सेवानिवृत्ति: अनुभवी पारी का आगाज

  • नई ऊर्जा और नये लक्ष्य के साथ करें नई शुरुआत
  • प्रवीण कक्कड़
सेवानिवृत्ति

शासकीय सेवाकाल में सेवानिवृत्ति की तारीख की गणना सेवा शुरूआत करने के दिन से ही शुरू हो जाती है। सारे लक्ष्य, सारे उसूल और सारे मापदंड को हम एक तारीख के साथ जोड़ देते है, जो कई बार नकारात्मक विचारों के साथ इसे सेवा का नहीं बल्कि ख़ुशियों का अंत दिखने लगता है। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल परे है। सेवा निवृत्ति दर असल आपके दीर्घकालिक अनुभवों और हसरतों के साथ नये अध्याय की जोरदार शुरुआत का शंखनाद होती है।
मैने पिछले दो दिनों में ऐसी दो महान विभूतियों को खोया है, जिनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय सेवानिवृत्ति के बाद ही शुरू हुआ। पहले डॉ. एमएल भाटी जिन्होंने आदिवासी क्षेत्र राणापुर में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया और पीडि़तों की सेवा और मानवता की सर्वश्रेष्ठ मिसाल बनकर लोगों के दिलों में राज करते रहे। दूसरे रिटायर्ड डीएसपी एनएस जादौन जिन्होंने सैकड़ों बुजुर्गों की सेवा की, उन्हें कानूनी अधिकार दिलाए और समाज में सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान किया। वे रिटायरमेंट के बात से अपने जीवन की अंतिम सांस तक बुजुर्गों की सेवा में लगे रहे। इन दोनों विभूतियों के कार्यों ने जहां मुझे गौरवान्वित किया, वहीं इनके अनंत यात्रा पर जाने ने मुझे अंदर तक हिला दिया। मैं सोचने पर विवश हो गया कि कैसे इन विभूतियों ने अपने रिटायरमेंट के बाद भी अपनी सेकंड इनिंग समाज सेवा में खेली और ऐसी खेली कि उसे हमेशा याद रखा जाएगा। यह बात हमें यह संदेश देती है कि सेवानिवृत्ति जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत हो सकती है। समाज के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग समाज के कल्याण के लिए कर सकते हैं। आज हमें अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए इस दिशा में आगे बढऩे की जरूरत है। हम अपने अनुभव और ज्ञान से समाज में एक नया अध्याय जोड़ सकते हैं।
मैं सभी सेवानिवृत लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने जीवन की सेकंड इनिंग को समाज सेवा के लिए समर्पित करें। हमारे सभी के पास देने के लिए कुछ न कुछ होता है। चाहे वह समय हो, पैसा हो या फिर हमारा ज्ञान और अनुभव। आइए मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करें। डॉ भाटी के बारे में मैं बात करूं तो दशकों पहले जब आदिवासी क्षेत्र राणापुर में कोई संसाधन नहीं थे बिजली नहीं थी तब उन्होंने उस आदिवासी क्षेत्र में न केवल अपनी चिकित्सा की सेवाएं दी बल्कि अपनी मानवता को निभाते हुए उन लोगों की सेवा में जीवन अर्पित कर दिया। आज जब नए डॉक्टर पढक़र निकलते हैं तो वह आदिवासी क्षेत्रों में जाने में आनाकानी करते हैं। उन्हें डॉक्टर भाटी जैसे लोगों से सीख लेना चाहिए और मानवता की सेवा कर अपने पेशे को गौरवान्वित करना चाहिए। दूसरी और जादौन जी के बारे में मैं बताना चाहता हूं कि उन्होंने पेंशनर्स एसोसिएशन, अमराई चौपाल और कई संगठनों से जुडक़र राष्ट्रीय स्तर तक कई बेहतर कार्य किये और अगर मैं उन्हें बुजुर्गों का मसीहा कहूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।  
मैंने पुलिस और प्रशासन दोनों ही क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी हैं ऐसे में मैं मेरे साथी जो कि अब सेवानिवृत हो चुके हैं उनसे निवेदन करना चाहूंगा कि वह अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर समाज सेवा के कार्यों में जुटे और लोगों की सहायता करें पीडि़त मानवता को स्नेह प्रदान करें। हम सेवानिवृत्ति के बाद समाज को कई तरीके से सेवा प्रदान कर सकते हैं। जिसके कुछ उदाहरण निम्न हैं।
–  युवाओं को मार्गदर्शन: अपने अनुभवों के आधार पर युवाओं को करियर मार्गदर्शन दे सकते हैं। विशेषकर उन युवाओं को जो पुलिस सेवा में जाना चाहते हैं।
–  सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में जाकर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।
–  यातायात नियमों के बारे में जागरूकता: सडक़ सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक कर सकते हैं और यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
–  अपराध रोकथाम कार्यक्रम: मोहल्लों में जाकर अपराध रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक कर सकते हैं।
–  समाज में शांति और सद्भाव स्थापित करना: विभिन्न समुदायों के बीच संवाद स्थापित करके शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
–  स्वयंसेवी संगठनों में शामिल होना: विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों में शामिल होकर उनके साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
–  बुजुर्गों की देखभाल: अपने क्षेत्र के बुजुर्गों की देखभाल कर सकते हैं और उनकी समस्याओं को सुन सकते हैं।
–  आपदा प्रबंधन में योगदान: आपदा के समय लोगों की मदद कर सकते हैं और राहत कार्य में भाग ले सकते हैं।
हम सभी डॉक्टर भाटी और जादौन जी के आदर्शों को अपना कर अपने सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा की पारी को नई शुरू कर सकते हैं। हम इन महान आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
(लेखक पूर्व पुलिस अधिकारी हैं)

Related Articles