नरोत्तम जी! आखिर यह क्या हो रहा है इंदौर पुलिस में

नरोत्तम जी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। इंदौर प्रदेश का ऐसा शहर बन चुका है, जिसे अवैध शराब की बिक्री के लिए सबसे अधिक मुफीद माना जाने लगा है। शहर में पुलिस, आबकारी, प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण के चलते शराब माफिया जमकर फलफूल रहा है। इसी शराब के मामले में दो दिन पहले इससे जुड़े सिडिंकेट के आफिस में बुलाकर शराब व्यवसाय से जुड़े एक ठेकेदार को गोली मार दी गई। हद तो यह हो गई कि इस मामले की रिपोर्ट में पुलिस ने षडयंत्र के दो प्रमुख आरोपियों का नाम ही एफआईआर से बाहर कर दिया, जिसकी वजह से फरियादी को अस्पताल से पुलिस को एक आवेदन देना पड़ा है। पुलिस की इस कार्यप्रणाली को देखकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इंदौर पुलिस में यह क्या हो रहा है। इंदौर पुलिस के यह हाल तब है जबकि स्वयं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा  इंदौर जिले के प्रभारी भी हैं। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब गोली लगने से घायल फरियादी अर्जुन ठाकुर लगातार एके सिह और पिंटू भाटिया पर हत्या करवाने के षडयंत्र का आरोप लगा रहा है तो पुलिस उन दोनों का नाम एफआईआर में दर्ज करने को तैयार क्यों नहीं हो रही है। इससे स्वयं ही पुलिस और उसके अफसर संदेह के घेरे में आ रहे हैं।
शिवराज जी, जब आपने सार्वजनिक रुप से चेतावनी दी थी कि तमाम तरह के माफिया या तो मध्यप्रदेश छोड़ दें या सुधर जाएं अन्यथा जमीन मेंं गाड़ दिए जाएंगे। इसके बाद पुलिस व प्रशासन द्वारा शुरू की गई कार्रवाई से सभी माफिया भयाक्रांत हो गए थे, लेकिन अब न जाने क्या हो गया कि वही माफिया अब पूरी तरह से बैखोफ होकर सारी हदें तोड़ने पर आमादा बने हुए हैं। इंदौर में हुए शराब सिंडिकेट गोली कांड की खास बात यह है कि आरोपी पक्ष जहां एक भाजपा सरकार की महिला मंत्री से तो दूसरा फरियादी पक्ष भाजपा की ही महिला विधायक से जुड़ा हुआ है।
बीते रोज राजश्री अपोलो अस्पताल में इलाजरत अर्जुन ठाकुर ने एफआईआर की कापी मिलने के बाद उसमें एके सिंह और पिंटू भाटिया का नाम शामिल न होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। इसके बाद अस्पताल से ही उसके द्वारा विजयनगर टीआई को एक शिकायती पत्र लिखा गया है, जिसकी प्रति स्थानीय डीआईजी और एसपी को भी भेजी गई है। इसमें कहा गया है कि विवाद मीटिंग के दौरान नहीं हुआ था, बल्कि षडयंत्र के तहत उसे मीटिंग के नाम पर बुलाया गया था और वह जब अपने साथियों के साथ ए के सिंह और पिंटू भाटिया का इंतजार कर रहा था, तभी आरोपी गणों ने आकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस पत्र में उसने लिखा है कि उस पर हमला एके सिंह, भाटिया एवं हेमू ठाकुर, चिंटू ठाकुर और सतीश भाऊ द्वारा संगठित रूप से हमला किया गया है। इसलिए इस मामले में एके सिंह और पिंटू भाटिया को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए। फिलहाल इस मामले में आरोपी बनाए गए हेमू ठाकुर, चिंटू ठाकुर और सतीश भाऊ  में से अभी हेमू ठाकुर फरार है। बांकी चिंटू ठाकुर और सतीश भाऊ ने सरेंडर कर दिया है। उधर फरियादी का कहना है कि उसे पुलिस द्वारा बामुश्किल से एफआईआर की कॉपी दी गई है।
