विधायकों के लंबित आश्वासनों का होगा निराकरण

– मुख्य सचिव वीरा राणा विधायकों के सवालों, आश्वासन से जुड़े मामलों की करेंगी समीक्षा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा में लंबित आश्वासन  और सवालों का जल्द निराकरण किया जाएगा। विस में आश्वासन, शून्यकाल, प्रश्नों के अपूर्ण उत्तर और लोक लेखा समिति की सिफारिशों के मामले में कार्यवाही पेंडिंग होने से संबंधित 2438 प्रकरण हैं। इसको लेकर जल्दी ही मुख्य सचिव वीरा राणा संबंधित विभागों के साथ बैठकें करने वाली हैं। जिसके निराकरण पर इस बैठक के पहले जोर आजमाईश शुरू हो गई है। गौरतलब है कि विधानसभा का बजट सत्र करीब आते ही सरकार का ध्यान विधानसभा में विधायकों से जुड़ी कार्यवाहियों की ओर गया है। संसदीय कार्यविभाग ने विधानसभा सचिवालय से मिली जानकारियों के आधार पर सभी विभागों के आला अफसरों को पत्र लिखकर अपेक्षित जानकारी विधानसभा सचिवालय को भेजने और इनका निराकरण करने को कहा है। बजट सत्र के पहले मुख्यसचिव वीरा राणा इन पूरे मामलों की समीक्षा करेंगी। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद विधानसभा के बजट सत्र की तारीख का ऐलान कर दिया जाएगा। इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। बजट सत्र जुलाई में होना तय है। चार जून के बाद विस सचिवालय तारीखों को लेकर सीएम को प्रस्ताव भेजेगा। सरकार ने अनुमति मिलते ही सत्र की तारीखों का ऐलान हो जाएगा।
विधानसभा में आश्वासन के 1311 प्रकरण
संसदीय कार्य विभाग ने कहा है कि विधानसभा में आश्वासन के पेंडिंग मामलों की कुल संख्या 1311 है। इसमें सबसे अधिक 164 नगरीय विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से संबंधित हैं। इसके अलावा 141 लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री व उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, 129 स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह और 108 राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा के विभाग से संबंधित हैं। पेंडिंग आश्वासन प्रकरणों की कैटेगरी में गृह मंत्री डॉ मोहन यादव के विभाग के 83, पंचायत और ग्रामीण विकास के मंत्री प्रहलाद पटेल के विभाग के 76, जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह के 70 केस हैं। साथ ही जीएडी के 40, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के 54, लोक निर्माण के 53, पीएचई और जल संसाधन के 52-52, उच्च शिक्षा के 28, सहकारिता के 23, उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण के 20, महिला और बाल विकास तथा वन के19-19, आयुष के 18, अनुसूचित जाति कल्याण के 17, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास व श्रम के 14-14, खनिज साधन व परिवहन के 13-13, वित्त और नर्मदा घाटी विकास के 12-12, खेल और युवा कल्याण के 9, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन के 8, धार्मिक न्यास और धर्मस्व के सात, योजना, आर्थिक सांख्यिकी, सामाजिक न्याय और निशक्तजन के 6-6, वाणिज्यिक कर के 4 सवालों के आश्वासन के जबाव दिए जाने बाकी हैं। साथ ही संस्कृति, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण, गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास, एमएसएमई, पर्यटन विभाग के तीन-तीन, विमानन, पशुपालन , जनसंपर्क, जेल विभाग के दो-दो तथा पर्यावरण विभाग से संबंधित एक आश्वासन पेंडिंग है।
 188 अपूर्ण उत्तर जीएडी के
विधायकों द्वारा किए जाने वाले सवालों के पूरे जबाव नहीं दिए के चलते अपूर्ण उत्तर की कैटेगरी में शामिल किए गए सवालों में सबसे अधिक 188 सामान्य प्रशासन के हैं। इसके बाद  कृषि के 166, गृह विभाग के 129, नगरीय विकास विभाग के 59, सहकारिता के 46, जनजातीय कार्य विभाग के 44, पंचायत और ग्रामीण विकास तथा वित्त के 37-37, स्कूल शिक्षा के 34, राजस्व के 32, योजना आर्थिक सांख्यिकी व धार्मिक न्यास और धर्मस्व के 26-26, जल संसाधन के 24 अपूर्ण उत्तर हैं।  अनुसूचित जाति कल्याण के 19, परिवहन के 18, वाणिज्यिक कर के 15, लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के 14, उच्च शिक्षा के 13, महिला और बाल विकास व तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के 9-9, पीएचई, खनिज साधन, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण, जनसंपर्क विभाग के छह-छह सवालों के पूर्ण उत्तर दिए जाना बाकी है। खेल और युवा कल्याण विभाग के तीन, लोक निर्माण के 2,   सवाल का भी जवाब अभी जाना है। अपूर्ण उत्तर की कैटेगरी वाले सवालों की कुल संख्या 994 है।
शून्यकाल के मामले…
विधानसभा में शून्यकाल के पेंडिंग मामलों में सबसे अधिक दस मामले राजस्व विभाग से संबंधित हैं। इसके अलावा पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के छह, स्कूल शिक्षा विभाग के पांच, जनजातीय कार्य विभाग के चार मामले पेंडिंग हैं। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग, गृह, सहकारिता, पीएचई, उच्च शिक्षा, परिवहन, महिला और बाल विकास, वन, खनिज साधन, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास, नर्मदा घाटी विकास, संस्कृति, पर्यटन विभाग के एक-एक, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन, श्रम, धार्मिक न्यास और धर्मस्व, लोक निर्माण विभाग के दो-दो, नगरीय विकास और आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, जल संसाधन विभाग के तीन-तीन केस हैं जिसका जबाव भेजा जाना है। शून्यकाल के कुल पेंडिंग मामलों की संख्या 56 है।

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