आयातित कोयला पड़ेगा बिजली उपभोक्ताओं को भारी, कटेगी जेब

आयातित कोयला
  • अब राज्य नहीं केन्द्र खरीदी कर करेगा सप्लाई

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी बिजली संयत्रों में कोयला संकट को दूर करने के लिए विदेशों से आने वाले महंगे कोयले की वजह से ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं की जेब कटना तय है। इसकी वजह है बिजली उत्पादन की लागत में वृद्धि होना। इस लागत को निकालने के लिए बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से एक रुपए प्रति यूनिट अधिक राशि वसूलेंगी, जिसकी वजह से उपभोक्ताओं की जेब ढीली होना तय है। दरअसल बिजली कंपनी द्वारा करीब 7.5 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदने के लिए 976 करोड़ रुपए की निविदा जारी की गई थी। 19 मई को खुली निविदा के अनुसार विदेशों से आने वाला कोयला देशी कोयले की तुलना में दस गुना महंगा होगा, जिसकी वजह से वित्तीय बोझ बढ़ना तय है। इसका सीधा असर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उधर, अब इस मामले में केन्द्र ने नया निर्णय लेते हुए राज्यों द्वारा विदेश से कोयला आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया  है। विदेशों से कोयला अब कोल इंडिया खरीदकर राज्यों को देगा। इससे कम रेट में कोयला मिलेगा।
दरअसल मप्र सरकार ने तीन चरणों में करीब तीन हजार करोड़ कीमत के कोयला को आयात करने की योजना बनाई थी, जिस पर अब रोक लग गई है। मप्र में हुए टेंडर में प्रति टन 18 से 20 हजार रुपए का रेट आया था, जो देसी कोयले के मुकाबले 10 गुना तक महंगा था।  यह रेट भी परिवर्तनीय (वेरिएबल) था। खास बात यह है की फर्म ने शर्त रख दी थी कि ट्रांसपोर्टेशन या कोयले के रेट भविष्य में बढ़ते हैं तो वे भी कीमत बढ़ा देंगे। टेंडर से पहले मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी (जैनको) ने अनुमान लगाया था कि 13 हजार रुपए प्रति टन विदेश कोयला मिल जाएगा, लेकिन रेट उससे 5 हजार रुपए ज्यादा ही आए हैं। मप्र कुल खपत का  20 प्रतिशत कोयला खरीदने की तैयारी कर रहा था। पहले फेज में 7.50 लाख टन कोयला 976.45 करोड़ में खरीदा जाना था। दूसरे फेज में भी इतना ही और तीसरे फेज में 5 लाख टन कोयले की खरीदी होती। उधर, इस मामले के विशेषज्ञों का कहना है की विदेशों से आने वाला कोयला न्यूनतम परिवहन समेत 20 हजार रुपए मीट्रिक टन पड़ेगा। इसमें 10 फीसदी सम्मिश्रण पर कोयले की दर 4000 से 6000 हजार रुपए मीट्रिक टन हो जाएगी। तब प्रति यूनिट बिजली की दर एक रुपए तक बढ़ जाएगी। मप्र विद्युत नियामक आयोग के उत्पादन टैरिफ रेग्युलेशन 2020 की कंडिका 4303 के अनुसार मप्र पावर जनरेशन कंपनी को 30 प्रतिशत से अधिक मंहगे कोयले से बिजली उत्पादन के पहले वितरण कंपनियों और होल्डिंग कंपनी से अनुमति लेने का प्रावधान है। पिछले दिनों मंथन 2022 में भी ऊर्जा सचिव संजय दुबे ने चर्चा में माना था कि बिजली के दाम विदेशी कोयला खरीदने से बढ़ेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में मार्च से बिजली की किल्लत बनी हुई। मन पॉवर जनरेटिंग कंपनी 10 से 12 हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति नहीं कर पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कटौती हो रही है। इसका असर किसानों की फसल तक पर पड़ रहा है।
बिजली संकट समाप्त होने पर आ पाएगा कोयला
विदेशों से खरीदे जाने वाला कोयला जब तक आएगा तब तक प्रदेश में बिजली संकट पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। इसकी वजह है विदेश से आने वाले कोयला में अभी तीन से चार महीने लग जाएंगे। उस समय बारिश के अलावा ठंड का मौसम होता है जिसकी वजह से बिजली की डिमांड कम हो जाएगी। ऐसे में बिजली घरों को विदेशी कोयले की जरूरत ही नहीं रहेगी, लेकिन इस खरीदी का असर बिजली उपभोक्ताओं पर जरूर पड़ेगा।
उप्र पहले ही लगा चुका है रोक
दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य उप्र ने पहले ही विदेशी कोयला खरीदने पर रोक लगा दी है। उप्र के नियामक आयोग ने मप्र के भी एक प्लांट एमबी पावर से कहा कि वह उनके हिस्से की बिजली पैदा करने के लिए कोयला न खरीदे। अनूपपुर के एमबी पावर से उप्र सरकार करीब 400 मेगावाट बिजली खरीदती है। मप्र भी इससे 420 मेगावाट बिजली लेता है।
सात दिनों का है कोयला स्टॉक
बिरसिंहपुर पावर प्लांट को छोड़ दें तो बाकी के थर्मल पावर प्लांटों (टीपीएस) के पास सात दिन का कोयला है। यह 3.85 लाख टन है। इस स्थिति को देखते हुए ही निजी क्षेत्रों से कोयले की खरीदी करने की बात हो रही थी। फिलहाल जेनको के एमडी मंजीत सिंह ने कहा कि इस समय जो कोयले का स्टॉक है, वह पहले से ठीक स्थिति में है।
बढ़ेगा बिजली उत्पादन खर्च
महंगा कोयला खरीदी की वजह से बिजली उत्पादन का खर्च बढ़ जाएगा। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के टैरिफ में इजाफा करते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पिछले आठ अप्रैल को टैरिफ आदेश जारी किया है, जिसमें मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के तापगृहों में देश के आंतरिक स्रोतों से पूर्णत: 100 फीसदी प्राप्त कोयले से बनी बिजली का उत्पादन हो रहा है। ताप गृहों में विदेशी कोयले का उपयोग किया जाएगा। इससे बिजली उत्पादन महंगा हो जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले तीन से चार महीने में एक बार फिर बिजली के टैरिफ में बढ़ोतरी हो सकती है।

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