कई माह पहले से ही रची जा रही थी साजिश
शराब दुकानों के मामले में जो गोली कांड दो दिन पहले हुआ है इसकी साजिश कई माह पहले ही रच ली गई थी। योजना के तहत ही सिंडिकेट संचालक रमेश चंद्र राय ने अपने दामाद के फायदे के लिए जिले की सभी 175 दुकानों के अहातों का ठेका एकमुश्त अशोक चावला को दे दिया था। इसके बाद बीते साल के अंतिम दो माह में कई बार छोटे मोटे संघर्ष हुए थे, लेकिन इसके बाद भी पुलिस व प्रशासन ने उन पर गंभीरता नहीं दिखाई। यही वजह है कि इस गोलीकांड की जड़ में गांधीनगर शराब दुकान है , जिसे सिंडिकेट अपने हाथ में लेना चाहता है।
माना जा रहा है कि इस पूरे मामले में कूटनीतिक दिमाग रमेश चंद्र राय और पिंटू भाटिया का है जो कि जिले की सभी शराब दुकानों पर अपना कब्जा चाहते हैं। अक्टूबर में राय के सिंडिकेट महाकाल लिकर कांट्रेक्टर ने जब शहर के सभी अहाते आकाश चावला को दे दिए थे , तब मुकेश नामदेव के दूसरे सिंडिकेट मां कस्तूरी इंटरप्राइजेज और अहाता संचालकों ने राय के फैसले के विरोध में मोर्चा खोल दिया था । उस समय चावला और उनके गुर्गों ने अर्जुन ठाकुर पर रघुनाथ पेट्रोल पंप के सामने संचालित शराब दुकान और स्टेडियम ग्राउंड में चल रही छोटी खजरानी शराब दुकान के अहाते को लेने के लिए बेहद प्रयास किए थे , लेकिन सफलता नहीं मिल पायी थी। इसके बाद चावला ने शहर के कुख्यात बदमाशों की टीम बनाकर उनके माध्यम से सभी अहातों पर कब्जा कर लिया था।
अब एनएसए के तहत कार्रवाई की तैयारी
पूरे घटनाक्रम के बाद गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कानून और व्यवस्था बिगाड़ने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। इंदौर के शराब माफिया पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी और इनकी संपत्ति नेस्तनाबूत की जाएगी। इसके बाद पुलिस द्वारा आरोपी शराब माफिया के मकानों, दुकानों तथा अन्य प्रतिष्ठानों के कागजातों की तलाश शुरू कर दी गई है। इसके बाद उनकी अवैध संपत्ति जमींदोज करने की भी योजना बताई जा रही है।
वर्चस्व की होड़ में मारी गोली
इंदौर में शराब कारोबारियों का सिंडिकेट दो साल पहले बना था, जो 174 दुकानें संचालित करता है। सरकार की नीति के तहत सिंडिकेट को ए और बी ग्रुप में बांटकर सभी कारोबारी एक ही रेट पर दुकानें चलाते हैं। इन दुकानों के साथ संचालित होने वाले अहातों को शहर के हिस्ट्रीशीटर गुंडे व गैंगस्टरों को दे रखा है। यही वजह है कि इन दोनों ग्रुप में लंबे समय से तनातनी चल रही है। इसकी बड़ी वजह है अर्जुन की एबी रोड स्थित शराब दुकान है। इसके अलावा आरोपी पक्ष द्वारा कुछ लोगों के साथ मिलकर धार व देवास की वाइन शॉप भी ले रखी है। वहां से सस्ती शराब ये इंदौर बुलाते हैं, जिसकी वजह से शराब ठेकों में नुकसान हो रहा है। हाल ही में बाणगंगा पुलिस ने 53 पेटी शराब पकड़ी थी, जिसकी वजह से आरोपी हेमू ठाकुर व पिंटू को शंका थी कि यह कार्रवाई अर्जुन ने कराई है। दरअसल सिंडिकेट के एकाधिकार वाले जिलों में अधिकृत से ज्यादा अवैध शराब की बिक्री होती है। इसमें आसपास की शराब डिस्टलरी की भी मिलीभगत रहती है।  
