निकाय चुनाव… हार की रुबरु देनी होगी कांग्रेस जिलाध्यक्षों को कैफियत

कमलनाथ
  • पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ाने की कवायद  की तैयारी, खामियों व गड़बड़ियों को तलाश कर किया जाएगा ठीक

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश मे भले ही विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल से अधिक का समय है, लेकिन कांग्रेस व भाजपा अभी से चुनावी मोड में नजर आने लगी हैं। यही वजह है कि दोनों ही दलों का इन दिनों अपना-अपना मत प्रतिशत बढ़ाने पर जोर बना हुआ है।  इसी कड़ी में भाजपा के बाद अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ द्वारा पार्टी जिलाध्यक्षों की अगले हफ्ते दो दिन की एक बैठक बुलाई जाने की तैयारी की जा रही है।  इस बैठक में पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में निकाय चुनाव में मिली हार पर संबधित जिलाध्यक्षों से पूरी कैफियत ली जाएगी।
दरअसल अधिकांश जिलाध्यक्षों द्वारा प्रदेश संगठन द्वारा निकाय चुनाव की मांगी गई रिपोर्ट अब तक नहीं भेजी गई है। इस देरी को लेकर कमलनाथ इन जिलाध्यक्षों से बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। दरअसल  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ नगरीय निकाय चुनाव के परिणामों को लेकर बेहद गंभीर बने हुए हैं, लेकिन इस मामले में जिला कांग्रेस कमेटियां उतनी ही लापरवाह बनी हुई हैं। निकाय चुनाव हुए करीब ढाई माह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक अधिकांश जिला कांग्रेस कमेटियों द्वारा इससे संबंधित रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को नहीं भेजी गई है। यह हाल तब बना हुआ है जबकि कई बार प्रदेश कार्यालय द्वारा इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द भेजने के निर्देश दिए जा चुके हैं। अब इस मामले में कमलनाथ की ओर से जिलाध्यक्षों को दो दिन के अंदर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। इसके लिए प्रदेश संगठन द्वारा सभी जिलाध्यक्षों को पहले ही एक प्रोफार्मा भेजा जा चुका है। दरअसल, नगरीय निकाय चुनाव में टिकट वितरण के वक्त कमलनाथ ने सभी नेताओं से कहा था कि जो भी विधायक या पार्टी पदाधिकारी अपने-अपने समर्थक को पार्षद का टिकट दिलाएगा, उसकी ही जिम्मेदारी जीताने की भी होगी।  चुनाव के बाद वे पार्षद प्रत्याशियों की हार-जीत की रिपोर्ट तलब की जाएगी।  इस रिपोर्ट को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के समय भी दावेदारों के सामने रखा जाएगा। इसके बाद भी पार्टी नेताओं ने कमलनाथ की इस चेतावनी को उस समय हल्के में लेते हुए बड़ी संख्या में  अपने समर्थकों को टिकट देने के लिए दबाव बनाकर टिकट दिलवाए। दरअसल वे नहीं जानते थे कि चुनाव के बाद पीसीसी चीफ परिणामों का इतनी बारीकी से विश्लेषण करेंगे। दरअसल पूर्व के प्रदेशाध्यक्षों की तरह कमलनाथ अपने दावे व वादों को भूलते नही है। वे ऐसे नेता हैं, जिनकी गिनती उनमें होती है कि जो कहते हैं वह करते हैं। चुनाव के बाद सभी जिला कांग्रेस कमेटियों को प्रोफार्मा भेजकर 15 सितंबर तक चुनाव परिणाम की जानकारी भेजने को कहा गया था, लेकिन इक्का-दुक्का को छोड़कर किसी भी जिला कांग्रेस कमेटी ने पीसीसी को जानकारी भेजना उचित नहीं समझा। इसके बाद प्रदेश कार्यालय द्वारा सभी जिला कांग्रेस कमेटियों को रिमाइंडर भेजकर सितंबर के अंत तक जानकारी भेजने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद भी इस मामले में जिलाध्यक्षों ने कोई रुचि नहीं ली। इसकी वजह से कमलनाथ इसको लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं, जिसकी वजह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक बार फिर सभी जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारियों को अल्टीमेटम देकर दो दिन के अंदर हर हाल में जानकारी भेजने को कहा है।  
पूछी है हार की वजह
