आधा दर्जन मंत्रियों के कामकाज पर उठ रहे सवाल

संघ और सहयोगी संगठनों ने गिनाई कामकाज की खामियां

भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भाजपा की सरकार बने हुए करीब तीन साल का समय हो चुका है, लेकिन अब भी आधा दर्जन मंत्री ऐसे हैं जिन्हें, अब तक अपनी मातृ संस्था और उसके सहयोगी संगठनों के एजेंडा तक की समझ नहीं आ सकी है। यही वजह है कि चुनावी साल में संघ और उसके सहयोगी संगठनों को सरकार और उसके मंत्रिमंडल के सदस्यों को अपना एजेंडा देकर उस पर तेजी से अमल करने की नसीहत देनी पड़ रही है। इनमें खासतौर वे मंत्री शामिल हैं, जिन्हें बड़े नेताओं की सिफारिश या फिर जातिगत समीकरण साधने की वजह से मंत्री बनाया गया है। बीते रोज राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख अनुषांगिक संगठनों के साथ मंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें जमीनी फीडबैक के साथ ही संघ का एजेंडा मंत्रियों को दिया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद भी मौजूद रहे। संघ से जुड़े संगठनों ने प्राकृतिक खेती, नई शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम में बदलाव जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की सलाह दी गई है। इस बैठक की अहमता इससे समझी जा सकती है कि उसमें शामिल होने के लिए खाासतौर पर शिवप्रकाश विमान से भोपाल आकर सीधे सीएम हाउस गए थे। यह पहला मौका है जब संघ के अनुषागिंक संगठन  भारतीय किसान संघ, मजदूर संघ, विद्यार्थी परिषद के प्रांतीय स्तर के पदाधिकारी भी शामिल हुए। यह बैठक भी  हाल ही में इंदौर में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक के बाद बुलाई गई थी, जिससे इसे उससे जोडक़र भी देखा जा रहा है। इस बैठक में प्रमुख विभागों से जुड़े कामकाज नहीं होने और समन्वय के पूरी तरह से अभाव पर बात की गई थी। लिहाजा इस बैठक में तमाम मसलों पर बात की गई है। अगर सूत्रों की माने तो  कृषि मंत्री कमल पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार और श्रम व खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के विभागों से संबंधित कामकाज पर खासतौर पर चर्चा की गई। गौरतलब है कि संघ का कोर एजेंडा शिक्षा, कृषि और मजदूरों के साथ लॉ एंड ऑर्डर से संबंधित ही होता है। यही वजह है कि इनसे जुड़े मंत्रियों को इनके विभाग से जुड़े कामों के बारे में बात की गई है।
मजदूरों  संबधी सर्वाधिक मामले
संघ के संगठनों में सबसे ज्यादा मुद्दे स्कूल व उच्च शिक्षा से जुड़े थे और बाद में असंगठित क्षेत्रों से जुड़े मजदूरों के मामले में भी चर्चा की गई। संघ के कई संगठन मजदूरों के बीच काम करते हैं। चुनाव के समय इनकी भूमिका बेहद अहम होती है। इसकी वजह से ही श्रम विभाग से कहा गया है कि वे एक-दो माह के भीतर उनसे संबधित कामकाज को पूरा कर उसकी रिपोर्ट दें। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि बताए गए सभी काम समय पर पूरे कर लिए जाएंगे।
इन मामलों पर भी हुआ मंथन
बताया जाता है कि संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों से मिले फीडबैक के बाद मंत्रियों की कार्यप्रणाली को लेकर भी शिवप्रकाश ने संगठन के साथ ही मुख्यमंत्री से चर्चा की। मालवा में जयस, भीम आर्मी और करणी सेना जैसे संगठनों के प्रभाव के कारण बन रही चुनावी चुनौतियों से निपटने पर भी मंथन किया गया।  इसके अलावा आदिवासी सीटों पर भी ध्यान देने को कहा गया।
अब कोर ग्रुप की बैठक पर नजर
ग्वालियर में 16 अप्रैल को अंबेडकर महाकुंभ का आयोजन होना है। इस कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल, सीएम शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेन्द्र सिंह तोमर सहित मप्र भाजपा के नेता शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के बाद 18 अप्रैल को भोपाल में प्रदेश बीजेपी कार्यालय में कोर ग्रुप की बैठक बुलाई जा रही है। इस बैठक में प्रदेश भर से मिले फीडबैक पर चर्चा होगी। इसी बैठक के बाद कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।  बीजेपी ने अलग-अलग जिलों में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की जिम्मेदारी 14 बड़े नेताओं को दी थी। इन सभी नेताओं का फीडबैक मिलने के बाद यह बैठक होनी जा रही है।

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