भोपाल में स्थापित की जा रही है हिंदी भाषा प्रयोगशाला

हिंदी
  • जनभाषा बनाने की कवायद…

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राष्ट्रभाषा हिंदी को जनभाषा बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय कुछ प्रयोग करने जा रहा है। विश्वविद्यालय की कोशिश है की हिंदी पूरे देश में एक समान बोली जाए। इसके लिए विश्वविद्यालय में हिंदी को जनभाषा बनाने के लिए हिंदी भाषा प्रयोगशाला की स्थापना की जा रही है। यह देश की अनूठी हिंदी भाषा की प्रयोगशाला होगी, जिसमें शोध के साथ-साथ विद्यार्थी हिंदी में अच्छे से उच्चारण कर सकेंगे। हिंदी विवि के कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया का कहना है कि हिंदी को जनभाषा बनाने के लिए हिंदी भाषा की प्रयोगशाला तैयार की जा रही है। इसमें विद्यार्थियों को उच्चारण से लेकर लिखना और बोलना तक सिखाया जाएगा। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
    जानकारी के अनुसार इस साल के अंत तक यह प्रयोगशाला बनकर तैयार हो जाएगी। इसके लिए एक साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। प्रयोगशाला के लिए हिंदी व्याकरण व उच्चारण से जुड़े वीडियो व आडियो तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही प्रादर्श भी रहेंगे। इन प्रादर्शों की मदद से हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता, उच्चारण की बारीकियों और कई ऐसी बातों की जानकारी दी जाएगी, जो हिंदी माध्यम से पढ़ाई के बावजूद कई बार विद्यार्थियों को पता नहीं होती। इसके अतिरिक्त भारत की 22 भाषाओं के व्याकरण और उच्चारण को देखा व समझा जा सकेगा। साथ ही इन्हें सीखने के साथ शोध किए जा सकेंगे। यहां इन आडियो व वीडियो और प्रादर्श को समझाने के लिए विशेषज्ञ भी रहेंगे, जो शोधार्थियों को भाषा की बारीकियों से अवगत कराएंगे।
    देश में अपनी तरह की अनूठी प्रयोगशाला
    विवि का दावा है कि यह देश में अपनी तरह की अनूठी हिंदी भाषा की प्रयोगशाला होगी। इस हिंदी भाषा प्रयोगशाला के लिए विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद की बैठक में बजट पर भी स्वीकृति मिल गई है। इस प्रयोगशाला के लिए करीब 35 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। विवि में हिंदी प्रयोगशाला तैयार कर विद्यार्थियों को हिंदी का उच्चारण, वर्तनी, व्याकरण सहित अन्य तकनीकी समस्याओं के समाधान की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने के बारे में भी बताया जाएगा। इसमें आडियो व वीडियो के जरिए हिंदी का उच्चारण सिखाया जाएगा। विश्वविद्यालय की ओर से विशेषज्ञों को कई प्रयोगशालों का भ्रमण कराया जा रहा है, ताकि वहां के मॉडल को समझकर यहां तैयार किया जा सके।

Related Articles