सरकारी फाइलें जाम… मंत्रिमंडल का इंतजार

मंत्रिमंडल
  • 75 दिन से सरकारी विभागों में रुकी हुई है काम की गति

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक तरफ नई सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लगातार सक्रिय हैं। वे अफसरों के साथ बैठकें कर योजनाओं और विकास कार्यों को गति देने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकारी कार्यालयों में अधिकारी-कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इस कारण दफ्तरों में सरकारी फाइलें जहां की तहां अटकी हुई है। दरअसल, विभागों और अफसरों को मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार है। यानी अब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही विभागों कें काम गति पकड़ेंगे। वहीं प्रदेश में नए मुख्य सचिव को लेकर भी असमंजस बरकरार है। वीरा राणा मुख्य सचिव बनी रहेंगी या किसी दूसरे अधिकारी को मुख्य सचिव बनाया जाएगा, इसको लेकर मंत्रालय में चर्चा का दौर शुरू हो गया है। मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल वरिष्ठ अधिकारी अपने स्तर पर मुख्य सचिव बनने के लिए प्रयास कर रहे हैं। मंत्रिमंडल के गठन के बाद मुख्य सचिव बदलेंगी या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होने के आसार है।
गौरतलब है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर 9 अक्टूबर को आचार संहिता लग गई थी। करीब 55 दिन प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगी रही, तब मंत्रालय से लेकर प्रदेश भर के अन्य सरकारी दफ्तरों में अधिकारी और कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। आचार संहिता समाप्त होने के बाद अब मंत्रिमंडल के गठन के इंतजार में सरकारी कामकाज की रफ्तार सुस्त पड़ी हुई है।  विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के तीन हफ्ते बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इस कारण प्रदेश में ढाई महीने से प्रशासनिक कामकाज पूरी तरह ठप है। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से ही प्रशासनिक सर्जरी की सुगबुगाहट चल रही है। इस दरमियान कुछ आईएएस अफसरों के तबादले भी किए जा चुके हैं। उप सचिव से लेकर अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकतर अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि आज नहीं, तो कल उनके विभाग में बदलाव होगा, इसलिए वे अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। कई अधिकारी वर्षों से एक ही विभाग में पदस्थ हैं। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद बड़े स्तर पर अधिकारियों के तबादले होंगे। मंत्री भी विभागों में अपनी पसंद के अफसरों की पोस्टिंग कराने का भरसक प्रयास करेंगे। जनवरी-फरवरी में फील्ड में पदस्थ अधिकारियों के भी बड़े स्तर पर तबादले किए जाने की संभावना है।
सरकार के पास दो माह का समय
प्रदेश में नई सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार दो-तीन दिन में हो सकता है। उसके बाद मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होगा। इस कारण माना जा रहा है कि सरकारी दफ्तरों में नए साल में यानी जनवरी में ही काम रफ्तार पकड़ेगा। अधिकारियों का कहना है कि मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। पिछले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता 10 मार्च 2019 को लगी थी। ऐसे में सरकार के पास काम करने के लिए सिर्फ जनवरी और फरवरी का महीना ही है। इन दोनों महीनों में सरकार मिशन मोड में काम करेगी, क्योंकि एक तो उसे पेंडिंग काम निपटाने होंगे, दूसरा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उसे संकल्प पत्र की कुछ घोषणाएं तत्काल पूरी करना होंगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तो लोकसभा चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान और 2700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदी के आदेश सरकार को जल्दी जारी करना होंगे। प्रदेश में धान की खरीदी जारी है, जबकि गेहूं की खरीदी मार्च से शुरू हो जाएगी। संकल्प पत्र की ऐसी अन्य घोषणाओं पर सरकार को तत्काल अमल करना होगा। आचार संहिता लग जाने के बाद सरकार नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेगी। नई घोषणाएं भी नहीं की जा सकेंगी। सिर्फ रुटीन के काम होंगे।

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