
- लोकसभा चुनाव पर पड़ने वाले असर का भी किया जाएगा आंकलन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भले ही भाजपा को दो तिहाई से अधिक सीटों पर जीत मिली है, लेकिन इसके बाद भी भाजपा संगठन की ङ्क्षचता कम नहीं हुई है। इसकी वजह है शिव के एक दर्जन गणों का हार जाना। अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर इन हारने वाले मंत्रियों ने परेशानी बढ़ा दी है। अब संगठन हार के कारणों का पता लगाने के साथ ही इसका भी विश्लेषण करने जा रही है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों से मंत्रियों को हार मिली है, वहा लोकसभा चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा।
दरअसल हाल ही में हुए चुनाव में कई दिग्गज मंत्रियों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इनमें प्रदेश के बेहद पॉवरफुल और तेज तर्राट माने जाने वाले गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित 12 मंत्री चुनाव हार गए हैं। यही भाजपा संगठन के लिए चिंता का सबब बन गया है। पार्टी संगठन ने अपने मंत्रियों की हार को बेहद गंभीरता से लिया है। पार्टी अपने इन दिग्गज मंत्रियों की हार को पचा नहीं पा रही है। बताया गया है कि पार्टी अब इस हार की समीक्षा हर पहलू पर करेगी।
हर बूथ को जीतने का लक्ष्य
संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी उन सभी बूथ को जीतने का लक्ष्य तय करेगी, जहां विधानसभा चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं जिन बूथों में पार्टी को जीत मिली है, लेकिन वहां वोट प्रतिशत कम है, तो वहां भी पार्टी अपनी हर कमजोरी को ढूंढकर उसे दूर करने का प्रयास करेगी। कहा जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष संगठन चुनाव हार चुके कुछ पूर्व मंत्रियों को लोकसभा का चुनाव लड़वा सकती है। इनमें से डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित दूसरे नेताओं के नाम अभी से लिए जा रहे है। कुछ पूर्व मंत्रियों को राज्यसभा चुनाव के जरिए भी केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय किया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल
बताया गया है कि जहां मंत्री चुनाव हारे हैं, उसकी वजह क्या रही है, इसका पार्टी नेतृत्व पता लगवा रहा है। जानकारों की मानें तो शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए बूथ प्रबंधन में माहिर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है, जिनके द्वारा हर उस बूथ का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है, जहां उसे हार मिली है। इसकी रिपोर्ट दिल्ली भेजी जाएगी, जिसका अध्ययन होने के बाद मध्यप्रदेश के संगठन से जुड़े नेताओं को साथ बैठक होगी, जिसमें लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर रणनीति बनाई जाएगी।
इन मंत्रियों को भी करना पड़ा हार का सामना
सूबे के गृहमंत्री रहे डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कुछ माह पहले मंत्री बनाए गए गौरीशंकर बिसेन, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी महेंद्र सिंह सिसोदिया, पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी, कृषि मंत्री कमल पटेल, पशुपालन मंत्री रहे प्रेम पटेल, सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले अरविंद भदौरिया, मंत्री भारत सिंह कुशवाहा, राज्यमंत्री सुरेश धाकड़, रामखिलावन पटेल और रामकिशोर कावरे पार्टी के जबरदस्त प्रदर्शन के बीच भी जीत हासिल नहीं कर पाए। इनमें से कई मंत्री 20 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए हैं, जबकि कुछ एक हजार के मामूली अंतर से।