
- आपसी सहमति से किसानों, भूमि स्वामियों की जमीन का अधिग्रहण करने पर राज्य सरकार प्रशासनिक व्यय की राशि भी वसूलेगी
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार और उसके उपक्रमों की लिए किसी भी अधोसंरचना कार्य और परियोजनाओं के लिए भूमि क्रय के बिंदुओं में परिवर्तन किया है। इसके बाद अब केंद्र सरकार के निर्माण और परियोजनाओं के मामले में भी आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति के अंतर्गत अधिग्रहण की कार्यवाही की जा सकेगी। इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। दरअसल अब तक भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के अंतर्गत इस प्रक्रिया का पालन करने में करीब तीन से पांच साल तक का समय लग जाता है। ऐसे में परियोजनाओं और योजनाओं के काम में विलंब होता है। यही वजह है कि इसे सरल बनाते है अब केंद्र सरकार को इस व्यवस्था से जुड़ने के लिए राज्य सरकार ने परिपत्र की कंडिका में राज्य शासन के साथ केंद्र शासन और राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार शब्द जोड़ दिए हैं। इस बदलाव के बाद अब केंद्र सरकार और उसके उपक्रमों को भी आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति के अंतर्गत जमीन दी जा सकेगी।
यही नहीं आपसी सहमति से किसानों, भूमि स्वामियों की जमीन का अधिग्रहण करने पर राज्य सरकार प्रशासनिक व्यय की राशि भी वसूलेगी। यह प्रशासनिक व्यय जमीन के कुल रकबे का कलेक्टर गाइडलाइन में तय कुल बाजार मूल्य का एक प्रतिशत होगा। खास बात यह है कि इसमें भूमि के अलावा मकान पर और अन्य अचल संपत्तियों की कीमत का आकलन भी बाजार मूल्य पर किया जाएगा। ऐसे में प्रदेश सरकार के खजाने में अब जमीन अधिग्रहण से भी करोड़ों की राशि जमा होगी।
प्राधिकृत अधिकारी द्वारा कलेक्टर को किया जाएगा आवेदन: जारी किए गए नोटिफिकेशन स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि विभाग अथवा उपक्रम सबसे पहले अधोसंरचना, परियोजना के लिए क्रय की जाने वाली भूमि की न्यूनतम आवश्यकता का आंकलन कर निजी जमीन मालिक की क्रय की जाने वाली भूमि चिन्हांकित करेगा। इसके बाद जरूरत के मुताबिक भूमि क्रय करने के लिए विभाग अथवा उपक्रम के प्राधिकारी द्वारा कलेक्टर को आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। केंद्र सरकार के विभाग अथवा उपक्रम के मामले में नीति के अंतर्गत कार्यवाही के लिए भूमि या भूखंड तथा उस पर स्थित अचल परिसंपत्तियों के कुल बाजार मूल्य का एक प्रतिशत प्रशासनिक व्यय लिया जाएगा।
प्रशासनिक व्यय के रूप में वसूली जाएगी राशि
दरअसल केंद्र सरकार और उसके उपक्रम जैसे बीएसएनएल, रेलवे, एनटीपीसी, पावर ग्रिड और एनएचएआई सहित अन्य के द्वारा विकास कार्यों के मद्देनजर प्रदेश सरकार के माध्यम से जमीन का अधिग्रहण की कराया जाता है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार अब तक इस जमीन का अधिग्रहण करने के बदले कोई शुल्क केंद्र व राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम से नहीं लेती थी। वहीं अब सरकार ने तय किया है कि इसके लिए संबंधित एजेंसी से प्रशासनिक व्यय के रूप में राशि वसूली जाएगी। इसके लिए कुल अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का एक प्रतिशत शुल्क तय किया गया है। बता दें कि राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के द्वारा आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति 2014 के निर्देश के अंतर्गत प्रशासन के व्यय के रूप में वसूली जाने वाली राशि राज्य सरकार के ही खाते में आएगी इसलिए नियमों में किए गए संशोधन में राज्य सरकार से प्रशासनिक व्यय वसूली का उल्लेख नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार और उसके उपक्रमों के लिए राशि वसूली के लिए राजस्व विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।