- प्राइवेट बैंकों से कर रहे लेनदेन

विनोद उपाध्याय
मप्र उद्यमिता विकास केंद्र राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह केंद्र युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। लेकिन यह केंद्र अपने विवादों के कारण भी हमेशा चर्चा में रहता है। अब इस केंद्र के अधिकारियों का एक नया कारनामा सामने आया है। यहां के अधिकारी राष्ट्रीकृत बैंकों को दरकिनार कर निजी बैंकों को बढ़ावा दे रहे हैं। प्राइवेट बैंकों पर यहां के अफसरों की मेहरबानी किसी की समझ में नहीं आ रही है। गौरतलब है कि सेडमैप हमेशा विवादों में बना रहता है। मप्र के युवाओं में कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मप्र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अंतर्गत गठित उद्यमिता विकास केंद्र (सेडमैप) के अधिकारी इन दिनों एक निजी बैंक पर मेहरबान नजर आ रहे हैं। सेडमैप की ओर से सूचीबद्ध सभी एजेंसियों को निर्देशित किया गया है कि वे आवश्यक रूप से निजी बैंक आईसीआईसीआई में अपना/एजेंसी का खाता खोलें। इस संदर्भ में नोडल अधिकारी (वित्त) सेडमैप प्रमोद श्रीवास्तव का कहना है कि आईसीआईसीआई बैंक में खाता खोले जाने का निर्णय संचालक मंडल का था, जो तत्कालीन ईडी श्रीमती अनुराधा सिंघई के समय में लिया गया था। चूंकि सॉफ्टवेयर विकसित होने में समय लगता है, इसलिए आदेश का पालन देरी से हो पा रहा है।
अनुराधा सिंघई के निर्णयों पर हो रहा काम
उल्लेखनीय है कि सेडमैप विभिन्न इम्पैनल्ड एजेंसियों के माध्यम से युवाओं को उद्यमिता एवं कौशल विकास से जुड़े प्रशिक्षण, परामर्श एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। साथ ही निजी एजेंसियों के माध्यम से ही विभिन्न विभागों को आउटसोर्स कर्मचारी भी उपलब्ध कराता है। निष्कासित एवं पूर्व प्रबंध निदेशक अनुराधा सिंघई की नियुक्ति एवं गड़बड़ियों के उजागर होने से चर्चाओं में रहा सेडमैप एक बार फिर से चर्चाओं में आने की तैयारी में है। क्योंकि सेडमैप के अधिकारियों ने एक बार फिर से उन्हीं निर्णयों पर काम शुरू कर दिया है, जो श्रीमती सिंघई के निजी हितों से जुड़े थे। तत्कालीन प्रबंध निदेशक अनुराधा सिंघई के कार्यकाल में एवं उनके दबाव व प्रभाव के चलते सेडमैप के बोर्ड ने आईटी इनेवल एकाउंटिंग फाईनेशियल मैनेजमेंट सिस्टम एवं ई-गवर्नेस ऑफ सेडमैप सॉफ्टवेयर विकसित करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय में यह भी जोड़ा गया था कि इसके लिए सेडमैप में सूचीबद्ध (इम्पैनल्ड) एजेंसियों को अनिवार्य रूप से आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवाना पड़ेगा। हालांकि श्रीमती सिंघई के निलंबन और बाद में निष्कासन के बाद यह फैसला अटका रहा। लेकिन आठ महीने बाद सेडमैप ने इस प्रस्ताव पर फिर से काम शुरू कर दिया है, साथ ही सभी एजेंसियों को आईसीआईसीआई बैंक में खाता खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
पति को लाभाविंत करने खोला गया था खाता
अनुराधा सिंघई के कार्यकारी निर्देशक रहते सेडमैप के बोर्ड ने सॉफ्टवेयर विकसित करने और सेडमैप सहित नौ सूचीबद्ध एजेंसियों का खाता आईसीआईसीआई बैंक में खुलवाने निर्णय लिया था। श्रीमती सिंघई के पति अभिषेक सिंघई आईसीआईसीआई बैंक के प्रदेश स्तरीय बड़े अधिकारी है। इसलिए उन्होंने अपने दबाव और प्रभाव से बोर्ड में आईसीआईसीआई बैंक में ही एजेंसियों के खाते खुलवाने का निर्णय करवा लिया था। दूसरी बैंकों में खाता होते हुए भी एजेंसियों को आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवाना ही पड़ेगा। उद्यमिता विकास केन्द्र के नोडल अधिकारी (वित्त) के हस्ताक्षर से सभी इम्पैनल्ड एजेंसियों के प्रबंधकों को जारी आदेश में लिखा गया है कि सेडमैप में आईटी इनेवल एकाउंटिंग एण्ड फायनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम एवं ई-गवर्नेस ऑफ सेडमैप के अंतर्गत सॉफ्टवेयर विकास का काम पूर्णता की ओर है। सेडमैप मेनपॉवर प्रभाग के कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आईसीआईसीआई बैंक में खाता खोला गया है।