अमले की कमी से स्वास्थ्य योजनाओं में हो रही औपचारिकता

 स्वास्थ्य योजनाओं

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/ बिच्छू डॉट कॉम। एक ओर जहां मध्य प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जो योजनाएं चल रही हैं वे अमले की कमी की वजह से पूरी नहीं हो पा रही हैं। दरअसल कई ऐसी योजनाएं हैं जिनमें काम करने वाला मैदानी अमला कई जगह या तो है ही नहीं या फिर कम कर दिया गया है और दूसरी ओर नई भर्ती नहीं होने की वजह से इन योजनाओं में सिर्फ औपचारिकता ही पूरी की जा रही है।
यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों वाले कई जिलों में स्वास्थ्य कुपोषण, टीवी, कुष्ठ उन्मूलन, डेंगू, टीकाकरण, एएनसी, मलेरिया की रोकथाम तथा महामंत्री नियंत्रण और परिवार कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाएं प्रभावित हो रहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मचारी संगठनों के मुताबिक विभागों में मैदानी काम करने वाले बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पहले से ही कमी थी वहीं हाल ही में सरकार ने तीन हजार से ज्यादा पद और खत्म कर दिए हैं। इसकी वजह से अब आने वाले दिनों में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ना तय है। हालांकि कर्मचारी संगठन एमपीडब्ल्यू (बहु उद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के पद समाप्त किए जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका खामियाजा जनता को भी भुगतना पड़ेगा।
स्वास्थ्य विभाग में मैदानी पदों पर कमी किए जाने का असर फील्ड में विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा। इसलिए सरकार को पद समाप्त किए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यही नहीं  कर्मचारी संघ के अध्यक्ष का कहना है कि एक तरफ सरकार पद खत्म करती जा रही है, वहीं दूसरी ओर मौजूद हमले की समस्याओं के निराकरण पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पिछले लगभग एक दशक से यह संगठन अपनी मांगों व समस्याओं से निरंतर सरकार को अवगत कराते रहे हैं। बहरहाल इन संगठनों की सुनवाई फिलहाल कहीं होती नजर नहीं आ रही है।
वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते पर रोक से नुकसान
स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों की मानें तो प्रदेश के हजारों एमपीडब्ल्यू को ब्रह्म स्वरूप समिति की अनुशंसाओं का वास्तविक लाभ नहीं मिला है जबकि छठवे वेतनमान के आदेशों में विसंगतियों के चलते उल्टा नुकसान ही हो रहा है।  विभिन्न विभागों में संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के न्यूनतम का 90 प्रतिशत वेतन देने के आदेश पारित हुए लेकिन विभाग के द्वारा अभी तक संज्ञान में नहीं लिया गया है। संगठनों का कहना है कि सरकार ने अपनी आमदनी की सभी रास्ते खोल दिए हैं लेकिन कर्मचारियों की आमदनी बढ़ने के दोनों रास्ते वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ते पर रोक लगा रखी है।
3 हजार से ज्यादा पद किए खत्म
उल्लेखनीय है कि जिस हिसाब से प्रदेश में आबादी बढ़ रही है उसके हिसाब से स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला होना चाहिए। जबकि मैदानी हमला लगातार घटता जा रहा है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने एमपीडब्ल्यू की तीन हजार से भी ज्यादा पद समाप्त कर दिए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य की योजनाओं के क्रियान्वयन पर असर पड़ेगा। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका ज्यादा असर पड़ सकता है।

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