सत्ता और संगठन के लिए निगरानी तंत्र बनाएगा संघ

सत्ता और संगठन

इंदौर में आज से आरएसएस आगामी रणनीति पर करेगा मंथन

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अपने गढ़ मप्र में भाजपा की सरकार और संगठन को मजबूत और संवेदनशील बनाने के लिए आरएसएस लगातार कोशिश में लगा रहता है। इसी का परिणाम है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 29 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बना डाला है। ऐसे में सत्ता और संगठन में अहम का भाव ने भरे, इसके लिए संघ निगरानी तंत्र बनाएगा, ताकि नेताओं को लगातार सक्रिय रखा जाए। इसके लिए आज से इंदौर में शुरू होने वाली संघ की बैठक में मंथन किया जाएगा। इस बैठक में देशभर में लोकसभा चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन पर भी विचार विमर्श कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी। आज जहां इंदौर में संघ की बड़ी बैठक हो रही है, वहीं बुधवार को संघ के मध्य क्षेत्र मुख्यालय समिधा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शीर्षक प्रचारको से चर्चा की। इस दौरान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भैया जी जोशी, डॉ. मनमोहन वैद्य, अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक विस्पुते, क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी, क्षेत्र कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार मप्र में सत्ता और संगठन को संघ का मध्य क्षेत्र मुख्यालय मॉनिटरिंग करेगा। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने सभी मंत्रीमंडल के सदस्यों से कहा है कि वह नियमित तौर पर मध्य क्षेत्र के मुख्यालय समिधा कार्यालय के संपर्क में रहें। संघ और भाजपा सरकार के बीच समन्वय का काम क्षेत्र कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर देखेंगे।
गौरतलब है कि संघ भले ही राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन भाजपा को राजनीतिक रूप से मजबूत करने में आरएसएस की भूमिका अहम रहती है। ऐसे में लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से देशभर में इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठकों का दौर चल रहा है। जुलाई और अगस्त महीने में संघ के सभी 11 क्षेत्रों और 46 प्रांतों में समन्वय बैठकें या तो हो चुकी हैं या हो रही हैं। अब आज से इंदौर में बैठक हो रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नंबर दो पदाधिकारी  सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल अखिल भारतीय संपर्क विभाग की चार दिन की बैठक के लिए इंदौर में पहुंच गए हैं। दत्तात्रेय होसबले संपर्क विभाग की बैठक के अलावा मालवा प्रांत की बौद्धिक विभाग की बैठक में भी शामिल होंगे। यह बैठक तीन और चार अगस्त को इंदौर में हो रही है।  संघ और जनता के बीच संपर्क की महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाले संपर्क विभाग की इस राष्ट्रीय बैठक में अखिल भारतीय संपर्क विभाग के 200 से अधिक पदाधिकारी चार दिन तक अलग-अलग अलग-अलग मुद्दों पर मंथन करेंगे। बैठक कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें संघ के  सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल और राष्ट्रीय संपर्क प्रमुख रामलाल पूरे समय मौजूद रहेंगे।
संघ के विस्तार पर भी बनेगी रणनीति
सूत्रों के अनुसार अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने इस वर्ष मार्च में तय किया था कि शताब्दी समारोह कार्यक्रमों के निमित्त संघ विरोधी नेताओं और संगठनों से भी संपर्क किया जाएगा। इनमें संघ के वैचारिक विरोधी राजनीतिक और सामाजिक दोनों तरह के संगठन शामिल होंगे। इस दृष्टि से इस बैठक का महत्व बढ़ जाता है। बैठक में संघ के 11 क्षेत्र और  सभी 46 प्रांतों के संपर्क और सह संपर्क प्रमुख शामिल होंगे। बैठक में राष्ट्रीय संपर्क प्रमुख सुनील देशपांडे और सह संपर्क प्रमुख रमेश अप्पाजी भी मौजूद रहेंगे। इंदौर में यह बैठक लंबे समय बाद हो रही है। साल में एक बार होने वाली इस बैठक में करीब 25 सत्र होंगे, जिसमें अलग-अलग प्रांतों और क्षेत्रीय संपर्क और सह संपर्क प्रमुख अपने साल भर के कामकाज का ब्यौरा देंगे। साथ ही जनता के बीच लगातार मूवमेंट के दौरान संघ को लेकर जो फीडबैक मिलता है, वो भी वरिष्ठ नेतृत्व के सामने रखेंगे। इसी आधार पर संपर्क विभाग के आगे कामकाज को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।
संगठन महामंत्री के लिए तेजतर्रार प्रचारकों की मांग
 आज से इंदौर में संघ के अखिल भारतीय संपर्क विभाग की चार दिन की बैठक प्रारंभ हो रही है। इस बैठक में मप्र सहित देशभर में सत्ता और संगठन की निगरानी के लिए तंत्र बनाया जाएगा। इसके तहत संघ के पदाधिकारियों की पदस्थापना भाजपा में की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने प्रदेश संगठन महामंत्री पद के लिए कुछ तेज तर्रार प्रचारकों की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि संघ इस मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहा है। अगले कुछ दिनों में भाजपा को प्रांत प्रचारक स्तर कुछ प्रचारक दिए जाएंगे। लोकसभा चुनाव के बाद अब जल्द ही भाजपा संगठन में बड़े बदलाव की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। संघ जल्दी ही  राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्य में भाजपा के लिए संगठन महामंत्री देने का फैसला करेगा। इसके अलावा भाजपा के कई संगठन मंत्रियों का कार्यभार में बदलाव भी किया सकता है, जिस पर मुहर लगना बाकी है।  शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में दिल्ली में 24-25 जुलाई दो दिनों तक बीजेपी के संगठन मंत्रियों की बैठक हुई थी। बैठक में पार्टी के संगठनात्मक कमजोरियों और उन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदमों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इस दौरान जिन राज्यों में संगठन मंत्री नहीं है, उन राज्यों में नियुक्ति को लेकर मंथन किया गया है। भाजपा में संगठन मंत्री का रोल काफी अहम माना जाता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों के साथ ही गोवा और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में संगठन मंत्री फिलहाल नहीं हैं। दिल्ली में भाजपा की बैठक में कई राज्यों में संगठन मंत्रियों के नहीं होने और कई संगठन मंत्रियों की अधिक उम्र के कारण सक्रियता में कमी का मुद्दा उठा था। कई संगठन मंत्रियों को नए राज्यों में भेजे जाने के संकेत भी दिए गए, लेकिन इनकी कमी दूर करने का फैसला संघ को लेना है।

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