शिव सरकार एक तिहाई बजट खर्च करेगी अनुदान देने में

शिव सरकार
  • विकास कामों के खाते में आएगा बजट का महज 25 फीसदी हिस्सा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है जिसके बजट का एक तिहाई हिस्सा सिर्फ सब्सिडी में ही चला जाता है। इसके बाद बचे हुए बजट में से वेतन भत्ते, कर्ज पर ब्याज आदि के खर्च में 45 फीसदी हिस्सा खर्च हो जाता है। इसकी वजह से विकास के लिए महज 25 फीसदी राशि ही रह जाती है। इस साल भी यही हाल है। दरअसल बिजली क्षेत्र में जाने वाली अनुदान राशि का खर्च होना सबसे बड़ी मुसीबत बनी हुई है। यह वो क्षेत्र है जिसमें अफसरों की नाकमी और फिजूलखर्ची बजट पर बेहद भारी पड़ती है। इसके बाद भी इस मामले में सरकार अब तक निकम्मी साबित  हो रही है। यही वजह है कि केन्द्र सरकार चाहती है कि बिजली और किसान कल्याण के नाम पर दी जाने वाली  सब्सिडी की राशि कम की जाए। इस बीच प्रदेश के बजट की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार इस वर्ष कुल बजट का एक तिहाई यानि 82 हजार 83 करोड़ रुपए अकेले सब्सिडी के नाम पर खर्च करने जा रही है।
 सरकार द्वारा हाल ही में पारित किए गए इस साल का कुल बजट 2,79,236 लाख करोड़ का है। इसमें से अकेले बिजली पर ही, सरकार 22,500 करोड़ की सब्सिडी देने जा रही है। इसी तरह से जिन मदों में बड़ी राशि बातौर अुनदान के रुप में देने का तय किया गया है उसमें किसानों, उद्योगों, उच्च शिक्षा ऋण सहित विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। बजट में किए गए प्रावधानों के अनुसार लगभग 90 हजार करोड़ रुपए की राशि वेतन-भत्तों और पेंशन पर खर्च होगी, जबकि सरकार द्वारा अब तक लिए गए कर्ज को पटाने और उस पर लगने वाले ब्याज पर ही करीब 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
 इस हिसाब से देख जाए तो विकास के कामों के लिए महज 70 हजार करोड़ रुपए तक की ही राशि बचती है। इसके बाद भी प्रदेश में लगातार सब्सिडी की राशि बढ़ती ही जा रही है। अगर देखा जाए तो इस साल सरकार द्वारा 83 हजार करोड़ की राशि सब्सिडी पर खर्च की जाएगी , जबकि बीते साल सरकार ने सब्सिडी पर करीब 74 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे। इस साल सरकार ने बिजली के अलावा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 10,337 करोड़ , जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन देने 1100 करोड़ का और मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में 140 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने का प्रावधान किया है।  इनमें किसानों को कृषि उपकरण, ट्रैक्टर-ट्राली, कीटनाशक दवा, बागवानी, उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने, ड्रिप स्प्रिंकलर, उच्च शिक्षा ऋण तथा उद्योग आदि के लिए यह अनुदान दिया जाता है। दरअसल हाल ही में पीएम मोदी द्वारा बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक में अफसरों ने सुझाव दिया है कि देश पर कर्ज की राशि लगातार बढ़ रही है, इसलिए विभिन्न योजनाओं में दी जाने वाली सब्सिडी को कम किया जाना चाहिए। इसको लेकर मप्र के पूर्व वित्त मंत्री भी इस बात का समर्थन करते हैं।  
इनका कहना है
मप्र सरकार को अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए सब्सिडी कम करना चाहिए। वर्तमान में राजस्व आय और एक्सपेंडीचर गेप में बहुत अंतर आ रहा है। हाल ही में पेश बजट में भी यह अंतर दिखाई दिया है। सरकार को खर्चे कम करना चाहिए। केंद्र की मंशा को ध्यान में रखते हुए गाइड लाइन तय होना चाहिए।
– राघवजी, पूर्व वित्त मंत्री
जरूरत के अनुसार राज्य को कदम उठाना चाहिए
सब्सिडी कम करने के मामले में केंद्र में अभी चर्चा की शुरूआत हुई है। जिस तरह पड़ौसी देश में आर्थिक स्थितियां बुरी तरह खराब हुई हैं, उसे देखते हुए कहावत है कि आमदानी अठन्नी और खर्चा रुपया सरकार को नहीं करना चाहिए। जहां जो भी आवश्यक हो, राज्य को कदम उठाना चाहिए।
– जयंत मलैया, पूर्व वित्त मंत्री

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