…अचानक अपने गढ़ में सक्रिय हुए श्रीमंत

श्रीमंत

– ग्वालियर-चंबल अंचल का लगातारकर रहे दौरा
गुना में अपनी खोई जमीन फिर से मजबूत करने में जुटे श्रीमंत धिया

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विधानसभा के चुनाव भले ही लगभग डेढ़ साल बाद होने हो, मगर सियासी कदमताल तेज हो गई है। ऐसे में श्रीमंत ने अपने गढ़ में अचानक सक्रियता बढ़ा दी है। श्रीमंत वैसे तो ग्वालियर-चंबल अंचल में लगातार सक्रिय हैं, लेकिन अचानक गुना में उनकी सक्रियता चर्चा का विषय बन गई है। आज केन्द्रीय मंत्री गुना दौरे पर हैं। इस दौरान वे कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे। स्वागत के लिए श्रीमंत  समर्थकों ने शहर को होर्डिंग, पोस्टर और बैनरों से पाट दिया है।  गौरतलब है कि 2019 में श्रीमंत अपने ही पूर्व समर्थक रहे भाजपा प्रत्याशी केपी सिंह यादव से लोकसभा का चुनाव हार गए थे। अब श्रीमंत भी भाजपा में आ गए हैं। ऐसे में गुना क्षेत्र में श्रीमंत  की अचानक सक्रियता चर्चा का विषय बनी हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है की श्रीमंत आगामी चुनावों को देखते हुए अपने गढ़ में अपनी खोई हुई जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं।  उधर, कांग्रेस श्रीमंत को उनके गढ़ में घेरने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले श्रीमंत को घेरने के लिए कांग्रेस लगातार रणनीति बना रही है और अब तो पार्टी का सारा ध्यान ग्वालियर-चंबल अंचल पर केंद्रित होने लगा है।
बैनरों और पोस्टरों से सांसद केपी गायब
उधर आज केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत गुना पहुंचे हैं और उनके स्वागत के लिए उनके  समर्थकों ने शहर को होर्डिंग, पोस्टर और बैनरों से पाट दिया है। बैनरों और होर्डिंग्स से गुना-अशोकनगर सांसद डॉ. केपी यादव गायब दिखाई दे रहे हैं। इस पर समर्थकों में सोशल मीडिया पर सियासी वार शुरू हो गया। श्रीमंत  समर्थकों पर सांसद समर्थक यह कहकर वार कर रहे हैं कि बैनर-होर्डिंग से सांसद का फोटो हटा दोगे, लेकिन जनता के दिल से तो अलग नहीं कर पाओगे। बरहाल मामले में गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है। दोनों के समर्थक एक-दूसरे के नेताओं यानी श्रीमंत और सांसद के कार्यक्रमों से परहेज करते रहे हैं।
सांसद डॉ. केपी यादव की लगातार उपेक्षा
श्रीमंत और सांसद डॉ. केपी यादव के बीच खींचतान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सांसद की लगातार उपेक्षा की जा रही है। पिछले दिनों कैंट पुलिस थाने के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण समारोह हुआ था। उसमें सांसद का नाम शिलापट्टिका से गायब था। इसे लेकर भाजपा में बवाल मचा। शिकायतें शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचीं। सांसद समर्थकों ने कलेक्टर के जरिए राष्ट्रपति तक को सूचित किया। शिकायत के बाद पुलिस को दूसरी शिलापट्टिका तैयार कर सांसद यादव का नाम लिखवाना पड़ा। सांसद यादव बीते दिसंबर में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर स्थानीय कार्यक्रमों में उन्हें नहीं बुलाए जाने पर आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने 15 दिसंबर को लिखे पत्र में केंद्र की विभिन्न योजनाओं के समारोह की सूचना नहीं दिए जाने और शिला पट्टिकाओं में नाम नहीं होने का जिक्र किया था। इसके बाद राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला प्रशासन से जवाब मांगा था।
कार्यक्रम के लिए सांसद को भी निमंत्रण
आज गुना के जज्जी बस स्टैंड के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया जाना है। नगर पालिका सीएमओ तेजसिंह के अनुसार मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। विशेष अतिथि के रूप में सांसद डॉ. केपी यादव, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया को बुलाया है। उधर बैनर-होर्डिंग पर सांसद का फोटो नहीं होने से माहौल गर्म है। गौरतलब है कि पूर्व में सांसद ने गुना में श्रीमंत के बढ़ते हस्तक्षेप और समर्थक मंत्रियों के कार्यक्रमों में न बुलाने, शिलापट्टिका पर नाम न लिखवाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा था इसके बाद सांसद, श्रीमंत व उनके समर्थक प्रदेश सरकार के मंत्री एक-दूसरे के साथ सार्वजनिक कार्यक्रम व बैठकों में साझा करने से परहेज करते रहे हैं। फिलहाल इलाके में एक बार फिर से राजनैतिक सरगर्मी देखी जा रही है।
फिर से जमीन मजबूत करने की कवायद
जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में अपनी हार को श्रीमंत अब तक भुला नहीं पा रहे हैं। गुना सीट ग्वालियर राजघराने की परंपरागत सीट रही है। आजादी के बाद से हुए किसी भी चुनाव यहां से सिंधिया घराने के किसी भी सदस्य को हार का सामना नहीं करना पड़ा था। ऐसे में अब श्रीमंत की कोशिश है की अपने गढ़ में फिर से जमीन मजबूत की जाए। जानकारो का कहना है कि अपने ही गढ़ से श्रीमंत के चुनाव हराने की सबसे बड़ी वजह उनका अति आत्मविश्वास और क्षेत्र की उपेक्षा करना है। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के लोगों के बीच समय नहीं देना हार का कारण बना था। इसलिए श्रीमंत की कोशिश है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा माहौल बनाया जाए जिससे क्षेत्र में सिंधिया घराने की साख एक बार फिर से जम जाए।

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