मध्यप्रदेश में अतिथियों के भरोसे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई

सरकारी स्कूलों
  • प्रदेश के स्कूलों में है 70 हजार शिक्षकों की कमी

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू करके मप्र ने खूब वाहवाही पाई थी। लेकिन अब जब नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है, प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई के लिए पर्याप्त शिक्षक तक नहीं हैं। ऐसे में एक बार फिर से अतिथि शिक्षकों के भरोसे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होगी। गौरतलब है कि प्रदेश में नया शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है। स्कूल शिक्षा विभाग एक बार फिर पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बजाय 70 हजार अतिथि शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई कराएगा। विभाग ने नए सत्र के लिए अतिथि शिक्षकों को पुन: आमंत्रित किया है। इसको लेकर नियुक्ति का इंतजार कर रहे पात्र अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया है।
     21 हजार 77 स्कूलों में एक-एक शिक्षक:  प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न विभागों में पदों के रिक्त होने की बातें अक्सर निकल कर सामने आती हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात शिक्षा विभाग से जुड़ी है। आंकड़ों की माने तो प्रदेश के अंदर सबसे अधिक शिक्षकों की आवश्यकता इस वक्त स्कूलों को है। प्रदेश में 21 हजार 77 स्कूल केवल एक 1 शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। राजधानी भोपाल हो या व्यवसायिक राजधानी इंदौर, बड़े शहरों, छोटे कस्बे हो या ग्रामीण अंचल सभी जगह शिक्षा की यही हालात है। प्रदेश में इस समय करीब 87 हजार 630 शिक्षकों की वर्तमान समय में आवश्यकता है। लेकिन फिर भी योग्य युवा शिक्षक उम्मीदवार सड़कों की धूल छान रहे हैं। बीते 3 सालों में अंदर शिक्षक भर्ती वर्ग 1, 2 और 3 की परीक्षाएं आयोजित हुईं, लेकिन तीनों की तीनों ही परीक्षाएं विवादों के चलते अपने निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाई हैं। वर्ग तीन की परीक्षा का रिजल्ट आना बाकी है, जो कि विवादित है। वहीं वर्ग 1 और 2 में अपेक्षा के अनुरूप भर्ती नहीं की जाने से उम्मीदवार लगातार नाराज हैं। यदि प्रदेश के मिडिल स्कूलों की बात की जाए तो भोपाल राजधानी के अंदर ही लगभग 7 स्कूल ऐसे हैं, जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। वही लगभग 21 हजार 77 स्कूल ऐसे हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे पूरे प्रदेश में चल रहे हैं। चाहे चंबल का इलाका हो या मालवा, निमाड़ के जिले सभी स्थानों पर स्कूलों में शिक्षकों की कमी देखी जा रही है।
    15 हजार शिक्षकों की ही नियुक्ति
     केंद्र की राज्य स्तरीय शिक्षा रिपोर्ट 2021 के अनुसार, वर्तमान में मप्र के स्कूलों में शिक्षकों के 87,630 पदों में से हाल ही में 15 हजार को नियुक्ति दी गई है। करीब 70 हजार से अधिक खाली पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है। ज्ञात हो कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया बीते 4 साल से लंबित है। उच्च एवं माध्यमिक शिक्षकों की पूर्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 में हुई थी। अभी तक स्थाई शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी है। उच्च एवं माध्यमिक शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 15 हजार शिक्षकों को ही नियुक्ति पत्र दिए गए  हैं। शेष पात्र अभ्यर्थी प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। इस बीच अतिथि शिक्षकों की भर्ती शुरू कर दी है । शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने स्कूल शिक्षा विभाग एवं सीएम से अतिथि शिक्षकों की जगह रिक्त पदों पर पदवृद्धि के साथ द्वितीय काउंसलिंग कर स्थाई  शिक्षक भर्ती 2018 को पूर्ण कराने की मांग की है।
    क्यों खाली हैं शिक्षकों के पद
    इसके साथ ही साथ विषय विशेषज्ञों की अनुपलब्धता भी मध्य प्रदेश के शैक्षणिक स्तर को दशार्ने के लिए काफी है। इतनी समस्या होने के बावजूद भी बड़े स्तर पर शिक्षक भर्ती कराकर इस समस्या को दूर करने का प्रयास ना तो शिक्षा विभाग कर रहा है ना ही सरकार इसकी ओर ध्यान दे रही है। शिक्षा मामलों की जानकार डॉक्टर रश्मि गुप्ता और रमाकांत पांडे ने बताया कि मध्य प्रदेश में पिछले 12 साल में दो बार ही शिक्षक भर्ती हुई है। शिक्षाकर्मी अध्यापक संविदा शिक्षक और फिर साथ में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक बनाने की प्रक्रिया चलती रही। उन्होंने बताया कि प्रदेश में शिक्षकों के एडजस्टमेंट और स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों की समीक्षा कर उन्हें स्कूलों में भेजने की प्रक्रिया भी धीमी रही, इस कारण स्कूल में शिक्षकों और विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी बनी रही। शिक्षक पात्रता परीक्षा संघ के प्रदेश संयोजक रंजीत गौर का कहना है कि 4 साल से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। स्कूल शिक्षा विभाग तरह-तरह के बहाने बनाकर प्रक्रिया को अटका रहा है। विभाग पहले पात्र और वेटिंग कैंडिडेट को नियुक्ति दे, इसके बाद अतिथि शिक्षक रखे जाने चाहिए। वहीं आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय अभय वर्मा का कहना है कि शिक्षकों के अधिकांश विज्ञापित पदों पर नियुक्ति दे दी गई है। कुछ मामले कोर्ट के अधीन होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गई। सत्र शुरू हो चुका है, पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए अतिथि शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है।

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