भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इन दिनों अंगूर की बिटिया (शराब) से सरकार को रोज तीस करोड़ रुपए का चूना लगाए जाने की चर्चा है। वहीं सरकार का इस ओर ध्यान है ही नहीं। एक तरफ राज्य सरकार फंड न होने का रोना रोती है दूसरी ओर नुकसान पर आंखें फेर लेती है। बड़ी अजीब स्थिति है। प्रदेश कोरोना के कहर ने हाहाकार मचा रखा है। जहां संक्रमण की चपेट में आने से लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है वहीं कोरोना कर्फ्यू की वजह से सरकार के खजाने को भी घाटा हो रहा है। कर्फ्यू के कारण शराब की दुकानें बंद हैं। ऐसे में आबकारी विभाग को रोजाना तीस करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो रहा है। यही नहीं सूत्रों की खबर है कि नुकसान का यह आंकड़ा पिछले महीने अप्रैल में लगाए गए कर्फ्यू के समय से अब तक करीब एक हजार से भी अधिक हो सकता है। वहीं सरकार को इस साल के नवीनीकरण और टेंडर से ठेके पर दी जा रही दुकानों से राजस्व मिलने की उम्मीद कम ही है। दरअसल पिछले महीने की 13 अप्रैल से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कोरोना कर्फ्यू लगा है। इंदौर और भोपाल सहित कई जिलों में शराब दुकानें बंद है। हालांकि कुछ जिलों में शराब दुकानें खुली है। इनमें जबलपुर, कटनी, भिंड, खंडवा, निवाड़ी, शिवपुरी, ग्वालियर, गुना, झाबुआ और धार जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। कोरोना कर्फ्यू में शराब दुकानें बंद होने पर आबकारी विभाग के आयुक्त राजीव चंद्र दुबे का कहना है कि कोरोना से विभाग को हर दिन करीब तीस करोड़ का राजस्व नुकसान हो रहा है। यह राशि एक हजार करोड़ से ऊपर हो चुकी है। फिलहाल इस साल की शराब दुकानों का नवीनीकरण और टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। उसके बाद ठेकेदारों से बकाया लेने की कार्रवाई होगी।
ठेकेदारों ने 25 फीसदी वार्षिक वृद्धि पर नहीं ली थी दुकानें
प्रदेश में पिछले साल मार्च में कोरोना महामारी की पहली लहर आई थी। तब प्रदेश भर की शराब दुकानें बंद कर दी गई थी। इससे ठेकेदारों ने 25 फीसदी की वार्षिक वृद्धि पर दुकानें लेने से इनकार कर दिया था। बाद में यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। कोर्ट ने कहा कि यदि ठेकेदार दुकानें संचालित करने को तैयार नहीं है तो ऐसी स्थिति में सरकार के पास नए टेंडर जारी करने का विकल्प खुला रहेगा। इसके बाद जिन जिलों में ठेकेदारों ने ठेके छोड़ दिए उन जिलों में दोबारा टेंडर हुए। इस ठेके में जो कम राशि प्राप्त हुई उसे उस जिले के ठेकेदार पर बकाया निकाली गई। इस तरह यह बकाया राशि लगभग 800 करोड़ रुपए होती है जो आबकारी विभाग को ठेकेदारों से वसूलना है।
नवीनीकरण की स्थिति पर एक नजर
प्रदेश में कुल 413 शराब समूह है। जिलों में 10 माह का आरक्षित मूल्य 8637 करोड़ रखा गया है। नवीनीकरण के लिए विभाग को अब तक 313 समूह आवेदन कर चुके हैं। इसके तहत नवीनीकरण के लिए 7134 करोड़ की राशि के आवेदन मिले हैं। 80 समूह अभी शेष हैं। वहीं वर्ष 19-20 या 20-21 के 222 छोटे समूह शेष हैं।
ठेकेदारों से नहीं वसूले जा सके 800 करोड़
वहीं दूसरी ओर कोरोना की पहली लहर में पच्चीस फीसदी वार्षिक बढ़ोत्तरी पर शराब दुकानें नहीं लेने वाले ठेकेदारों से अंतर की राशि वसूल की जानी थी, जो विभाग नहीं वसूल पा रहा है। यह राशि आठ सौ करोड़ के आसपास है। भोपाल जिले में ही लगभग दो सौ करोड़ की राशि बकाया निकाली गई थी। हालांकि इसे बाद में लगभग 50 करोड़ कर दिया गया। बकाया राशि जमा करने भोपाल के दो समूहों की रिकवरी लिस्ट जारी हुई है। इसमें ग्वालियर, सागर, इंदौर, उज्जैन, शिवपुरी और देवास सहित अन्य जिलों की लिस्ट जारी नहीं हुई है। वहीं ठेकेदार अंतर की पूरी राशि माफ करने की मांग कर रहे हैं। उधर जबलपुर हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद मध्यप्रदेश सरकार से शराब ठेकेदारों की नुकसानदायक परिस्थिति पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि मामले का निराकरण करें। लेकिन यह मामला पिछले एक साल से अटका हुआ है।
कई जिलों में ठेकेदार नहीं ले रहे नवीनीकरण में रुचि
प्रदेश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए शराब ठेकेदार नवीनीकरण में रुचि नहीं ले रहे हैं। आबकारी विभाग ने वर्ष 21-22 के लिए जून से दस प्रतिशत मूल्य बढ़ाकर दुकानों का नवीनीकरण कराने का विकल्प दिया। विभाग ने जो तैयारी की है उसके अनुसार 25 मई तक धार, अनूपपुर, खरगोन पन्ना, मंडला, छतरपुर, होशंगाबाद, शहडोल, सिवनी, अलीराजपुर, झाबुआ, उमरिया, सीधी, देवास बड़वानी, बैतूल, बुरहानपुर, मंदसौर, दतिया, टीकमगढ़ रतलाम सिंगरौली और निवाड़ी जिले के नवीनीकरण के लिए निविदाएं बुलाई है। वहीं भोपाल संभाग की बात की जाए तो यहां बैतूल जिले को छोड़कर सीहोर, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, भोपाल और हरदा जिले की सभी शराब दुकानों का नवीनीकरण हो गया है।
24/05/2021
0
405
Less than a minute
You can share this post!