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जिलों को भेजे गए प्रोफार्मा में पूछा गया है कि किस नेता के कहने पर पार्षद का टिकट दिया गया? प्रत्याशी के हारने की वजह क्या रही? क्या प्रत्याशी कमजोर था ? क्या चुनाव में भितरघात की वजह से प्रत्याशी की हार हुई? यदि ऐसा है, तो किसने भितरघात किया? क्या किसी वार्ड में भाजपा नेताओं के दबाव के कारण प्रत्याशी नहीं मिला? भाजपा की तरफ से किस तरह का दबाव बनाया गया ?
दो दिन तक चलेगी बैठक
पीसीसी ने पार्टी के जिलाध्यक्षों से कहा है कि वे चुनाव संबंधी जानकारी भेजने के निर्देशों को गंभीरता से लें। उन्हें 10 या 11 अक्टूबर को निकाय चुनाव के परिणामों को लेकर कमलनाथ के समक्ष प्रेजेंटेशन देना पड़ेगा, इसलिए वे अभी से इसकी तैयारी कर लें। अगर कोई ठीक से प्रेजेंटेशन नहीं दे पाया तो वह मुश्किल में आ सकता है।
इस तरह की है रणनीति:  कांग्रेस ने बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने के लिए अपनी तमाम विंग जिसमें महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, एनएसयूआई तक को सक्रिय किया है। इसके जरिए कांग्रेस अपनी सदस्य संख्या को 10 लाख तक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। महिला कांग्रेस ने हर बूथ पर दो महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।  इसके तहत बूथ स्तर तक महिलाओं को जोड़ा जा रहा है।  प्रदेश भर के कॉलेजों में प्रियदर्शनी अभियान के तहत कॉलेजों में युवतियों को जोड़ने का अभियान शुरू किया गया है।  युवा कांग्रेस की सक्रियता को और बढ़ाया जा रहा है।  इसके जरिए युवाओं को जोड?े की रणनीति बनाई जा रही है।
निकाय चुनाव में भाजपा का बढ़ा मतदान प्रतिशत  
कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के पहले वोटिंग परसेंटेज को 10 फीसदी तक बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40.9 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले थे। इसके बाद से ही भाजपा अपना मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में लगी हुई है।  इसके परिणाम स्वरुप नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को करीब 52 फीसदी मत मिले हैं।  इसको देखते हुए ही कांग्रेस भी इसी तरह के प्रयासों में लग गई है। कांग्रेस की कोशिश भी अगले विधानसभा चुनाव में वोटिंग परसेंटेज को 10 फीसदी तक बढ़ाने की है।
कांग्रेस पार्षदों का सम्मेलन 12 को
कांग्रेस के प्रदेश भर के नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों के पार्षदों का सम्मेलन 12 अक्टूबर को राजधानी में आयोजित किया जाएगा। रवींद्र भवन में होने जा रहे सम्मेलन में नगरीय निकाय चुनाव में हारे पार्षद प्रत्याशियों को भी आमंत्रित किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सम्मेलन को संबोधित करेंगे। यह बैठक विधानसभा चुनाव 2023 में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और मतदाता सूची में गड़बड़िय़ां दूर करने के लिए बुलाई गई है। इसकी वजह से इसे पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।  कांग्रेस चुनाव के पहले मतदाता केन्द्र स्तर पर अभियान चलाएगी और इसके जरिए बूथ स्तर की गड़बडिय़ों को चिन्हित कर उनमें सुधार किया जाएगा। साथ ही बूथ स्तर पर पार्टी को भी मजबूत किया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले भी कांग्रेस ने विधानसभा वार मतदाता सूची का परीक्षण किया था, जिसमें कई नामों को हटाया गया था। दरअसल, कांग्रेस ने पिछले नगरीय निकाय चुनाव से सबक लिया है। नगरीय निकाय चुनाव की समीक्षा के दौरान सामने आया था कि कई बूथों पर कांग्रेस को पोलिंग एजेंट तक की कमी पड़ गई थी। ऐसी स्थिति बड़ी संख्या में बूथों पर मिली है। पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ ये बात खुलकर रखी और इसे आगामी चुनाव के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति बताया। आगामी चुनाव में ऐसी स्थिति न देखना पड़े, इसके लिए कांग्रेस बूथ स्तर तक की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए कांग्रेस ने एक साथ कई रणनीति पर काम करना शुरू किया है।

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