स्टार्टअप का हब बन रहा मध्यप्रदेश

  • प्रदेश में सबसे ज्यादा स्टार्टअप हैं आइटी क्षेत्र के…
  • हरीश फतेहचंदानी
स्टार्टअप

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब से मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू किया है, प्रदेश में स्टार्टअप की बहार आ गई है। पिछले कुछ सालों के दौरान प्रदेश में तेजी से स्टार्टअप बढ़ रहे हैं। इससे मप्र स्टार्टअप का हब बनता जा रहा है। मप्र स्टार्टअप सेंटर के पास हर महीने करीब 100 नए स्टार्टअप पंजीयन के लिए आ रहे हैं। प्रदेश में कुल स्टार्टअप की संख्या 2600 हो गई है। इसमें इंदौर के 978 स्टार्टअप शामिल हैं। यह संख्या दो साल पहले आधी थी। प्रदेश में सबसे ज्यादा आइटी क्षेत्र के स्टार्टअप हैं।
दरअसल, आज मप्र एक ऐसा राज्य बन चुका है, जो काफी तेजी से विकासशील राज्य बनता जा रहा है। प्रदेश में स्टार्टअप की शुरुआत करने के लिए हर छह महीने में 1 हजार करोड़ रुपये तक की फंडिंग मिल रही है। मध्य प्रदेश स्टार्टअप सेंटर भोपाल के एग्जीक्यूटिव हेड अभिषेक बर्दिया का कहना है कि प्रदेश में इस समय 52 इंक्यूबेशन सेंटर कार्य कर रहे हैं। इसमें से 13 इंदौर में हैं। हर छह महीने में 500 से एक हजार करोड़ रुपये की फंडिंग प्रदेश के स्टार्टअप को मिल रही है।
युवाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा
मप्र की स्थापना के 67 साल बाद ही सही प्रदेश का औद्योगिक परिवेश अब लगातार और बेहतर हो रहा है। बेहतरी की इसी कड़ी में नया आयाम है, राज्य सरकार द्वारा राज्य में स्टार्टअप्स के लिए एक जीवंत और अनुकूल इकोसिस्टम विकसित करने की प्रतिबद्धता। पिछले कुछ समय में ही मप्र को युवाओं, निवेशकों और भारत सरकार से लगातार मिले समर्थन से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्टार्टअप गतिविधियों में आशा से अधिक वृद्धि दिखी  है।
प्रदेश में वर्ष 2016 में डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त सिर्फ 7 स्टार्टअप थे, अब डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त लगभग 2584 से अधिक स्टार्टअप प्रदेश में हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इनमें 44 फीसदी से अधिक स्टार्टअप की प्रवर्तक महिलाएं हैं। मप्र के स्टार्टअप्स एरोनॉटिक्स, रक्षा, कृषि,एआई, एनीमेशन, फैशन, फिन-टेक, खाद्य प्र-संस्करण जैसे विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत है। इन स्टार्टअप में शीर्ष 5 क्षेत्र आईटी परामर्श, निर्माण और इंजीनियरिंग, कृषि-तकनीक, खाद्य प्र-संस्करण, व्यवसाय सहायता सेवाएं प्रमुख हैं। प्रदेश के अधिकांश स्टार्टअप ने पिछले 6 वर्षों में धीरे-धीरे आईडीएशन स्टेज से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद आज सफल व्यवसाय स्थापित कर महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की है। प्रदेश का स्टार्टअप ईकोसिस्टम अब मप्र स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के नियमों के तहत काम करने लगा है। पॉलिसी का क्रियान्वयन एमएसएमई विभाग कर रहा है। विभाग अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास के लिए डीपीआईआईटी और स्टार्टअप इंडिया के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डीपीआईआईटी द्वारा जारी राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग के दोनों संस्करण में मप्र अग्रणी रहा है।
