
- उमा की घोषणा से प्रशासन में असमंजस, नहीं ले पा रहा कोई फैसला
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा का अव्हान अब प्रदेश की राजनीति में बेहद बबाल मचाने वाला बन गया है। हालात यह हैं कि उनके इस आव्हान को हिंदु संगठनों के अलावा भाजपा की वरिष्ठ नेता और फायरब्रांड नेता उमा भारती ने भी हाथों हाथ लिया है। इसकी वजह से अब सरकार से लेकर प्रशासन तक पशोपेश में पड़ गया है। मामला रायसेन के प्राचीन किले में स्थित सोमेश्वर मंदिर में 479 वर्षों से लगे ताले को खुलवाने का है। इस मामले में अब उमा भारती ने 11 अप्रैल को वहां हिंदू संगठनों के साथ गंगोत्री के जल से अभिषेक करने की की घोषणा कर दी है। खास बात यह है कि उसी दिन रायसेन जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अन्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं। उमा की घोषणा के बाद एक बार फिर भाजपा की अंदरुनी राजनीति गमार्ती हुई दिखना शुरू हो गई है। दरअसल बीते कुछ समय से उमाभारती द्वारा शराब बंदी की मांग को उठाया जा रहा है, जिसकी वजह से सरकार पहले से ही परेशान बनी हुई थी , अब उनके द्वारा इस विवाद में कूद जाने की वजह से परेशानी और बढ़ना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने मंगलवार को रायसेन में कथा के दौरान इस मंदिर का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ताला खुलवाने का आग्रह किया था। इसके बाद इस मामले में उमा भारती ने आगे आकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए, जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि मान्यता के अनुसार नवरात्र के बाद पहले सोमवार को शिव अभिषेक करना चाहिए। मैं शिवजी के किसी सिद्ध स्थान को तलाश रही थी और रायसेन किला स्थित सोमेश्वर धाम की जानकारी मिली। उमा भारती का कहना है कि मैं राजा पूरनमल के परिवार व उनके सैनिकों का तर्पण करके अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी। इधर रायसेन जिला प्रशासन का कहना है कि उमा भारती के आने की सूचना मिली है। प्रशासन स्तर पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। उधर, इस मामले में पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि रायसेन किला पर सिद्ध शिव मंदिर है। कई सालों से वह बंद है, अब शिवराज हैं तो भगवान शिव को भी कैद से मुक्ति मिल जाएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री शिवराज से शिवजी को कैद से मुक्त कर मंदिर को प्रतिदिन खोलने तथा नियमित पूजन-पाठ की अनुमति देने की अपील की है। उमाजी शिवभक्त हैं, उनका यहां जलाभिषेक करने आना पुण्य का कार्य है।
मंदिर का यह है इतिहास
रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर धाम शिव मंदिर 10 वीं शताब्दी में परमार राजा उदयादित्य ने बनवाया था। किले के अंदर 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण कार्य 11वीं शताब्दी में पूरा हुआ। राजवंश के लोग इस संबंध में नियमित रूप से पूजा पाठ किया करते थे।
सन 1543 तक इस मंदिर में नियमित पूजा होती रही। रायसेन के राजा पूरणमल एक युद्ध में शेरशाह द्वारा किए गए छल की वजह से हार गए थे , जिसके बाद यह किला शेरशाह के कब्जे में चला गया। शेरशाह ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का फरमान जारी किया। कारीगरों ने बड़ी ही चतुराई के साथ शिवलिंग को हटाकर मस्जिद बना दी, लेकिन गर्भ ग्रह के ऊपर श्री गणेश की प्रतिमा और अन्य चिन्ह छोड़ दिए ताकि भविष्य में यह स्पष्ट हो जाएगा यह निर्माण कार्य मूल रूप से एक मंदिर है। ऐसा हुआ भी।
इस मामले में इतिहासकारों का कहना है कि इसके बाद उसने किला में स्थित एतिहासिक शिव मंदिर में ताला डलवा दिया था। आजादी के बाद से यह किला भोपाल नवाब हमीदउल्ला खां की रियासत में था। 1949 में रियासत के विलीनीकरण के बाद यह किला केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन आने के बाद विभाग ने मंदिर में ताला लगा होने की वजह से उसे जागृत मंदिरों की सूची से बाहर कर दिया।
इस तरह से किया था छल
वर्ष 1543 में अफगानी राजा शेरशाह सूरी ने रायसेन किले के पास घेरा डाला था। वह वहां लगातार चार महीने रहा। अंत में उसने तोपों से लगातार हमले किए। रायसेन के सिपाही तलवार, तीर व भालों से युद्ध लड़ रहे थे, जो काफी नहीं थे। तब शेरशाह ने पूरनमल को संधि प्रस्ताव भेजा कि किले को छोड़ दो, हम बदले में तुम्हें बनारस की जागीर दे देंगे। पूरनमल ने जवाब दिया कि हमें जागीर नहीं चाहिए, बस किले से सुरक्षित निकल जाने का वचन दें। शेरशाह, उसके बेटे व सेनापति ने वचन दिया तब पूरनमल, अपने बेटे, रानी रत्नावली , सेना व उनके परिवारवालों के साथ निकले और परवलिया गांव में डेरा डाला। शेरशाह ने अपना वचन तोड़ते हुए रात में परवलिया में हमला कर दिया। रानी रत्नावली के पास तब अग्नि जौहर का वक्त नहीं था। उन्होंने राजा से कहा कि पहले आप मेरी व पुत्र की गर्दन तलवार से काटें, बाद में दुश्मन का सामना करें। राजा ने ऐसा ही किया। उनकी सेना ने भी अपने परिवार की स्त्रियों के साथ यही किया, ताकि कोई दुश्मन के हाथ न लगे। बाद में उन्होंने युद्ध लड़ा, जो वे हार गए।
इस तरह से खुला था ताला
1974 में तात्कालीन सीएम प्रकाशचंद्र सेठी ने शिवरात्रि पर जनभावनाओं को देखते हुए एक दिन के लिए मंदिर का ताला खुलवाया था, उस समय रायसेन के तत्कालीन कलेक्टर के के अग्रवाल थे। उसके बाद से ही प्रत्येक शिवरात्रि पर यहां एएसआइ ताला खोलता है और मेले के साथ दिनभर भक्त दर्शन करते हैं।