– बारीकी से जांच हुई तो कई नेता होंगे बेनकाब
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में अनियमितता का मामला एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है। इसकी वजह बनी है जांच एजेंसी के अफसर। यही अफसर अब इस मामले में रिश्वत लेकर क्लीनचिट देने का काम कर रहे थे। जिन कॉलेजों को क्लीन चिट दी गई है, उसमें प्रदेश के एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री के रिश्तेदारों के भी कॉलेज शामिल हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उनके रसूख और मदद की वजह से ही रिश्तेदारों के नर्सिंग कॉलेज खूब फल फूल रहे थे। अगर सभी नर्सिंग कॉलेजों की पूरी तरह से जांच हो जाए तो कई ऐसे सफेदपोश चेहरे बेनकाब हो जाएंगे, जो इन दिनों प्रदेश की राजनीति में बड़ा महत्व रखते हैं। बताया जाता है कि इन नर्सिंग कालेजों के पर्दे के पीछे कई राजनेताओं की सक्रियता है। उधर, बताया जा रहा है कि जिन 60 कॉलेजों की जांच का जिम्मा निरीक्षक राहुल के पास था, उनकी फाइलों को एक बार फिर से खोलने की भी तैयारी शुरु कर दी गई है।
दरअसल इस रिश्वत कांड का खुलासे की बड़ी वजह बनी है, नर्सिंग कालेज संचालकों, जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी और अन्य लोगों की फोन पर बातचीत। सीबीआई दिल्ली की टीम इन पर बहुत पहले से ही नजर लगाए हुए थी। इसकी वजह है सीबीआई के आला अफसरों को भनक लगी थी की कुछ नर्सिंग कालेज संचालक अपने सुरक्षाकर्मियों और ड्राइवरों के माध्यम से लेनदेन कर रहे हैं। इस मामले का खुलासा होने के बाद प्रदेश में एक बार फिर से सभी हतप्रभ रह गए हैं। उधर, सीबीआई ने इस मामले में सभी 23 आरोपियों के नामों का खुलासा कर दिया है। इनमें नर्सिंग कालेजों की जांच कर रहे सीबीआइ के भोपाल में गिरफ्तार किए गए निरीक्षक राहुल राज, मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआइ में अटैच सुशील कुमार मजोका और ऋषि कांत असाटी भी शामिल हैं। जांच एजेंसी इन अधिकारियों द्वारा पहले की गई अन्य जांचों की फाइल भी अब खोलने जा रही है। इनमें व्यापम फर्जीवाड़े से जुड़े कुछ मामले भी शामिल हैं।
बना लिया था पूरा काकस
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि जांच अधिकारी नर्सिंग कालेजों की जांच रिपोर्ट उपयुक्त देने के लिए रिश्वत लेते हैं। अलग-अलग नर्सिंग कालेजों से विद्यार्थियों की क्षमता के अनुसार दो लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक रिश्वत लेने का अब तक खुलासा हो चुका है। इसके अलावा यह भी सामने आया है कि सीबीआई की मदद के लिए राज्य सरकार की ओर से जिन कर्मचरियों को उपलब्ध कराया गया है। उन्हें भी रिश्वत का 25 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक का हिस्सा मिलता था। स्थानीय स्तर पर निरीक्षण के दौरान सीबीआई टीम को सहयोग के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले पटवारी को भी पांच हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक हिस्सा मिलता था। यह राशि निरीक्षण के दूसरे दिन दलाल द्वारा बांटी जाती थी। सीबीआई को इंदौर, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर 10 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक रिश्वत लेने-देने के कई मामलों का इसी माह पता चला था। रिश्वत के पैसे से 400 ग्राम सोना खरीदने की जानकारी भी मिली थी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर अक्टूबर 2022 से सीबीआइ की टीम प्रदेश के 364 नर्सिंग कालेजों की जांच कर रही थी। इसमें यह देखा जा रहा था कि कालेज मापदंड के अनुसार संचालित हो रहे हैं या नहीं।
राहुल राज ही था मुख्य कर्ताधर्ता
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि इस पूरे मामले का कर्ताधर्ता सीबीआई निरीक्षक राहुल राज ही था। वह दलालों के सीधे संपर्क में था। सीबीआइ की टीम निरीक्षण के लिए कब, कहां पहुंचने वाली है, इसका कार्यक्रम पहले ही दलाल के माध्यम से संबंधित नर्सिंग कालेज तक पहुंच जाता था। इस मामले में प्रदेश भर के नर्सिंग कालेजों और सीबीआई की टीम के बीच मध्यस्थता दो दलाल कर रहे थे। एक दलाल का नाम किशोर शर्मा ग्वालियर, रतलाम, मंदसौर और उज्जैन के कालेजों के बीच दलाली कर रहा था। उसका सहयोग अशोक नागर, रोहित शर्मा और राधा रमन कर रहे थे। दूसरा बड़ा दलाल ओम गोस्वामी था। वह इंदौर, धार, खरगोन, मंडलेश्वर, रतलाम और मंदसौर के कालेजों के बीच दलाली कर रहा था। रवि भदोरिया, कमल इरानी, आशीष चौहान, मुकेश गिरि गस्वामी, मोहित निगोरे, गौरव शर्मा, वेद शर्मा, जुबेर शेख, प्रीति तिलकवार और तनवीर खान उसका सहयोग कर रहे थे।
जयपुर भेजी जाती थी रिश्वत की रकम
सीबीआई को पता चला था कि दलाल जुगल किशोर शर्मा राहुल राज के कहने पर रिश्वत की राशि राधा रमन शर्मा द्वारा जयपुर में राहुल शर्मा के यहां पहुंचाता था। राहुल राज का दोस्त धर्मपाल (निवासी गंगानगर राजस्थान) रिश्वत की राशि राहुल के नाम से एकत्रित करता था।
अब दिल्ली में हो रही पूछताछ
23 आरोपितों में अभी 13 की ही गिरफ्तारी हुई है। आरोपितों को सीबीआई पूछताछ के लिए दिल्ली लेकर गई है। पूछताछ और दस्तावेजों की जांच में अन्य आरोपितों के विरुद्ध प्रमाण मिलने पर इन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है। साथ ही कुछ और नर्सिंग कालेज संचालकों और दलालों को आरोपित बनाया जा सकता है।