चीता आने की तारीख को लेकर अनिश्चितता के बादल

  •  अफ्रीका अफसरों को  आधिकारिक घोषणा की प्रतीक्षा 

भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आने वाले चीता के लिए पालपुर कुनो श्योपुर में रेड कारपेट बिछा दिया गया है। बताया जा रहा है कि 13 अगस्त को चीता मध्य प्रदेश आएंगे किंतु आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। यानी आने की स्थिति पर धुंध छाई हुई है। भारत में चीतों के पुन: आगमन का नेतृत्व कर रहे प्रीटोरिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एड्रियन टॉड्रिफ का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है और हम एमओयू पर हस्ताक्षर होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो 12 अगस्त तक एमओयू पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने की संभावना है। हस्ताक्षर होते ही चीता भारत के लिए रवाना होंगे। चीता मेटा पापुलेशन प्रोजेक्ट मैनेजर विंसेंट वान डेर मेरवे के अनुसार चीजों को सभी वायरल बीमारियों के  टीका लगाया जा चुका है। उन्हें ट्रेंकुलाइज कर माइक्रोचिप भी लगाया गया है। अभी उनको सतत निगरानी में रखा गया है। डॉक्टर और विशेषज्ञों की टीम उनके साथ होगी। यात्रा के दौरान उन्हें जगाने और शांत रखने के लिए एक हल्का अप्लाई कर भी दिया जाएगा, जिससे चीता का सफर आसान हो जाए। एक महीने तक चीता को बाड़े में रखा जाएगा उनकी विशेष निगरानी की जाएगी।  दक्षिण अफ्रीका से सात नर चीता और 5 मादा चीता भारत भेजा जाना है। इसी प्रकार नामीबिया से भी चार नर और मादा चीता के आने का कार्यक्रम तय है। अभी तक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 12 अगस्त को जोहांसबर्ग के ओआर टैम्बो हवाई अड्डे से उड़ाया जाएगा। 13 अगस्त को भारत पहुंचेगा।भोपाल<गणेश पाण्डेय
दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आने वाले चीता के लिए पालपुर कुनो श्योपुर में रेड कारपेट बिछा दिया गया है। बताया जा रहा है कि 13 अगस्त को चीता मध्य प्रदेश आएंगे किंतु आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। यानी आने की स्थिति पर धुंध छाई हुई है। भारत में चीतों के पुन: आगमन का नेतृत्व कर रहे प्रीटोरिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एड्रियन टॉड्रिफ का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है और हम एमओयू पर हस्ताक्षर होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो 12 अगस्त तक एमओयू पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने की संभावना है। हस्ताक्षर होते ही चीता भारत के लिए रवाना होंगे। चीता मेटा पापुलेशन प्रोजेक्ट मैनेजर विंसेंट वान डेर मेरवे के अनुसार चीजों को सभी वायरल बीमारियों के  टीका लगाया जा चुका है। उन्हें ट्रेंकुलाइज कर माइक्रोचिप भी लगाया गया है। अभी उनको सतत निगरानी में रखा गया है। डॉक्टर और विशेषज्ञों की टीम उनके साथ होगी। यात्रा के दौरान उन्हें जगाने और शांत रखने के लिए एक हल्का अप्लाई कर भी दिया जाएगा, जिससे चीता का सफर आसान हो जाए। एक महीने तक चीता को बाड़े में रखा जाएगा उनकी विशेष निगरानी की जाएगी।  दक्षिण अफ्रीका से सात नर चीता और 5 मादा चीता भारत भेजा जाना है। इसी प्रकार नामीबिया से भी चार नर और मादा चीता के आने का कार्यक्रम तय है। अभी तक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 12 अगस्त को जोहांसबर्ग के ओआर टैम्बो हवाई अड्डे से उड़ाया जाएगा। 13 अगस्त को भारत पहुंचेगा।
तेंदुआ बन सकते हैं सिरदर्द
चीता स्वागत में की गई तैयारियों के साथ पार्क प्रबंधन के लिए तेंदुआ बड़ा सिरदर्द बन गया है। चीता के लिए बनाए गए बाड़े में चार तेंदुआ और उनके शावक ने अपना ठिकाना बना लिया है। तेंदुए को भगाने के लिए पार्क प्रबंधन 3 दिनों से रात दिन मेहनत कर रहा है किंतु अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली। वन्य प्राणी विशेषज्ञों का मानना है कि पालपुर कूनो में तेंदुए की उपस्थिति से चीता के जीवन पर संकट के बादल मंडराते रहेंगे। तेंदुआ चीता का शिकार कर सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि  वन्य प्राणी विशेषज्ञ वाल्मीकि थापर पहले ही तेंदुए और जंगली कुत्तों की उपस्थिति होने से कुनो में चीता के संकट में होने की ओर शासन का ध्यान आकर्षित करा चुके हैं। यानी तेंदुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता शावकों को मारकर जनसंख्या को सीमित कर सकते हैं।

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