- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी ब्याज सहित राशि लौटाने के दिए निर्देश
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रशासन पर लगातार भरी पड़ रहे आकृति बिल्डर पर आखिरकार मप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा)का चाबुक चल ही गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी ब्याज सहित राशि लौटाने के निर्देश दिए हैं। रेरा ने न केवल आकृति एक्वासिटी का पंजीयन रद्द कर दिया है , बल्कि उस पर साढ़े तीन करोड़ का जुमार्ना भी लगाया है। यह जुमार्ना उसकी सहयोगी कंपनी एजी-8 वेंचर लिमिटेड पर लगाया गया है। इसकी वजह है 275 खरीदारों द्वारा इस कंपनी में जमा एडवांस राशि वापस मांगने के बाद भी नहीं लौटाया जाना। इसके साथ ही रेरा ने एजी- 8 वेंचर लिमिटेड, आकृति हाउस, आकृति इको सिटी, ई-8 एक्सटेंशन भोपाल के संचालक राजीव सोनी और हेमंत कुमार सोनी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए हैं। इस संबध में रेरा को लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिनकी जांच कराई गई थीं।
शिकायतों की रेरा ने जब जांच कराई तो पाया गया कि उसे बिल्डर द्वारा पूर्व में दिए गए आकृति एक्वा सिटी प्रोजेक्ट के लिए खरीदारों द्वारा जमा राशि की वापसी और प्रतिकर भुगतान संबंधी 37 आदेशों का तो पालन नहीं किया है। 13 आदेशों का नाम के लिए पालन किया गया है। इसके बाद सांप्रवर्तक को भू-संपदा (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की धारा-4 परियोजना आकृति एक्वासिटी के डेजिगनेटेड खाते में नियमानुसार 70 प्रतिशत राशि जो करीब 77 करोड़ 17 लाख रुपए होती है, जमा न करने के लिए भी दोषी पाया गया है। अब ताजा आदेश में रेरा ने बिल्डर को 31 मार्च 2022 तक राशि जमा कराने के आदेश दिए हैंं। इसके साथ ही कहा गया है कि एजी-8 वेंचर लिमिटेड भोपाल के प्रोजेक्ट आकृति एक्वा सिटी (पी- बीपीएल-17-732) का रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों की जांच तक रद्द रहेगा।
उपभोक्ता आयोग ने भी ब्याज सहित राशि लौटाने के दिए आदेश
उधर, आकृति एक्वा सिटी मामले में एजी 8 वेंचर्स लिमिटेड के खिलाफ एक्वा सिटी कंजूमर एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग नई दिल्ली में दाखिल किए गए केस में भी फैसला आ गया है। आयोग ने इस मामले में आदेशित किया है कि वह 9 प्रतिशत की दर से मुआवजे का भुगतान करें। यदि आदेश के पालन में 2 महीने से अधिक की देरी की तो ब्याज की दर 12 प्रतिशत हो जाएगी। दरअसल एक्वा सिटी कंजूमर एंड वेलफेयर सोसायटी ने शिकायत की थी कि एजी 8 वेंचर्स लिमिटेड की शर्तों के अनुसार रजिस्ट्रेशन एवं बुकिंग राशि का भुगतान करके आकृति एक्वा सिटी में अपने लिए घर बुक किए थे परंतु बिल्डर द्वारा शर्तों का उल्लंघन किया गया। 36 महीने के भीतर प्रॉपर्टी का पजेशन सौंपने का वादा किया था परंतु 2 से 6 साल तक पजेशन नहीं दिया गया। 65 से लेकर 100 प्रतिशत तक भुगतान प्राप्त कर लेने के बावजूद प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य 25 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ था। इस मामले में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग नई के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, डॉक्टर एसएम कांतिकर एवं बिनॉय कुमार आदेशित किया कि दावेदारों को मुआवजे के साथ उनके द्वारा जमा की गई पूरी रकम वापस की जाए। मुआवजे के तौर पर जमा की गई रकम पर 9 प्रतिशत ब्याज का भुगतान किया जाए। यदि बिल्डर आदेश जारी होने के 2 महीने के भीतर भुगतान नहीं करता है तो 9 प्रतिशत ब्याज के स्थान पर 12 प्रतिशत ब्याज की वसूली की जाए।
गौरतलब है कि आकृति बिल्डर ने सुनहरे सपनों को ऐसा जाल बुना जाता है कि आम आदमी अपने घर का सपना सच होने के ख्वाब में ऐसे डूबता है कि अपने जीवन भर की मेहनत की कमाई ही गंवा बैठता है। एक बार पैसा मिला तो आकृति बिल्डर के वह चक्कर लगाने पर मजबूर हो जाता है। ऐसे शहर में सैकड़ों लोग हैं, जो आकृति बिल्डर के जाल में उलझ कर अब अपनी चप्पलें घिसने को मजबूर बने हुए हैं। हालत यह है कि आकृति ग्रुप में मकान, फ्लैट लेने वाला हर व्यक्ति बेहद परेशान है। दरअसल इस बिल्डर द्वारा सैकड़ों लोगों से पैसा तो ले लिया गया है, लेकिन उनके मकान/फ्लैट का काम शुरू करने की जगह उस पैसे का उपयोग अन्य कामों में कर लिया जाता है। इस ग्रुप के चेयरमैन हेमंत कुमार सोनी व डायरेक्टर राजीव सोनी द्वारा किए जाने वाले इस गोरखधंधे का शिकार होने वाले लोग लंबे समय से बेहद परेशान हैं। वजह भी है कि न तो सोनी बंधु प्रशासन को मानते हैं और न ही रेरा के निर्णयों को।