- मोहन सरकार चार माह तक लेखानुदान से चलाएगी काम
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नए वित्त वर्ष में इस बार सरकार द्वारा वार्षिक बजट नहीं लाया जाएगा, बल्कि आगामी चार माह के लिए लेखानुदान लाकर काम चलाया जाएगा। इसकी वजह है इस दौरान होने वाले लोकसभा के चुनाव। चुनाव के बाद जुलई में वार्षिक बजट पेश किए जाने की संभावना है। शासन स्तर पर लेखानुदान लाने की तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। दरअसल लेखानुदान लाकर सरकार योजनाओं की गति न केवल जारी रखना चाहती है, बल्कि विकास कार्य के प्रोजेक्ट भी पूरे करना चाहती है। पुनरीक्षित बजट तैयार करने के लिए वित्त विभाग ने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उन्हें जल्द से जल्द वित्तीय बजट साल 2023- 24 में की गई घोषणाओं के मुताबिक खर्च की जानकारी देने को कहा गया है। इसमें यह भी बताना होगा कि किन योजनाओं में कितना पैसा खर्च हो चुका है और कितने की अवश्यकता है। इसकी वजह है सरकार को अपनी नई शुरु की गई योजनाओं के लिए राशि की व्यवस्था करना है। सरकार के सामने इस समय खजाना खाली होने की वजह से लाडली बहना योजना, गेहूं और धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी सहित तमाम योजनाओं के लिए राशि की व्यवस्था करने की चुनौति बनी हुई है। इसी तरह से विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा अपने संकल्प पत्र में किए गए तमाम वादों पर अमल शुरू करने के लिए भी राशि की सरकार को जरूरत है। यही वजह है कि अभी से चार माह के लिए जरुरी राशि के आंकलन का काम शुरु कर दिया गया है। आंकलन के हिसाब से लेखानुदान में राशि का प्रावधान किया जाएगा। जानकारों की माने तो सरकार अगर 100 करोड़ रुपए किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बजट का प्रावधान करती है। अगर वित्तीय स्थिति प्रोजेक्ट के मुताबिक बेहतर नहीं है तो योजना को गति देने के लिए 20 से 30 फीसदी फंड जारी कर विकास कार्य को जारी रखा जा सकता है। ऐसे ही कोई नई स्कीम की शुरूआत लेखानुदान में नहीं होगी, क्योंकि नई योजना के लिए सालाना वित्तीय बजट जरूरी होता है। लोकसभा चुनाव के चलते केंद्र सरकार भी आम बजट पेश नहीं करेगी। हर साल फरवरी महीने में केंद्र सरकार की ओर से बजट जारी किया जाता है। इसके बाद ही राज्य सरकार तय करती है कि योजनाओं में कितना फंड दिया जा सकता है। केंद्र की ओर से मिलने वाली राशि के आधार पर ही राज्य सरकार की प्राथमिकता होती है कि योजनाओं को गति दी जाए। हालांकि लोकसभा चुनाव पूरे होने के बाद मौजूदा सरकार केंद्र का बजट जून-जुलाई माह में पेश कर सकती है। इसके बाद ही मध्य प्रदेश सरकार का सालाना वित्तीय बजट पेश किया जाएगा।
इस तरह की रहेगी प्राथमिकता
वित्त विभाग के अफसरों के मुताबिक लेखानुदान में कर्मचारियों की सैलरी, वेतन वृद्धि और ऑफिस से जुड़े हुए जरुरी खर्चों के लिए प्रावधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में चल रही योजनाओं को भी जारी रखना सरकार के लिए अहम होगा। इसकी वजह से ही संविदा कर्मचारियों की वेतन भत्ते सहित अन्य विकास कार्यों के लिए इसमें राशि का प्रावधान किया जाएगा। माना जा रहा है कि इसकी वजह से करीब तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी लेखानुदान में की जा सकती है। सूत्रों कहना है कि पूर्व में जिन योजनाओं का ऐलान किया था, उनके लिए राशि का प्रावधान वार्षिक बजट में किया जाएगा।
केंद्र से मिले 57 अरब रुपए
केंद्रीय वित मंत्रालय ने प्रदेश को को 57 अरब रुपए से अधिक की अतिरिक्त किस्त जारी कर दी है। यह राशि बीते रोज सीएम मोहन यादव के दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद मोदी से उनकी मुलाकात और विकास कार्यों के लिए तय प्राथमिकताओं पर चर्चा के दौरान जारी की गई है। अधिकारियों ने बताया कि कई राज्यों की अपेक्षा मध्यप्रदेश में जीएसटी कलेक्शन में अच्छी वृद्धि हुई है। यह राशि मिलने से प्रदेश में विकास कार्यों के साथ ही सरकार को गरीब कल्याण योजनाओं को गति मिलेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र में सामाजिक कल्याण उपायों और बुनियादी ढांचे के विकास योजनाओं के वित्त पोषण के लिए यह राशि दी गई है। सरकारी योजनाओं में केंद्र सरकार ने भले ही पहले 10 फीसदी की कटौती कर दी थी , लेकिन इसके एवज में लाभांश में दस फीसदी की वृद्धि कर दी गई है। जिसकी वजह से केन्द्र से मिलने वाले लाभांश की राशि 32 फीसदी की जगह 42 फीसदी हो गया है।