सरकार के सुशासन पर भारी एक अधिकारी

  • भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण निलंबित बरकड़े 15 दिन में बहाल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में सरकार का पूरा फोकस सुशासन पर है। लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री त्रिलोक सिंह बरकड़े सरकार के सुशासन पर भारी पड़ रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जल जीवन मिशन में लापरवाही पर 22 अप्रैल को सिंगरौली ईई त्रिलोक सिंह बरकड़े को निलंबित किया गया था। लेकिन 15 दिन बाद ही उन्हें फिर से वही जिम्मेदारी दे दी गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हमेशा आरोपों और भ्रष्टाचार में घिरे इस अधिकारी पर इतनी मेहरबानी क्यों? गौरतलब है कि भ्रष्टाचार और कार्य में लापरवाही के मामले में सीधी लोकस्वास्थ यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री बरकड़े को 22 अप्रैल को निलंबित किया गया था। निलंबन आदेश में लिखा था कि जल जीवन मिशन और विभागीय कार्यों की प्रगति की जानकारी में यह सामने आया कि बरकड़े द्वारा खंड सिंगरौली अंतर्गत जलजीवन मिशन के कार्यों में यथा एफएचटीसी, हर घर जल योजनाओं के ग्राम पंचायतों के हस्तांतरण तथा अनुबंध अवधि समाप्त होने के उपरांत भी योजनाएं पूर्ण किए जाने के कार्यों की प्रगति नगण्य है। बरकड़े का यह कार्य अपने पदीय कर्तव्यों के प्रति उदासीनता एवं लापरवाही का द्योतक है। इस कारण उन्हें निलंबित कर कार्यालय मुख्य अभियंता पीएचई में पदस्थ किया गया था।
जहां से निलंबित, वहीं हो गए पदस्थ
त्रिलोक सिंह बरकड़े पर अफसरों की मेहरबानी का आकंलन इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें जहां से निलंबित किया गया था, फिर से वहीं पदस्थ कर दिया गया है। पन्द्रह दिन बाद बरकड़े इतने अच्छे अधिकारी हो गए कि जिस जिले में हुए घटिया कार्यों तथा लापरवाही के कारण उन्हें निलंबित किया गया था। वहीं उन्हें फिर पदस्थ कर दिया गया। साथ ही विभाग को 250 करोड़ की राशि भी कार्यों के लिए दे दी गई। प्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि जिस जिले के काम की धीमी गति के कारण उन्हें निलंबित किया गया था। वही फिर पदस्थ कर दिया गया। यह हाल है केन्द्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जल निगम के कार्यों की। ऐसे में मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगेगी। इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
समीक्षा के दौरान सामने आई थी गड़बड़ी
उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को जल जीवन मिशन की कार्य की रफ्तार धीमी पर बरकड़े को निलंबित किया गया था। साथ ही 11 अन्य इंजीनियरों को नोटिस जारी किया गया था।  यह कार्रवाई पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने मिशन की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा के दौरान की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर गांव में नलों के जरिए पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन में कुछ अफसर लापरवाही कर रहे हैं। कामों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सागर, जबलपुर, उमरिया, दतिया, सतना, विदिशा, गुना, अलीराजपुर, रतलाम, दमोह और मंदसौर के कार्यपालन यंत्रियों को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। नरहरि ने कहा कि मैं खुद और प्रमुख अभियंता विभिन्न जिलों  के ग्रामीण क्षेत्रों का लगभग प्रत्येक सप्ताह दौरा कर जल जीवन मिशन व अन्य कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं। इसी तरह सभी मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री भी हर हफ्ते अपने कार्य क्षेत्र के गांवों का निरीक्षण करें और रिपोर्ट प्रमुख अभियंता को दें। यही नहीं सिंगरौली में पदस्थ इंजीनियर बरकड़े पर घूस लेने का आरोप है। उन्होंने रिश्वत की राशि एक ठेकेदार से ली है। खास बात यह कि घूस भी कैमरे के सामने ली है। उन्हें घूस लेते हुए कैमरे में कैद करने का काम पब्लिक वाणी की टीम ने किया है। मामले का खुलासा होने के बाद प्रमुख सचिव ने मामले की जांच के निर्देश विभाग के प्रमुख अभियंता को दिए थे। प्रमुख अभियंता ने जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में घूस लिए जाने की पुष्टि हो गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद बरकड़े को निलंबित किया गया था।

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