प्रदेश के गरीबों पर भी कर थोपने की तैयारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एसी कमरों में बैठकर सरकारी सुविधाओं का उपभोग करने वाले अफसरों द्वारा किए जाने वाले निर्णय आम आदमी से लेकर सरकार तक के लिए कभी कभी के लिए मुसीबत भरे बन जाते हैं।  ऐसा ही एक निर्णय हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों ने किया है। इसके तहत अब गरीबों से कर वसूली करने का तय कर लिया गया है। इसके तहत गरीबों के आने जाने व फसल ढोने के काम आने वाली साइकिल से लेकर बैलगाड़ी तक पर सरकार द्वारा कर की वसूली की जाएगी।
इसके पीछे अफसरों का तर्क है कि यह नई व्यवस्था  पंचायतों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए बनाई जा रही है। यह व्यवस्था स्व निधि से समृद्धि अभियान के लिए बनाई गई है। यह नई कर व्यवस्था लागू होनेू से पहले ही सवालों के घेरे में आ गई है। यह कर प्रणाली ग्राम्य जीवन की व्यवस्था के लिए बड़ा सकंट बन सकती है। इसका प्रतिकूल असर व्यापक रुप से पड़ने  की संभावना है।  इसका सबसे बड़ा असर गरीबों के  आवासों पर  पड़ना तय है। अनिवार्य करों में शामिल संपत्ति कर का जो निर्धारण किया गया है ,उसमें प्रधानमंत्री आवास को भी कर के दायरे में लाया जा रहा है। इसकी वजह से इन आवासों के मालिकों को 500 रुपये हर साल कर देना होगा।  हालांकि संबंधित कर का निर्धारण वैकल्पिक किया गया है , लेकिन कर  प्रणाली में इसे शामिल करना ही शासन की सोच पर सवाल खड़ा कर रहा है।
इन करों की वसूली अनिवार्य
इसी तरह पंचायतों में अनिवार्य कर की व्यवस्था तय की गई है। इसमें भूमि तथा भवन पर संपत्ति कर, निजी शौचालयों पर कर, प्रकाश कर तथा वृत्ति कर शामिल हैं। ये कर एक अप्रैल से आगामी 31 मार्च तक के वर्ष के लिये अधिरोपित होंगे। यही नहीं गरीबों का उन आवासों पर भी सम्पत्ति कर देना होगा, जो उन्हें आवास योजना के तहत प्रदान किए गए हैं। इस कर की राशि  पांच सौ रुपए सालाना होगी। दरअसल ग्राम सभा अनिवार्य कर  नियम 2001 के तहत संपत्तिकर की जो दर तय की गई है ,उसके अनुसार जिस संपत्ति का पूंजी मूल्य 6 से 12 हजार के बीच है उसे न्युनतम 100 रुपये संपत्ति कर देय होगा। इसी तरह से 12 हजार रुपये से अधिक पूंजी मूल्य के भवनों पर न्यूनतम 500 रुपये संपत्तिकर देय होगा। इसमें प्रधानमंत्री आवास 12 हजार रुपये से अधिक पूंजी मूल्य के दायरे में आ रहे हैं , जिन पर भी 500 रुपये सालाना टैक्स देना होगा। इसी तरह से पशुओं के रजिस्ट्रीकरण पर भी कर वसूली की जाएगी। इसमें सुअर, बकरा, बकरी, व  बछड़ा पर न्यूनतम 3 व अधिकतम 20 रुपये, भैंसा, बैल, गाय, घोड़ा व घोड़ी पर न्युनतम 5 व अधिकतम 25 रुपये और भैंस, ऊंट के लिये भी  पंजीयन फीस लगेगी।
सरकार के लिए खड़ी होगी मुश्किल
पंचायतों की आर्थिक आत्मनिर्भरता को लेकर मप्र. पंचायत राज संचालनालय ने पंचायतों के लिये स्वयं की आय के जो प्रावधान किये हैं वे विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। ग्राम पंचायतों के लिये वैकल्पिक कर की जो व्यवस्था दी गई है उसमें ग्राम पंचायत क्षेत्र की सीमाओं के भीतर किराए पर चलाए जाने के उपयोग में आने वाली बैलगाड़ियों , साइकिलों एवं रिक्शों पर प्रति यान प्रतिवर्ष 10 रुपये का कर लगाया जाएगा। इस कर को अब जजिया कर के रूप में बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि आज भी कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोग काफी गरीबी में जीते हैं। उन्हें अपनी दिनचर्या के लिये बैलगाड़ी और साइकिलें किराए पर लेनी पड़ती है। ऐसे में इन पर अगर टैक्स लगता है तो इनकी दरों में भी इजाफा होगा जिसका असर गरीबों पर होगा। इसमें सवारी करने, चलाने, खींचने या बोझा ढोने के लिये उपयोग में लाए जाने वाले पशुओं पर भी कर की व्यवस्था दी गई है। चारागाहों में पशुओं को चराने के लिये भी कर की व्यवस्था तय की गई है। मोटरयानों से भिन्न यानों के स्वामियों से पंचायत क्षेत्र में प्रवेश पर 5 रुपये प्रतिदिन लगाया जा सकेगा।

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