राज्यसभा उपचुनाव: भाजपा में एक अनार सौ बीमार के हालात

राज्यसभा उपचुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक राज्यसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनने के दावदारों की भारी भीड़ बनी हुई है। इसकी वजह से हालात एक अनार और सौ बीमार के बन गए हैं। इन दावेदारों में केन्द्रीय मंत्री और संगठन के बड़े पदाधिकारियों से लेकर पूर्व मंत्री तक शामिल हैं।
इस उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा घोषित किए गए निर्वाचन कार्यक्रम के तहत 4 अक्टूबर को मतदान होना है। दावेदारों की बढ़ी संख्या को देखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि केन्द्रीय नेतृत्व किसी केन्द्रीय मंत्री को इस सीट पर प्रत्याशी बना सकता है। वर्तमान में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में दो ऐसे मंत्री हैं जो अब तक किसी भी सदन के सदस्य नही हैं। फिलहाल प्रदेश के जो नेता राज्यसभा के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं वे इन दिनों भोपाल से लेकर दिल्ली तक जमकर आना जाना कर रहे हैं।  फिलहाल जिन दावेदारों के नाम अब तक सामने आ रहे हैं उनमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, कृष्णमुरारी मोघे, जयभान सिंह पवैया, लालसिंह आर्य, अरविंद मेनन,ओम प्रकाश धुर्वे, सत्य नारायण जटिया और अर्चना चिटनीस के नाम शामिल हैं। यह सीट केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के राज्यपाल बनने के बाद दिए गए इस्तीफा की वजह से रिक्त हुई है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या के हिसाब से यह सीट भाजपा के खाते में ही रहना तय है। दावेदारों में शामिल जयभान सिंह पवैया, लाल सिंह आर्य, ओम प्रकाश धुर्वे और अर्चना चिटनिस बीता विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इसकी वजह से उनकी दावेदारी कमजोर मानी जा रही है, लेकिन जिस तरह से पार्टी द्वारा इनमें से लाल सिंह और ओंम प्रकाश को संगठन में जिम्मेदारियां दी गई हैं, उसे देखते हुए कुछ भी अंदाज लगाना संभव नहीं दिख रहा है।
भगत कर चुके हैं अपनी इच्छा जाहिर
संघ से भाजपा में आकर प्रदेश संगठन महामंत्री बने सुहास भगत भी उच्च सदन के सदस्य बनाना चाहते हैं। वे इसके लिए केन्द्रीय संगठन को अपनी इच्छा भी बता चुके हैं। कहा जा रहा है कि वे अब राजनीति की मुख्यधारा में जाना चाहते हैं। उनका वैसे भी संगठन महामंत्री के रूप में चार साल का कार्यकाल हो चुका है। उनके बदलने की अटकलें बनी हुई हैं। माना जा रहा है कि ऐसे में संगठन उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी बना सकती है। उधर कैलाश विजयवर्गीय का नाम खंडवा लोकसभा प्रत्याशी के दावेदारों में भी शामिल है। इसी तरह से खंडवा सीट से टिकट के दावेदारों में अर्चना चिटनिस और कृष्ण मुरारी मोघे का नाम भी शामिल है। उधर इस सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर स्व नंद कुमार सिंह के पुत्र हर्ष चौहान की उम्मीदवारी के पक्ष में बताए जा रहे हैंं।
बाहरी नेता को बनाया जा सकता है प्रत्याशी
बताया जाता है कि एक अनार सौ बीमार की हालत को देखते हुए पार्टी द्वारा किसी बाहरी नेता को मप्र के कोटे से राज्यसभा भेजा जा सकता है। इसकी वजह है मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कई नेताओं को किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना। ऐसे में असम के पूर्व मुख्यमंत्री का नाम भी चर्चा में बना हुआ है। फिलहाल अगले हफ्ते दावेदारों के नामों पर चर्चा के लिए संगठन की बैठक संभावित है। प्रदेश संगठन इस मामले में केंद्रीय संगठन से मिलने वाले इशारे का इंतजार कर रहा है।
अजा के जटिया और मालवीय
अनुसूचित जनजाति के दो नेता अभी मध्य प्रदेश के कोटे से राज्यसभा के सदस्य हैं।  ऐसी दशा में अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए राज्यसभा की यह रिक्त सीट उनके खाते में भी जा सकती है। इसी तरह से प्रदेश के कोटे से पहले ही एमजे अकबर और धर्मेंद्र प्रधान को राज्यसभा भेजा जा चुका है। इसकी वजह से बाहरी नेता को मौका दिए जाने की सम्भावना कम ही है। इस वजह से माना जा रहा है कि इस सीट से किसी अनुसूचित जाति के नेता को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया और उज्जैन के पूर्व सांसद प्रो. चिंतामन मालवीय के नाम भी चर्चा में बने हुए हैं। दोनों ही मालवा अंचल से आते हैं। जटिया 5 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। जबकि चिंतामन मालवीय भी एक बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्हें बीते चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया था।

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