अब तक बचा रहा शराब माफिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विभिन्न मंचों से माफिया को चेतावनी दे चुके हैं कि या तो मध्यप्रदेश छोड़ दें या सुधर जाएं अन्यथा जमीन मेंं गाड़ दिए जाएंगे। इसके बाद प्रदेश में शुरू किए गए अभियान में भी राजनीतिक संरक्षण के चलते इंदौर का शराब माफिया पूरी तरह से सुरक्षित रहा।  
सरेन्डर या गिरफ्तार अलग-अलग दावे
गोलीकांड के दो आरोपी हेमू ठाकुर और सतीश भाऊ बुधवार सुबह पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि इन दोनों को उज्जैन के एक मनीष शर्मा नामक युवक ने पेश कराया है। उधर , पुलिस का दावा है कि दोनों को उसके द्वारा शहर के करीब स्थित एक सोया फैक्टरी के पास ढाबे से गिरफ्तार किया गया है।  
घाटा पूरा करने राय और नामदेव को मिलाया साथ
बीते साल सिंडिकेट को शराब ठेके में करोड़ों रुपए का घाटा हुआ था, जिसे पूरा करने के लिए ही शहर के बड़े शराब माफिया पिंटू भाटिया ने रमेश चंद्र राय और मनोज नामदेव को सिंडिकेट में शामिल किया था। सिंडिकेट में 32 अलग-अलग पार्टनर हैं, जिन्होंने मिलकर 980 करोड़ रुपए में इंदौर जिले का ठेका लिया है। इनमें पिंटू भाटिया 25, रमेश चंद्र राय 25, मनोज नामदेव 11, और अर्जुन ठाकुर 7 प्रतिशत के हिस्सेदार हैं। शेष में कई छोटे-छोटे हिस्सेदार हैं।  घाटा लगने की वजह से इस सिंडिकेट से रिंकू भाटिया और मोनू भाटिया ने अपनी तेरह फीसदी की भागीदारी समाप्त कर दी थी,  जिसके बाद  सिंडिकेट में शराब के सप्लायर ए के सिंह, झाबुआ के अल्पेश और धार के नन्हे सिंह को शामिल कर लिया गया था। दरअसल छोटे ठेकेदारों को मुनाफा ना देना पड़े इस कारण से एक बार डराकर सभी बड़े पार्टनर इस पूरे सिंडिकेट पर कब्जा करना चाहते थे। खास बात यह है कि इस सिंडिकेट का ही इंदौर, धार ,झाबुआ और अलीराजपुर के शराब कारोबार पर पूरा एकाधिकार है।
इस तरह से बढ़ी अदावत
मोहन ठाकुर की गांधी नगर में शराब की दुकान है , जिसका अहाता पिंटू लंगड़ा चलाता है। इस पर हेमू ठाकुर की नजर लगी हुई थी। सोमवार को हुए गोलीकांड के पहले ठाकुर के गुर्गों ने अहाते में जमकर न केवल तोडफोड़ की थी, बल्कि वहां लगी शराब ठेकेदार वीरेंद्र सिंह ठाकुर की तस्वीर भी फाड़ दी थी। यह जानकारी जब अर्जुन ठाकुर को मिली तो उसने सिंडिकेट से ही जुड़े मुकेश शिवहरे को फोन कर कहा था कि दिवंगत पिता की तस्वीर उसने नहीं बल्कि उसके सेल्समैन ने लगाई थी। अगर हमसे कहा जाता तो हम ही हटा लेते उसे फाड़ने की क्या जरुरत थी। इसकी जानकारी शिवहरे ने सिंडिकेट के संचालक रमेश चंद्र राय को दी गई , जिस पर ही उन्होंने इस विवाद को शांत कराने का जिम्मा पिंटू भाटिया को दिया था। इसके बाद ही बातचीत करने के लिए इन सभी को बुलाया गया था। जहां पर सिंडिकेट के लोगों द्वारा अर्जुन ठाकुर को गोली मार दी गई।

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