वेब सीरीज एवं क्राइम सीरियल बना रहे मानसिक रोगी

मानसिक रोगी
  •  दो साल में 20 से 25 फीसदी बढ़े अपराधिक मामले …
    भोपाल/रवि खरे/ बिच्छू डॉट कॉम । 
    मनोरंजन के नाम पर परोसे जा रहे हिंसक, अश्लील क्राइम सीरियल, वेब सीरीज लोगों को मानसिक रोगी बना रहे हैं।  इस कारण अपराध की घटनाएं बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रहे सीरियल्स के कारण पिछले 2 साल में अपराधिक मामले 20 से 25 फीसदी बढ़े हैं।   दरअसल, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रहे हिंसक एवं अश्लील क्राइम सीरियल, वेब सीरीज को देखकर लोग अब तेजी से किलर स्प्रिट सिंड्रोम का शिकार होते जा रहे हैं। मरी या मारो की ये मानसिकता अब लगभग हर तीसरे क्राइम केस में सामने आ रही है। चिकित्सकीय भाषा में इसे इंफिनीयॉरिटी कॉम्पलेक्स कहते हैं जिसका शिकार होकर व्यक्ति वेबसीरीज या क्राइम सीरियल में अपना किरदार तलाशने लगता है। व्यक्ति अपने दुख-दर्द और परेशानियों के चरम पर पहुंचकर बदला लेने का इरादा कर लेता है। यह बदला दूसरों से या खुद अपने आप से लिया जाता है जो हत्या या आत्महत्या के रूप में सामने आता है। लॉकडाउन के बाद वेब सीरीज एवं क्राइम सीरियल देख कर आत्महत्या या हत्या एवं अन्य प्रकार के अपराध करने वाले मामलों में 20 से 25 फीसदी इजाफा हुआ है। यह आंकड़े पुलिस पूछताछ में सामने आए है।
    ख्याति पाने अपना रहे अपराध की राह
    वेब सीरीज एवं क्राइम सीरियल का असर यह हो रहा है कि युवा ख्याति पाने अपराध की राह अपना रहे हैं। अभी हाल ही में सागर आदिवासी परिवार में रहने वाले लगभग 20 साल के शिव धुर्वे ने मूवी केजीएफ देखी और डॉन बनने का इरादा कर लिया। आधा दर्जन हत्या करने के बाद आरोपी हाल ही में गिरफ्तार हुआ है।  बीटेक की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट निशांक राठौर ने आत्महत्या करने से पहले इंटरनेट पर इस के तौर तरीकों को समझा और मौत को चर्चित बनाने के लिए संदेश वायरल कर दिया। उसके मोबाइल पर इससे जुड़े कई वीडियो लिंक मिले।   कोलार के प्राइवेट कोएड स्कूल में पढ़ने वाले दो भाइयों ने एक नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो बनाकर यौन शोषण किया। बाद में उसे ब्लैकमेल करते हुए पकड़े गए। चर्चित परिवार से ये मामला जुड़ा हुआ था।
    लत लगने के कारण डिप्रेशन में
    जानकारों की राय में ओटीटी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लोग खाली समय में टाइम पास करने के लिए कर रहे थे लेकिन अब इसकी लत पड़ चुकी है और डिप्रेशन महसूस हो रहा है तो इससे दूर रहने  की जरूरत है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई सामाजिक श्रंखला मौजूद हैं। इसके मुकाबले अपराध, भूतिया कहानी एवं अश्लील कंटेंट परोसने वाले वेब सीरीज को अवॉइड करने की जरूरत है। नाबालिग बच्चों को ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई देने वाली वेब सीरीज से बचाने क्योंकि बाल बुद्धि ऐसे दृश्य को देखकर मलत दिशा में आसानी से मुड़ जाती है। इससे बचाव की तरीका है। यदि आपका बच्चा वेब सीरीज या ओटीपी कंटेंट के चक्कर में फंस चुका है तो उसकी काउंसलिंग करने की जरूरत है। माता-पिता परिवार के बीच बैठकर इस मुद्दे पर चर्चा कर नकारात्मक पहलुओं को समझा सकते हैं।
    कई बार हो चुका है हंगामा
    आश्रम की शूटिंग के दौरान समुदाय विशेष के धर्मगुरूओं द्वारा अश्लील दृश्य फिल्माने पर काफी बवाल मचा था। डायरेक्टर प्रकाश झा के मुंह पर कालिख पोती गई थी। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में डायरेक्टर प्रकाश झा एवं फिल्म अभिनेता बॉबी देओल को नसीहत दी थी कि हिंसक एवं अश्लीलता के नाम पर लोगों को गुमराह करने का प्रयास नहीं करें। अभिनेता रजा मुराद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जरूरत से ज्यादा हिंसा एवं अश्लीलता दिखाने के मुद्दे – पर कहा था कि भारतीय सिनेमा में बलात्कार हत्या मारपीट जैसे दृश्य फिल्माते हुए डायरेक्टर सामाजिक जिम्मेदारी के भाव को केंद्र में रखकर शूटिंग करते थे। डीसीपी, साइबर क्राइम अमित सिंह का कहना है कि सोशल मीडिया पर बरती जाने वाली सावधानी एवं बच्चों को इससे बचाने के मुद्दे पर प्रचार कर रहे हैं। अभिभावक एवं नागरिकों की जागरुकता सबसे ज्यादा जरूरी है।

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