
भोपाल<बिच्छू डॉट कॉम। भले ही सरकारी सुविधाओं के लिए आम लोग परेशान होते रहे और सरकारी खजाना भी खाली हो, लेकिन राजनेता सरकारी सुविधाओं का भरपूर उपभोग करने में पीछे नहीं रहते हैं। इसका बड़ा उदाहरण प्रदेश सरकार के वे मंत्री हैं, जो नई विधानसभा चुनाव होने के बाद भी सरकारी वाहन लौटाने को तैयार नहीं हैं। इनमें वे मंत्री भी शामिल हैं, जो अब चुनाव भी हार चुके हैं। लगभग यही स्थिति सरकारी आवास खाली करने को लेकर भी है। एक मंत्री को छोड़ दिया जाए तो शेष मंत्री आर चुनाव हारने वाले विधायकों ने तक अपने सरकारी आवास खाली करने में अब तक कोई खास रुचि नहीं दिखाई है। यही वजह है तमाम सरकारी एजेंसियों द्वारा इन्हें अब पत्र लिखने पड़ रहे हैं। यह हालात प्रदेश में तब बने हुए हैं, जबकि एक तरफ निर्वाचित सत्ताधारी दल की सरकार में कैबिनेट का गठन नजदीक है, तो दूसरी तरफ नये मंत्रियों के लिए अभी वाहनों की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मौजूदा मंत्रियों ने अभी तक गृह विभाग को गाडिय़ां ही नहीं लौटाई हैं, जिसकी वजह से स्टेट गैरिज ने सभी मंत्रियों को पत्र लिखकर गाडिय़ां मांगी है।
कैबिनेट में निर्धारित कोटा के अनुसार 34 मंत्रियों के लिए वाहन उपलब्ध कराना गृह विभाग की जवाबदारी है। विभाग के अधीन संचालित स्टेट गैरिज बेहतर हालत की गाडिय़ां मंत्रियों को उपलब्ध कराता है। गैरिज की चिंता यह है कि मंत्रिमंडल का विस्तार नजदीक है, जबकि अभी तक एक भी मौजूदा मंत्रियों ने गाडिय़ां नहीं लौटाई है। जबकि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही इन मंत्रियों को वाहन गैरिज को वापस करना होता है। अब गैरिज अधिकारियों ने तत्काल वाहन उपलब्ध कराने के लिए सभी मंत्रियों को पत्र लिखा है। अधिकारियों का तर्क है कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ सभी वाहन तैयार रखना हमारी जवाबदारी है। वाहन जब गैरिज में आएंगे, तो उनमें यह देखना भी जरूरी है कि उनमें क्या-क्या खामियां है। कितना काम गाडिय़ों में होना है। समय से पहले हर गाड़ी में सुधार करना जरुरी है।
14 वाहन हो चुके हैं कंडम
स्टेट मैरिज में 14 वाहन ऐसे हैं, जो एक प्रकार से अयोग्य है, फिर भी बुलाये जा रहे है। गृह विभाग के नियम अनुसार मंत्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले वाहन 1 लाख 10 हजार किलोमीटर तक चलना चाहिए। अगर इस दायरे से ज्यादा वाहन चलते हैं, तो उन्हें बदल दिया जाता है। जानकारी है कि 14 वाहन 2 लाख की सीमा से ज्यादा चले हुए बताए जा रहे हैं। इनका फिर भी उनका उपयोग हो रहा है। हालांकि इस संदर्भ में अधिकारियों का कहना है कि यह सालों पुराना नियम उस दौर का है, जब मंत्रियों को एम्बेसडर वाहन दिए जाते थे। अब बेहतर स्तर की इनोवा क्रिस्टा गाडिय़ा मंत्रियों को दी जाती है। इनमें मामूली सी खराबी पर तत्काल सुधार होता है। हालंकि अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस नियम के अनुसार गाडिय़ों को बदलने का पत्र वित्त विभाग को भेजा गया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है।