जल संसाधन विभाग: सालों इंतजार के बाद अब एक माह में देनी होगी डीपीआर

संसाधन विभाग

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ जहां सरकार की प्राथमिकता में सिंचाई है, तो वहीं प्रदेश में जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों की वजह से डेढ़ दर्जन ऐसी परियोजनाएं हैं, जिन पर सालों से काम शुरू होना तो ठीक उसके लिए तैयारी तक नहीं की गई है। अब इस मामले में सरकार ने सख्ती दिखाई तो अब विभाग ने इन सभी लघु सिंचाई परियोजनाओं की डीपीआर एक माह के अंदर संबंधित इंजीनियरों से मांगी है। खास बात यह है कि अगर यह परियोजनाएं पूरी हो गई होती तो अब तक प्रदेश में करीब 8 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता में वृद्धि हो गई होती। यह हाल तब हैं जब, प्रदेश में मुख्यमंत्री द्वारा अगले तीन साल बाद यानी की 2025 तक प्रदेश में 53 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य तय किया हुआ है। अभी वर्तमान में सिंचाई विभाग के बांधों से महज 31.50 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई हो पा रही है। खास बात यह है कि लंबित इन डेढ़ दर्जन परियोजनाओं के निर्माण के लिए 4 हजार हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जानी है। दरअसल सिंचाई परियोजना का निर्माण के पहले उसके लिए  सर्वेक्षण करना होता है, जिससे की यह पता चल सके की संबंधित परियोजना से कितने हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। डूब में कितने गांव आएंगे, विस्थापन पर कितना खर्च आएगा और कितने  लोगों को विस्थापित करना होगा। इसके अलावा बांध की डीपीआर बनाई जाती है, जिससे उनके निर्माण का आंकलन हो सके। हद तो यह हो गई की सिंचाई विभाग के इंजीनियरों ने सालों से प्रस्तावित 8 सिंचाई परियोजनाओं का सर्वेक्षण तक नहीं किया। इन मामलों में महज परियोजनाओं के निर्माण का प्रस्ताव  भेजकर इति श्री कर ली। अब सरकार सख्त हुई तो उन्हें इन सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की याद आई। बताया जा रहा है कि इनके निर्माण पर करीब 80 करोड़ रुपए का खर्च आएगा और इनसे 8 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इनमें से आधी राशि डूब प्रभावित और विस्थापन कर खर्च करनी होगी। इस तरह कुल 125 करोड़ की राशि का भार अब सरकार के खजाने पर आएगा। राज्य सरकार ने इन सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में मुख्य अभियंताओं से 4 सप्ताह के भीतर डीपीआर मांगी है। साथ ही निर्देश दिए है कि कार्यपालन यंत्री सर्वे के पूर्व ही यदि कोई बड़ी बाधा जैसे किसानों का विरोध या आंकड़ों में त्रुटि आदि की स्थिति में शासन को अवगत कराना होगा।
यह सिंचाई परियोजनाएं लंबित
जो पिरयोजनाएं लंबित हैं उनमें बागदा बैराज, मुरहखेड़ी टैंक, दवदा बैराज, तालाखेड़ी बेयर, बिजासेन माता बेयर, निवाड़ीकलां टैंक, महेंद्रा टैंक, हथनी बैराज, बडगांव टैंक, बोरकलां टैंक, बोकड़िया टैंक, सूखीबावड़ी टैंक, पालपुर स्टापडैम, मानपुर बैराज, सिरपोई टैंक, मंडला बैराज, चरुवाहा बैराज तथा नीम सरई बैराज शामिल है।

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