मिशन-2023- भाजपा संकट हरन… संघ का मंगलमूर्ति प्रयोग

  • गौरव चौहान
भाजपा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा अब मप्र में अगले छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। प्रदेश भर से मिल रहे नेगेटिव फीडबैक और भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी-शिकायतों के साइड इफेक्ट को विधानसभा चुनाव में खत्म करने के लिए संघ अपने दो प्रचारकों को बतौर सह संगठन महामंत्री मध्यप्रदेश भेज सकता है। ये सह संगठन महामंत्री पार्टी के नाराज-असंतुष्ट नेताओं-कार्यकर्ताओं से संवाद करने के साथ सत्ता-संगठन में समन्वय के लिए काम करेंगे।
दरअसल, मिशन-2023 को लेकर प्रदेश के सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों से जो फीडबैक सामने आ रहा है, उसके अनुसार सत्ता-संगठन स्तर पर तवज्जो नहीं मिलने से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं में खासी नाराजगी है। पुराने नेता पार्टी में खुद को उपेक्षित अनुभव कर रहे हैं। नाराज होकर घर बैठ गए हैं। संघ का मानना है कि नाराज पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं का आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान घर से बाहर निकालने  के लिए उनकी शिकायतों को दूर करना जरूरी है। विधानसभा चुनाव में अब महज पांच महीने बचे हैं। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को जल्दी ही बतौर सह संगठन महामंत्री दो सहायक मिल सकते हैं।
ये नियुक्तियां क्यों
भाजपा सूत्रों के अनुसार संघ की ओर से प्रदेश में महाकौशल और मध्य भारत के लिए पुन: दो सह संगठन महामंत्री के प्रयोग के अलावा संगठन स्तर पर कसावट के कुछ और सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों का मंतव्य यही है कि भाजपा के पुराने और नाराज नेताओं-कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में जीत के जज्बे के साथ मोर्चे पर तैनात किया जाए। प्रदेश में एक दशक पहले तक संगठन महामंत्री के सहयोगी के तौर पर दो सह संगठन महामंत्री बनाने की परंपरा थी। पूर्व संगठन महामंत्री माखन सिंह के समय अरविंद मेनन और भगवत शरण माथुर के रूप में दो सह संगठन महामंत्री नियुक्ति किए गए थे। इनमें मेनन को महाकौशल और माथुर को मध्य भारत का जिम्मा दिया गया था। हालांकि माखन सिंह के बाद जब अरविंद मेनन को संगठन महामंत्री की कमान सौंपी गई थी,तब भाजपा संगठन द्वारा यह व्यवस्था वापस ले ली गई।
यह प्रयोग पुराना है
भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन में सह संगठन महामंत्री का प्रयोग पुराना है। पार्टी में अरविंद मेनन के बाद जब सुहास भगत को संगठन महामंत्री की कमान सौंपी गई थी, तब संघ प्रचारक अतुल राय को कुछ समय के लिए सह संगठन महामंत्री का दायित्व सौंपा गया था। उस समय अतुल राय को महाकौशल क्षेत्र की जवाबदारी सौंपी गई थी। लेकिन उनका कार्यकाल और यह व्यवस्था ज्यादा दिन नहीं चली और संघ ने अतुल राय की सेवाएं वापस ले लीं। इसके बाद मार्च 2022 में सुहास भगत का कार्यकाल पूरा होने के एक साल पहले ही हितानंद शर्मा की बतौर सह संगठन महामंत्री नियुक्ति की गई थी। लेकिन इसके बाद सुहास भगत की संघ में वापसी हो गई और हितानंद को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

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