफलता मिली है। यह बात अलग है कि अधिकृत चुनाव परिणामों की घोषणा 14-15 जुलाई को होगी।
मिली जानकारी के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए हैं। उन्हें उनके ही चचेरे भाई पद्मेश गौतम ने हराया है। इसी तरह से रीवा जिले के ही मनगवां से भाजपा विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी पन्नाबाई प्रजापति भी जिला पंचायत चुनाव हार गईं। खास बात यह है की वे पूर्व में विधायक भी रह चुकी हैं। भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष संतोष सिंह सिसोदिया जनपद पंचायत के चुनाव में बड़े अंतर से हारीं। उधर, कांग्रेस नेता व राज्य सभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट किया कि गौतम कभी भाजपा विचारधारा के थे ही नहीं। केवल पार्टी के मेंबर हैं। चुनाव प्रचार के दौरान गिरीश गौतम का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे सरकार के कामों को गिनाकर वोट मांग रहे थे। यही नहीं नरसिंहपुर के जिला प्रभारी मंत्री विजय शाह की नजदीकी रिश्तेदार मीना शाह और ननद रानू शाह के हाईप्रोफाइल मुकाबले में दोनों की बड़ी हार हुई है। उन्हें गोटेगांव के आदिवासी बाहुल्य गांव नेगुंवा निवासी रूपसिंह उइके की बहू लक्ष्मी ठाकुर ने करीब तीन हजार मतों से हराया है। इसी तरह से सतना जिपं सदस्य का चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री स्व. जुगुल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी और बहू वंदना बागरी को जनता भी जनता ने अस्वीकार कर दिया है। उधर, बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह शेरा की बहू और बेटी दोनों चुनाव हार गए। बेटी जयश्री ठाकुर दो हजार वोट से जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पराजित हुई। बहू अभिलाषा जनपद सदस्य का चुनाव दो हजार वोट से हारी हैं। सुरेंद्र सिंह ने अपनी बेटी और बहू के लिए गांव गांव में पैदल जनसंपर्क कर उनकी जीत के लिए बहुत मेहनत की थी। इसी तरह से बड़वानी के सेंधवा विधानसभा क्षेत्र में बड़े उलटफेर हुए। गुना के भाजपा विधायक गोपीलाल जाटव का पोता विवेक चुनाव हार गया है। वो वार्ड दो से जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में था। भगवानपुरा में भाजपा के पूर्व विधायक जमनासिंह सोलंकी के बेटे नेपाल सरपंच का चुनाव हार गए। सुगांव में पूर्व भाजपा विधायक विजयसिंह सोलंकी के छोटे भाई भूपेंद्रसिंह को शांतिलाल चौहान ने हरा दिया।
सताने लगा निकाय चुनाव में भय
गा्रमीण इलाकों में पहले चरण के पंचायत चुनाव के जिस तरह से रुझान आ रहे हैं, उसकी वजह से भाजपा की चिंताए बढ़ गई हैं। इसकी वजह है शहरी इलाकों में भाजपा विधायकों व संगठन के पदाधिकारियों द्वारा मिलकर नेताओं व उनके परिजनों को प्रत्याशी बनाना । इनको लेकर कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं तक में नाराजगी है। कई जगह तो विधायकों ने अपने चेहेतों को उपकृत करने के लिए लगातार दूसरी बार भी बाहरी प्रत्याशियों को टिकट दिलवाए हैं। इसकी वजह से न केवल कई जगहों पर बागी खड़े हो गए हैं , बल्कि कई जगह तो जमकर भितरघात किया जा रहा है। इससे परेशान होकर अब प्रदेश संगठन को उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश तक देने पड़ गए हैं। नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों के वार्डों में भाजपा के असंतुष्ट बड़ी संख्या में मैदान में हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगले एक-दो दिन में निष्कासन की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
इन कांग्रेसी नेताओं के परिजन भी हारे
कांग्रेस विधायक ग्यारसीलाल रावत की पत्नी लता देवी रावत चुनाव हार गई। वे जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। विधायक का बेटा राकेश रावत भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गया। महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष सुभद्रा परमार भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गई।
एक ही घर से जुड़े चार लोग जीते
उधर रीवा जिले की नईगढ़ी जनपद पंचायत के चार वार्ड में एक साथ एक ही परिवार से जुड़े चार सदस्य निर्वाचित हुए हैं। इनमें पूर्व जनपद उपाध्यक्ष रह चुके नृपेन्द्र सिंह उर्फ पिन्टू ने एक बार फिर से तीज दर्ज की है। उनके साथ ही उनकी पत्नी डॉ रिचा सिंह ने भी वार्ड चार से जबकि उनके वाहन चालक देवराज सिंह ने वार्ड एक से और उनके ही एक करीबी जिसे उनका पारिवारिक सदस्य माना जात है उसने भी एक अन्य वार्ड से जीत दर्ज की है। इसकी वजह से इस परिवार का एक बार फिर से जनपद पर कब्जा होना तय माना जा रहा है।