एनसीआरबी के आंकड़ों ने बढ़ाई पुलिस प्रशासन की चिंता

एनसीआरबी
  • कम उम्र में अपराधी बन रहे बच्चे …

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नाबालिक बच्चों में अपराध की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है।  दरअसल, अपने सपनों और चाहतों को पूरा करने के लिए बच्चे जघन्य अपराध करने पर उतारू हो रहे हैं।
इस कारण प्रदेश में  हत्या, बलात्कार, तस्करी, चोरी, लूट जैसे जघन्य अपराधों में बच्चों की संलिप्तता पायी गयी है। एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में मध्यप्रदेश में जुवेनाइल क्राइम के सबसे ज्यादा केस आए हैं।  ये पिछले साल के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा है। 2021 में ऐसे 5684 मामले आए। जबकि, देश में बच्चों द्वारा किए गए अपराध कुल 31,170 दर्ज किए गए। राज्य में आंकड़ों के मुताबिक अपराध करने वालों बच्चों में अगर पढ़ाई का स्तर अच्छा है तो उनमें गिरावट दर्ज की गई है। गरीबी और अशिक्षा के कारण भी अपराध बढ़े।  बिना ज्यादा मेहनत  के  वह हर चीज को आसानी से प्राप्त करने की कोशिश करता है, इसके लिये वह कानून को धत्ता बताकर खुलेआम अपराध करता है। समाज में बालापराध बहुत तेजी से बढ़ रहे है। छोटे-छोटे बच्चे नशे की आदी होते जा रहे हैं।  बच्चों को अपराध की तरफ बढ़ाने में हमारे समाज का भी काफी योगदान रहता है। हमारे समाज का संकीर्ण दृष्टिकोण जिसके अनुसार कोई बच्चा थोड़ी-सी गलती कर बैठे तो फिर उसे बुरा मान लिया जाता है, उसके प्रति बुरी धारणा बना ली जाती है और बात- बात में उसे अपमानित किया जाता है, इससे भी बहुत से बच्चे अपराधी जीवन की ओर प्रेरित हो जाते हैं। भूल करना मनुष्य का जन्मजात स्वभाव है। शुरू में की गई गलतियों को भुला कर बच्चों के प्रति सौम्य व्यवहार रखने पर वे सुधर सकते हैं।
महंगी जरूरतें
मॉल कल्चर के इस जमाने में बच्चे के मन में महंगी जरूरतें पनपने लगती हैं।  जब उसके साथी ढेर सारी खरीददारी कर अपनी जेब का रौब दिखाते हैं, तब उसका भी मन करता है महंगी-महंगी चीजें खरीदने का। जब उसकी जेब में पैसे नहीं होते, तब वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये गलत रास्ता अख्तियार करता है। राजधानी में जुलाई में बैरागढ़ आंगनवाड़ी से खिलौने चोरी होने की वारदात सामने आई। इसमें दो नाबालिग चोर को पुलिस ने गिरफ्तार किया। कोलार में 14-15 साल के दो बच्चे ड्रग्स का नशा करते हुए पाए गए। चाइल्डलाइन में दोनों ने कबूला कि बड़े लड़कों ने उन्हें इन्फ्यूएंस किया। ये उदाहरण हैं जो बच्चों में बढ़ते अपराध के कारणों का दर्शाते हैं। राज्य में हर एक लाख में से 20 बच्चे अपराध कर रहे हैं। जबकि, ये दर देश में 7 बच्चों की है। बच्चों द्वारा क्राइम रेट में प्रदेश का चौथा स्थान है। दिल्ली, छत्तीसगढ़, पांडिचेरी में जुवेनाइल क्राइम रेट सर्वाधिक है। प्रदेश में हर एक लाख में से 67 बच्चे अपराध का शिकार होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि 98 फीसदी अपराधी बच्चों में 14 से 18 वर्ष तक में हिंसा की प्रवृति ज्यादा पाई गई।
मोबाइल, सोशल मीडिया ने बनाया हिंसक
चाइल्डलाइन की डायरेक्टर के अनुसार भोपाल बच्चों में हिंसक प्रवृति बढने के पीछे मोबाइल, सोशल मीडिया और फिल्में बड़ा कारण है। कम उम्र में ही बच्चे ज्यादा बड़े सपने देख रहे हैं। जब ये पूरे नहीं होते तो वे अपराध का सहारा लेते हैं। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत द्विवेदी बताते हैं कि कई बार नाबालिगों में रातों-रात अपनी इच्छाएं पूरी करने की जिद आ जाती है। इस उम्र में पीयर प्रेशर, त्वरित इच्छाएं अधिक होती हैं लेकिन समझ कम। ऐसे में वे हिंसा को अंजाम दे देते हैं। इसे रोकने के लिए सामाजिक, आर्थिक और मानसिक पहलुओं काम करने की जरूरत है।
यह कहते है आंकड़े
2021 वर्ष में अपराध
अपराध नाबालिग
चोरी 943
मादक पदार्थों
की तस्करी 609
बलात्कार 280
छेड़छाड़ 240
किडनेपिंग 215
हत्या का प्रयास 140
हत्या 126
लूट व डकैती 80
नारकॉटिक्स 59
गैंबलिंग एक्ट 51

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