नहीं हटेगा प्रतिबंध, फिर भी होगी तबादलों की बारिश

तबादलों
  • मंत्रियों की मांग का दिखेगा जल्द ही असर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही तबादलों पर प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन इसके बाद भी तबादलों की बारिस होना तय है। इसकी वजह है अब सरकार तबादलों से प्रतिबंध तो नहीं हटाएगी, लेकिन सीएम समन्वय के माध्यम से तबादले किए जाएंगे। खास बात यह है कि इसमें पहले उन सूचियों को महत्व दिया जाएगा , जो विभाग प्रमुखों के पास मंत्री के अनुमोदन के बाद से पड़ी हुई हैं। अगर यह सूचिंया अधिक हुईं तो जरूर सरकार प्रतिबंध हटाने के बारे में सोच सकती है।  फिलहाल नए सिरे से तबादलों का काम अगले हफ्ते से होने की संभावना बनी हुई है।
दरअसल प्रतिबंध हटने के बाद कई विभाग तबादलों की सूचियां ही जारी नहीं कर सके, जिसकी वजह से मंत्रियों द्वारा लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से तबादलों से प्रतिबंध हटाने की मांग की जा रही थी। गौरतलब हे कि  राज्य सरकार ने 17 सितंबर से 5 अक्टूबर तक तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया था। सभी विभागों को निर्देश दिए गए थे कि 5 अक्टूबर तक जिला और राज्य स्तरीय संवर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले जरूरत के अनुसार कर लिए जाएं। इस बीच मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान शुरू हो गया और मंत्रियों के समूह बनाकर उन्हें जिले आवंटित कर दिए गए। साथ ही इस दरमियान 46 नगरीय निकायों के चुनाव भी आ गए थे। इसकी वजह से अधिकांश मंत्री भोपाल से बाहर रहे, फलस्वरूप अधिकांश विभागों में तबादले ही नहीं हो सके। दरअसल जिला स्तरीय तबादलों के लिए प्रभारी मंत्री का और राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही तबादले का प्रावधान होने की वजह से पदस्थापना सूची जारी नहीं हो सकीं। दरअसल मंत्रियों के जिलों के दौरों पर होने की वजह से तबादला सूचियां अनुमोदन के अभाव में जारी नहीं हो सकीं। इसकी वजह से ही मंत्रियों द्वारा तबादला अवधि बढ़ाने की मांग की जा रही थी , जिसकी वजह से सामान्य प्रशासन विभाग ने भी अपने स्तर पर इसकी तैयारी भी कर ली थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने अवधि में वृद्धि को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए, जिसकी वजह से तबादला से प्रतिबंध हटाने के आदेश ही जारी नहीं हुए। अब माना जा रहा है कि दीपावली का त्यौहार समाप्त होने के बाद तबादलों का दूसरा दौर शुरू हो सकता है। इसको लेकर अभी मंथन चल रहा है। इसके तहत या तो सीएम समन्वय से तबादले किए जाएं या फिर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध हटाया जाए इसको लेकर मंथन का दौर जारी है। दरअसल सीएम समन्वय से एक साथ बड़े पैमाने पर पदस्थापनाएं नहीं किए जाने की पंरपरा है, जिसके चलते प्रतिबंध हटाने की संभावनाएं अधिक बनी हुई हैं।  
इन विभागों की अटकी सूची
पीडब्ल्यूडी में अगस्त में सेवानिवृत्त हुए चीफ इंजीनियरों के पदों पर पोस्टिंग ही नहीं हुई, वहीं पीएचई में एक भी इंजीनियर का ट्रांसफर नहीं हुआ। कृषि कल्याण, विभाग में भी तबादले होना हैं।  खनिज, जनजाति कार्य विभाग, जीएडी में डिप्टी कलेक्टर, राजस्व विभाग में तहसीलदार और नायब तहसीलदार, जल संसाधन में कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, आयुष, चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय, वाणिज्यिक कर और पुलिस महकमे आदि विभागों में भी ट्रांसफर होने हैं।
70 फीसदी शिक्षकों की पसंद की जगह हुई पदस्थापना
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अब तक 24,479 शिक्षकों के तबादला आदेश जारी किए जा चुके हैं। विभाग के पोर्टल पर 43,118 ऑनलाइन आवेदन मिले थे। इनमें  9,681 प्राथमिक शिक्षक, 8,096 माध्यमिक शिक्षक, 3,835 उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं अन्य 1,923 शिक्षकों के ट्रांसफर किए गए हैं।  इन शिक्षकों की भार मुक्ति एवं कार्यभार ग्रहण करने संबंधी समस्त कार्यवाही 5 नवंबर तक की जानी है।  विभाग का दावा है कि  विभाग की ऑनलाइन स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता पूर्ण स्थानांतरण हुए है। आॅनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया की विशेषता यह रही कि इसमें 70 प्रतिशत शिक्षकों को उनके द्वारा चाहे गए पहले एवं दूसरे विकल्प वाले स्थान पर स्थानांतरण मिला है। वहीं 86 प्रतिशत शिक्षकों को पहले से पांचवें विकल्प के बीच उपलब्ध स्थान प्राप्त हुए हैं। इसमें 944 शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर हुए हैं।
यह भी रही सूची जारी न हो पाने की बड़ी वजह
प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा हटाए गए तबादलों पर से प्रतिबंध के समय एक दर्जन से ज्यादा विभागों में ट्रांसफर ही नहीं हो सके। इन विभागों में तबादलों के लिए अभी भी कई विधायक और भाजपा नेता मंत्रालय में चक्कर लगा रहे है। अफसरों के यहां भीड़ वर्किंग डे में देखी जा सकती है। नियम के तहत विभागों में 5 से लेकर 20 प्रतिशत तक ही कर्मचारियों के तबादले होने थे, लेकिन मंत्रियों की व्यस्तता और मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान की वजह से अधिकांश मंत्री ट्रासफर सूचियों को स्वीकृति नहीं दे सके। कुछ मंत्रियों ने तो एक साल पहले हुए ट्रांसफर वाले अधिकारियों की सूची अफसरों के यहां भेज दी, जिसे अफसरों ने रोक दिया। इसकी वजह से भी सूचियां जारी नहीं हो सकीं।

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