यही नहीं राज्य के स्टार्टअप इकोसिस्टम की और भी कई उपलब्धियां रही है। स्टार्टअप से जुड़े सभी हितधारकों जैसे स्टार्टअप, इनक्यूबेटर, सेंटर, निवेशक, स्टार्टअप पार्टनर, राज्य सरकार और एमपी स्टार्टअप सेंटर को स्टार्टअप पोर्टल से जोड़ा गया है। मप्र स्टार्टअप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022 का उद्देश्य स्टार्टअप रैंकिंग में राज्य को अग्रणी बनाना है। इसके लिये योजना में स्टार्टअप्स और इन्क्यूबेटर्स के लिए सिंगल विंडो एजेंसी स्थापित करते हुए एमपी स्टार्टअप सेंटर (एमपीएससी) स्थापित किया गया है। एमपीएससी स्टार्टअप्स को मेंटरशिप प्रदान करता है और मंजूरी पाने और पूंजी जुटाने में भी सहायता करता है। एमपीएससी कई स्त्रोतों से मार्केट इंटेलीजेंस एकत्र कर इकोसिस्टम प्लेयर्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है। मार्केट इंटेलीजेंस का उपयोग सरकार की गतिविधियों के पुनर्मूल्यांकन के लिए किया जाता है, जो राज्य की आगामी नीतियों के लिये उपयोगी साबित होगा।
एग्जीक्यूटिव हेड ने बताया
मध्य प्रदेश स्टार्टअप सेंटर भोपाल के एग्जीक्यूटिव हेड अभिषेक बर्दिया ने बताया है कि, प्रदेश में इस समय 52 इंक्यूबेशन सेंटर कार्य कर रहे हैं। इसमें से 13 इंदौर में हैं। हर छह महीने में 500 से एक हजार करोड़ रुपये की फंडिंग प्रदेश के स्टार्टअप को मिल रही है। निवेशकों को भी सरकार जोड़ रही है ताकि जरूरत पड़ने पर वे फंडिंग कर सके। वहीं, इन्वेस्ट इंदौर के सचिव सावन लढ्ढा का कहना है कि, स्टार्टअप की संख्या में प्रदेश तीसरे स्थान पर है। हर माह प्रदेश में करीब 100 नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। स्टार्टअप पॉलिसी का लाभ मिलने और सही सलाह के कारण असफलता की संख्या घटी है। इंदौर में सुपर कॉरिडोर पर स्टार्टअप के लिए अलग से हब बनने से बाहर के शहरों के भी कई स्टार्टअप इंदौर आने की उम्मीद है।
एंटरप्रेन्योर को दी जाएगी फंडिंग
बताते चलें, सरकार कोशिश कर रही है कि, प्रदेश में साल 2023 में लगभग तीन स्टार्टअप यूनिकॉर्न में जगह बनाएं। स्टार्टअप के लिए बनाए गए फंड के तहत सरकार एंटरप्रेन्योर को फंडिंग देगी। हालांकि, इस फंडिंग के लिए शर्त रखी गई है जो कि, यह है कि, भारत सरकार के स्टार्टअप इंडिया पोर्टल पर रजिस्टर कराने वाले स्टार्टअप को ही प्रदेश में स्टार्टअप के तौर पर देखा जाएगा। सरकार इन स्टार्टअप को गति देने की मुमकिन मदद कर रही है। सरकार ने इन स्टार्टअप के लिए एक फंड बनाया है, इसी से फंडिंग दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने 21 स्टार्टअप को 20 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की है। इस सहायता का उपयोग नए बाजारों में प्रवेश करने, उत्पाद विकास, व्यवसायों को बढ़ाने और कई अन्य मामलों के लिए किया जा रहा है। सहायता न केवल मौद्रिक शर्तों पर बल्कि कंपनी की मार्केटिंग एवं प्रमोशन के लिए भी प्रदान की जाती है। राज्य सरकार 5 भारतीय एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष) में 10 करोड़ रुपये का निवेश करने की भी योजना बना रही है, जो राज्य के स्टार्टअप में कई गुना निवेश करेगा।

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