अकेले दवाइयां, मेडिकल उपकरण नहीं, महंगाई की मार से भी परेशान है जनता

महंगाई

कोरोना महामारी के बीच पेट्रोल-डीजल और खाद्य सामग्री महंगी होने से बढ़ी लोगों की परेशानी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
 कोरोना की आपदा क्या कम थी जो सरकार ने महंगाई बढ़ाकर जनता के लिए दोहरी मार दी है। कोरोना संक्रमण में दवाईयों की कालाबाजारी ने तो जैसे सरकारी सिस्टम की पोल खोलकर रख दी। इसकी वजह से कई लोगों ने अपने स्वजनों तक को हमेशा के लिए खो दिया। अस्पतालों में मरीजों के साथ अमानवीयता की खबरें भी अखबारों की सुर्खियां बनती रहीं। मरीजों के  लिए दी जाने वाली जीवन रक्षक दवाएं रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब इंजेक्शन,फेबिफ्लू टेबलेट के साथ ही अन्य मेडिकल उपकरणों की जमकर कालाबाजारी चल रही है। इसे लेकर मरीजों के परिजन सिर्फ परेशान ही नहीं हो रहे बल्कि अपने स्वजन की जान बचाने के लिए इन्हें ब्लैक में ऊंचे दामों पर खरीदने को भी मजबूर हैं। यदि ये कहें कि कुछ लोगों ने महामारी की इस आपदा में भी अवसर देखा तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। यही नहीं संकट के दौर में सरकारी तंत्र ने भी आंखें बंद कर रखी हैं और मौत के आंकड़े कम दिखाने में अफसर बाजीगर बनते रहे। दूसरी ओर सरकार ने महंगाई बढ़ाकर जनता को दोहरी मार दी है। पेट्रोल डीजल ही नहीं अब दैनिक उपयोग की वस्तुएं खाद्य तेल से लेकर सब्जी, फल और राशन सामग्री भी महंगी मिल रही है। इन पर अंकुश के लिए कार्यवाही भी बेअसर दिख रही है। एक ओर कोरोना कर्फ्यू की वजह से लोगों के व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं घर से बाहर जाने पर पाबंदी है। वहीं आमदनी का कोई स्रोत भी नहीं है। ऐसे में सरकार का महंगाई पर कंट्रोल न कर पाना जनता के प्रति रबैया ठीक नहीं कहा जा सकता।

मेडिकल उपकरण और मास्क भी हुए महंगे
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच मरीजों से मेडिकल से जुड़ी वस्तुओं और दवाइयों में जमकर पैसा वसूला जा रहा है। जो पल्स आॅक्सीमीटर छह सौ से 12 सौ रुपए में मिलता था अब सीधे तीन हजार तक में मिल रहा है। यही नहीं मौके का फायदा उठाकर कुछ लोग तो चाइना मेड नकली ऑक्सीमीटर भी बेच रहे हैं। जिसकी गलत रीडिंग से कई मरीजों की हालत बिगड़ चुकी है। जो डिजिटल थर्मामीटर सौ से डेढ़ सौ रुपए में मिलता था, अब ढाई सौ से तीन सौ में मिल रहा है। इसी तरह भाप लेने वाले वेपोराइजर की कीमत डेढ़ सौ से बढ़कर तीन सौ रुपए तक पहुंच चुकी है। पांच रुपए में मिलने वाला सर्जिकल मास्क भी दस से बीस रुपये में मिल रहा है। यही नहीं जो एन-95 मास्क 50 से 100 में मिल रहा था अब वह तीन सौ रुपये तक में मिल रहा है।

फल और किराना पर महंगाई की मार
एक तरफ जहां कोरोना से बचाव के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता बताई जा रही है, वहीं पौष्टिक भोजन आमजन की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। किराना फल और सब्जियों की कीमतों में 20 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है। दाल और खाद्य तेलों के महंगी कीमत वसूली जा रही है। जिला प्रशासन ने शहर में लगभग डेढ़ सौ दुकानों को ही सामान घर पहुंचाने की अनुमति है। जो होम डिलीवरी, ट्रांसपोर्ट और अन्य चार्ज भी वसूल रहे हैं। वहीं पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने का भी असर है। यदि वर्तमान किराना सामग्री की कीमतों पर नजर डालें तो जो तुवर दाल 80 रुपए किलो में मिल रही थी अब 140 रुपये में मिल रही है। आटा 35 रुपए से बढ़कर 40 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। सोया तेल 90 रुपए से बढ़कर 155 रुपए, चावल 45 से बढ़कर 55 रुपए, शक्कर 33 से बढ़कर 38 रुपए, वेसन 65 से 85 रुपए में मिल रहा है। वहीं फल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। जो सेव 150 रुपए किलो मिलता रहा अब 250 रुपए में मिल रहा है। अनार 150 से बढ़कर 230 रुपए और बादाम आम 80 से बढ़कर 140 रुपए प्रति किलो की दर पर मिल रहा है।

पेट्रोल डीजल पर नहीं कंट्रोल
प्रदेश में पेट्रोल डीजल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। इस पर सरकार का कोई कंट्रोल दिखाई नहीं दे रहा है। आम जनता परेशान है। पिछले साल जो पेट्रोल 77.56 रुपए लीटर मिल रहा था अब 100.15 पैसे की दर से मिल रहा है। वहीं डीजल के रेट पिछले साल 68.27 प्रति लीटर थे जो अब 91 रुपए प्रति लीटर के रेट से मिल रहा है।

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