समिति की जांच में पूर्व कुलसचिव दोषी, होगी कार्रवाई

कुलसचिव दोषी
  • राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि में महाघोटाले की खुली पोल …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी में स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में हुए महाघोटाले की पोल खुल गई है। विश्वविद्यालय में 170 करोड़ के घोटाले की जांच के लिए गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व कुलसचिव को दोषी बताया है। अब पूर्व कुलसचिव के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी हो रही है। गौरतलब है की आरजीपीवी में भवन निर्माण कार्य 2008 में शुरू हुआ, जो 2022 तक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इसके चलते कई शिकायतें निर्माण संबंधी कार्यों और पूर्व कुलसचिव के संबंध में राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक की जा चुकी हैं। नतीजा यह निकला कि सभी शिकायतों को लेकर जांच के लिए दल बैठाया गया। जिसमें आरजीपीवी के पूर्व कुलसचिव एसएस कुशवाहा भवन निर्माण व खरीदी में 170 करोड़ रुपये के नियम विरुद्ध भुगतान के मामले में दोषी पाए गए हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को तीन दिन में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।  जानकारी के अनुसार शासन ने अनियमितताओं की विभिन्न शिकायतों को लेकर तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर संचालक राकेश खरे और शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्राध्यापक एके जैन की जांच समिति गठित की गई थी। समिति ने तमाम बिंदुओं पर जांच कर पांच मार्च 2022 को करीब 350 पेज की रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी। रिपोर्ट में कुलसचिव कुशवाहा पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। जिसके आधार पर तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने विभाग को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं। इसके बाद सोमवार को हुई विभागीय बैठक में वि प्रबंधन को कार्रवाई के लिए कहा गया है।
कुशवाहा के पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
आरजीपीवी प्रशासन कुशवाहा पर इस कदर मेहरबान है की उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है। जांच समिति की सिफारिश के तीन माह बाद भी प्रबंधन ने पूर्व कुलसचिव को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के समन्वयक, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वित्तीय अधिकार दे रखे हैं। जिसके तहत वे निर्माण कार्यों की निविदा से लेकर भुगतान तक के सभी दायित्व निभा रहे हैं। साथ ही इसी विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं। गौरतलब है कि कुशवाहा द्वारा संविदा शिक्षकों को 37,500 से 40 हजार रुपये का वेतनमान जनवरी 2020 में किया गया, जबकि कार्यपरिषद की बैठक में इस वेतनमान पर नियुक्ति नहीं करने का निर्णय लिया गया था। वहीं 2016 में सात लाख 56 हजार रुपये का भुगतान टेस्टिंग और कंसलटेंसी के लिए किया गया। एक साल में इतनी अधिक राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है।  लैपटॉप खरीदी में अनियमितता की गई। खरीदी रसीद में मॉडल परिवर्तित हैं। निर्माण कार्यों में नियम के विपरीत भुगतान पाया गया। हालांकि आरजीपीवी के कुलपति डॉ. सुनील गुप्ता का कहना है कि विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य राजधानी परियोजना प्राधिकरण द्वारा किए गए हैं। पीडब्ल्यूडी के माध्यम से भुगतान किया गया है। इसमें पूर्व कुलसचिव एसएस कुशवाहा के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का मामला नहीं बनता है। उनका इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है।

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