पीले सोने पर बारिश की मार, रबी की फसलों को होगा फायदा

पीले सोने

भोपाल/विनोद उपाध्याय/ बिच्छू डॉट कॉम।  प्रदेश में इस बर औसत से अधिक बारिश होने का दौर जारी है। यह बारिस अब ऐसे समय हो रही है जब पीला सोना यानि की सोयबीन की फसल में फूल आने के बाद उनमें फलियां बननी शुरू हो चुकी हैं।  ऐसे में बीते कई दिनों से हो रही रुक -रुक कर बारिस की वजह से जहां सोयाबीन की फसल खराब होने की संभावना तेजी से बड़ रही है तो वहीं ,रबी फसल के लिए इसे अच्छा माना जा रहा है। जिन  इलाकों  में सोयाबीन फसल को सबसे अधिक नुकसान की संभावना है उनमें  मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड, विंध्य और भोपाल संभाग के कई जिले शामिल हैं।
छतरपुर जिले के एक किसान का कहना है कि इस बार अधिक बारिश होने से तिली की भी फसल भी खराब गई है , जिसकी वजह से लागत निकलना भी मुश्किल दिख रहा है। इसकी वजह से किसानों के सामने दोहरा सकंट खड़ा होने लगा है। दरअसल यह फसल खराब होने से जहां उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना होगा तो वहीं पैसे के अभाव में रबी फसल के लिए खाद बीज का इंतजाम करना भी  मुश्किल रहेगा। इसकी वजह से अभी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखना शुरू हो गई हैं। दरअसल खासतौर पर उन सहकारी समितियों में खाद मिलना मुश्किल है जो डिफॉल्टर की श्रेणी में जा चुकी है। कृषि विभाग के अफसरों का कहना है कि जमीन गीली होने से सोयाबीन की हार्वेस्टिंग नहीं हो पा रही है। रबी फसल के लिए हालांकि सरकार द्वारा पहले से ही खाद का भंडारण करना तय किया गया है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि इस बार खाद का संकट पैदा  नहीं होगा।
यह है सोयाबीन फसल की स्थिति
प्रदेश में सोयाबीन खरीफ की एक प्रमुख फसल है, जिसका रकबा करीब 53 लाख हेक्टेयर है। अकेले मालवा जलवायु क्षेत्र में सोयाबीन का क्षेत्रफल लगभग 22 से 25 लाख हेक्टेयर अच्छादित है। उज्जैन जिले में सोयाबीन की खेती लगभग 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की जाती है। इसी तरह से राज्य के अन्य अंचलों में भी यह फसल सबसे मुख्य फसल रहती है। रीवा, जबलपुर संभाग के प्रभारी संयुक्त संचालक केएस नेताम का कहना है कि बारिश की वजह से सोयाबीन-मक्का की फसल तो प्रभावित हो ही रही है साथ ही इसका असर उड़द-मूंग पर भी हुआ है। सागर संभाग के संयुक्त संचालक सागर बीएल मालवीय का कहना है कि जिन किसानों ने लेट सोयाबीन की बोवनी की है, उनकी फसल बच सकती है।  इसी तरह से भोपाल, होशंगाबाद संयुक्त संचालक कृषि बीएल बिलैया के अनुसार सभी जिलों से फसलों की नुकसानी की रिपोर्ट मांगी है। खाद की डिमांड बोनी की शुरूआत हो बढ़ेगी।
किसानों के लिए खाद बड़ी समस्या
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि डीएपी और यूरिया की 1-1 बोरी के लिए किसान दिनभर लाइन में लगे हुए हैं। छतरपुर जिले में उदाहरण भी सामने आए हैं। सोसायटियों पर किसानों को 1 एकड़ पर 1 बोरी यूरिया व 3 एकड़ पर 2 बोरी डीएपी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खुले बाजार और सोसायटी के खाद के दाम में भी भारी अंतर है।
फसल नुकसान का दिया जाएगा मुआवजा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बेमौसम बरसात से कई जगह हमारे किसान भाई-बहनों की फसलों को क्षति पहुंची है। लेकिन वे चिंता नहीं करें। प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल फसलों के नुकसान का सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। सर्वे कर, क्षति के आंकलन के आधार पर किसानों राहत राशि दी जाएगी।

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