कांग्रेस पर मालवा का कब्जा, शेष अंचल उपेक्षित

कांग्रेस
  • दूसरे अंचलों के कार्यकर्ता कर रहे हैं उपेक्षित महसूस

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले अंचलों की संगठन में घोर उपेक्षा की जा रही है। इसकी वजह है पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों पर सिर्फ मालवा के नेताओं की ताजपोशी की जाना है। इसमें खास बात है कि अधिकांश वे नेता इनमें शामिल हैं जो या तो इंदौर के रहने वाले हैं या फिर भले ही दूसरे अंचल से आते हैं, लेकिन उनकी सक्रियता इंदौर में ही बनी रहती है। इसकी वजह से अब तो आम लोगों के अलावा पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मप्र संगठन की तुलना महाराष्ट्र की मुंबई इकाई से तक करने लगे हैं। मौजूदा स्थिति देखें तो कांग्रेस संगठन के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर इंदौर के साथ ही मालवा का कब्जा होने के हालात बन चुके हैं। ऐसे में बुंदेलखंड, विंध्य, भोपाल, निमाड़ अचंल के कार्यकर्ता अपने आपको अब पूरी तरह से उपेक्षित महसूस करने लगे हैं, जिसकी वजह से इन अंचलों में पार्टी अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।  खास बात यह है कि इनमें से कई अंचलो में तो बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले अच्छी खासी बढ़त तक मिली है। यही वजह है कि प्रदेश में कांग्रेस द्वारा जब भी किसी आदोंलन को खड़ा करने के प्रयास किए जाते हैं, तो प्रदेश के दूसरे उपेक्षित अंचलो में वह आंदोलन परवान ही नहीं चढ़ पाते हैं। हालात यह हैं कि अब कांग्रेस के लिए ग्वालियर चंबल अंचल के बाद यह उपेक्षित अंचल भी परेशानी का सबब बन सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस में किस तरह से प्रदेश पदाधिकारियों की तैनाती में क्षेत्रीय संतुलन की स्थिति खराब हो गई है कि पूर्व में जहां मालवा अंचल से आने वाले विपिन वानखेड़े का लगातार नौ साल तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष पद पर कब्जा रहा है। उनके हटने के बाद अब इस पद पर विंध्य से आने वाले मंजुल त्रिपाठी को अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि इसका भी अभी तक व्यापक असर दिखना शुरू नहीं हुआ है। इसी तरह से अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कमान धार से मुजीब कुरैशी के पास रही है, वहीं पूर्व युकां अध्यक्ष भी कालापीपल यानि मालवा से कुणाल चौधरी थे
अब मुंबई की तरह इंदौर प्रदेश कांग्रेस की मांग
जिस तरह से प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी इंदौर और उसके आसपास के इलाके के बनाए गए हैं, उससे अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि इंदौर में भी मुंबई की तर्ज पर इंदौर प्रदेश कांग्रेस का गठन कर देना चाहिए , क्योंकि इस तरह की स्थिति तो बन ही गई है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के समानांतर मुंबई प्रदेश कांग्रेस है। ऐसे में कहा जाने लगा है कि मुंबई की तर्ज पर इंदौर प्रदेश कांग्रेस और मप्र कांग्रेस पार्टी बना दी जाए। इस मामले में कांग्रेस प्रदेश महासचिव एवं मीडिया प्रभारी केके मिश्रा का कहना है कि इंदौर प्रदेश का औद्योगिक और व्यावसायिक दृष्टि से लीड करने वाला महानगर हो चुका है। ऐसे में अगर इसको उचित प्रतिनिधित्व दिया जाता है तो इसमें कोई त्रुटि नहीं है।
इंदौर से यह हैं पदाधिकारी  
अब अगर मौजूदा पदाधिकारियों को देखा जाए तो मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अर्चना जायसवाल हैं। वे इंदौर की रहने वाली हैं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी, प्रदेश अध्यक्ष, मप्र युवक कांग्रेस डॉ. विक्रांत भूरिया, संगठन प्रभारी, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी चंद्रप्रभाष शेखर, प्रदेश अध्यक्ष, अल्पसंख्यक शेख अलीम, प्रदेश महासचिव केके मिश्रा, लक्ष्य गुप्ता, स्टेट कैप्टन बाल कांग्रेस प्रकोष्ठों में इंदौर से तैनाती, नगरीय निकाय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अभय वर्मा,बूथ प्रभारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष स्वप्निल कोठारी,  अजय कोडिया  विश्वविद्यालय के अलावा कांग्रेस के अनुषांगिक संगठनों में सांस्कृतिक, विधि और विकलांग प्रकोष्ठ के भी प्रभारी इंदौर से ही बनाए गए हैं। 

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