भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अब शराब की दुकान कहां संचालित होगी इसका फैसला भी माननीय ही करेंगे। यही नहीं अब बार लाइसेंस देने के अधिकार भी कलेक्टर को दिए जा रहे हैं। शराब की दुकान का स्थान तय करने के लिए आबकारी विभाग द्वारा इसके अधिकार जिले की उच्च अधिकार वाली समिति को दे दिए गए हैं। इस समिति में कलेक्टर के अलावा जिले के विधायक भी रहते हैं।
आबकारी विभाग द्वारा यह कदम दुकानों को लेकर होने वाले आए दिन विवादों से बचने के लिए उठाया गया है। इसकी वजह से अब दुकानों के स्थान को लेकर विधायक न तो शिकायत कर सकेंगे, बल्कि जनता का विरोध होने पर अफसर अपने सिर फूटने वाले ठीकरे से भी मुक्ति पा सकेंगे। हालांकि इस संबंध में विभाग द्वारा लिखे गए पत्र में प्रदेश भर में शराब दुकानों को जनसंख्या घनत्व के अनुसार व्यवस्थित करने की समस्या से पूरी तरह निजात दिलाने का तर्क दिया गया है। विभाग द्वारा इस पत्र में कलेक्टर व जिले के विधायक की समिति को शराब दुकानों को रिलोकेट (स्थान परिवर्तन) का अधिकार देने का भी उल्लेख किया गया है। इसके लिए आबकारी मुख्यालय से सभी जिलों से 4 दिन में प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। यह पत्र आबकारी मुख्यालय के सहायक आबकारी आयुक्त केसी अग्निहोत्री द्वारा लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि कई शहरों में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक, व्यावसायिक और रहवासी गतिविधियों के विस्तार से उनकी जन सांख्यिकी स्थिति काफी बदल चुकी है। इसकी वजह से कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र पूरी तरह मदिरा दुकान विहीन है और कुछ क्षेत्रों में मदिरा दुकानों का घनत्व वर्तमान आवश्यकता से अधिक है।
माना जा रहा है कि नए वित्त वर्ष 2022-23 में मदिरा दुकानों को कंपोजिट दुकानों में परिवर्तित किए जाने के परिणाम स्वरूप समस्त श्रेणियों की मदिरा दुकानों की रिलोकेशन स्थिति निर्मित हो सकती है इसलिए जिले में मदिरा दुकानों के रिलोकेशन के संबंध में कोई भी प्रस्ताव हो, उच्च स्तरीय जिला समिति से अनुमोदित कराकर 4 दिन के अंदर आबकारी मुख्यालय पहुंचाना तय करें। हालांकि पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि मौजूदा दुकानों का स्थान परिवर्तन करते समय जिला समिति को स्थानीय भावनाओं व आबकारी नियमों को भी ध्यान रखना होगा। गौरतलब है कि सरकार द्वारा प्रदेश की नई शराब नीति में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। सरकार हर हाल में प्रदेश में जहरीली और अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाना चाहती है। यही नहीं सरकार द्वारा नई नीति में शराब की कीमत कम करने के लिए भी कई कदमों का प्रावधान किया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की है। अभी प्रदेश में शराब के दाम अधिक होने की वजह से प्रदेश में दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाई गई शराब की बिक्री होना आम बात है।
बार लाइसेंस देने के अधिकार कलेक्टर को
प्रदेश की नई शराब नीति को कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दी जा चुकी है। यह 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। नई आबकारी नीति में बार लाइसेंस लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। इसकी वजह से अब जिले में बार लाइसेंस की मंजूरी कलेक्टर स्तर पर ही दी जाएगी। इसकी वजह से अब बार लाइसेंस के लिए विभाग और शासन तक चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। दरअसल प्रदेश में अधिकांश बीयर बार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में ही है। यह कदम विभाग द्वारा बार की संख्या वृद्धि के लिए उठाया गया है। इसके लिए राज्य शासन ने नियमों में परिवर्तन किया है। गौरतलब है कि अभी बीयर बार का लाइसेंस लेने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति सिफारिश करती है। इसके बाद प्रतिवेदन आयुक्त आबकारी के पास जाता है, जिसके बाद आयुक्त कार्यालय में परीक्षण के बाद प्रस्ताव को राज्य शासन के पास भेजा जाता है। इस लंबी पूरी प्रक्रिया में लाइसेंस लेने वालों को जिले से लेकर भोपाल तक कई चक्कर लगाने पड़ते थे। विभाग के मंत्री और अफसरों के यहां से फाइलों को स्वीकृति मिलने में काफी समय लग जाता है। यही वजह है कि इन परेशानियों को देखते हुए लोगों द्वारा बार लाइसेंस लेने से बचा जाता है।
इस तरह के उठाए जा रहे हैं कदम
प्रदेश में एक अप्रैल से लागू होने वाली नई शराब नीति में प्रदेश सरकार द्वारा कई तरह के नए प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत अब प्रदेश में शराब दुकानें कंपोजिट करने का भी फैसला कर लिया गया है। इसके तहत अब एक ही दुकान में देशी-विदेशी शराब बेची जाएगी। यही नहीं सरकार ने बड़े समूहों की जगह अब छोटे-छोटे समूह बनाकर दुकानों की नीलामी करने का भी निर्णय कर लिया है।
23/01/2022
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