- मप्र में खुशहाली और सुशासन के लिए शिवराज की नीति
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन का मूल मंत्र है सुशासन, अनुशासन और जनता का सम्मान। इसके लिए वे चरैवेति… चरैवेति…चरैवेति में विश्वास करते हैं। सदैव जनहित के नए लक्ष्य तय करते है और पूरी दृढ़ता के साथ फिर आगे बढ़ जाते हैं। वे शासन और प्रशासन के अपने साथियों को भी कहते है नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना, यही तो मंत्र है अपना। इसी मंत्र के आधार पर वे मप्र को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं। इसके लिए वे जहां प्रशासन पर नकेल कसे रहते हैं, वहीं मंत्रियों को सक्रिय रखते हैं। वहीं इन सभी से आगे निकलकर वे अपनी जिद्द, जुनून और परिश्रम से औरों के लिए मील का पत्थर बनते हैं। यानी काम और चुनाव छोटा हो या बड़ा शिवराज उसे चुनौती के रूप में लेते हैं।
शिवराज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे हमेशा मिशन मोड में रहते हैं। शिवराज जैसा जुनून और परिश्रम करने की क्षमता प्रदेश में किसी अन्य नेता की नहीं हैं। जनता के बीच रहना और कार्यकर्ताओं से संवाद करना उनका पैशन है। इसलिए उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। शिवराज सिंह चौहान बतौर मुख्यमंत्री चौथी पारी के ढाई साल पूरे कर चुके हैं और अगले साल विधानसभा के चुनाव होना तय है। चौहान इस अवधि का बेहतर उपयोग कर जनता के बीच सकारात्मक संदेश देने की कोशिश में तेजी से जुटे गए हैं। सीएम शिवराज सक्रियता के मामले में अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के मुकाबले कहीं आगे नजर आते हैं, तो उनके साथ राज्य का भाजपा संगठन भी सातों दिन 24 घंटे काम करता दिखता है।
हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश करते रहते हैं। इस कारण उनकी सक्रियता लगातार बढ़ रही है और हर वर्ग तक पहुंचने के साथ उसे खुश करने के लिए भी सीएम शिवराज कदम उठाते रहते हैं। प्रदेश के 46 नगरीय निकाय चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस जुनून और जज्बे के साथ चुनाव प्रचार किया उसका तोड़ कांग्रेस के पास नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ की सत्ता में वापसी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री एक बड़ी चुनौती की तरह हो रहे हैं। खास बात यह है कि शिवराज सिंह चौहान को प्रवास करना, सभाएं कर जनता के बीच जाना और कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद करना खूब रास आता है। जनता के बीच रहकर वे खुद को सहज पाते हैं। यही वजह है कि भाजपा के पास भी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का विकल्प नहीं है।
शिवराज जैसा कोई नहीं
कांग्रेस के रणनीतिकार भी मानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान में जितनी परिश्रम करने की क्षमता है उतनी किसी और नेता में नहीं है। परिश्रम करने और जनता से संवाद करने के मामले में शिवराज सिंह चौहान के समक्ष मप्र का कोई नेता नहीं टिकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 46 नगरीय निकाय चुनाव को जितनी गंभीरता से लिया।
उतना किसी अन्य मुख्यमंत्री के लिए संभव नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी नगरीय निकाय चुनाव में खुद को झोंक दिया था। चुनाव परिणामों के पहले से ही यह साफ दिख रहा है कि भाजपा इन चुनावों में अच्छे अंतर से जीत दर्ज करने जा रही है। भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव को अपने 2023 के मिशन के लिए अनुकूल अवसर माना है। इसी कारण पार्टी पूरी ताकत के साथ इन चुनावों में उतरी। भाजपा इसलिए भी इन चुनावों में जोर लगाया क्योंकि इन नगर पालिकाओं में आधी आदिवासी क्षेत्र में आती हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा किसी भी स्थिति में आदिवासी मतदाताओं को लुभाने का मौका नहीं छोड़ना चाहते। प्रदेश सरकार युवाओं को लुभाने के लिए बड़ी तादाद में सरकारी भर्तियां निकाली जा रही है।
सत्ता-संगठन का समन्वय अद्भुत
मप्र में सत्ता और संगठन के बीच का समन्वय अद्भुत है। इसकी प्रशंसा केंद्रीय नेतृत्व भी कर चुका है। इसी समन्वय के साथ मिशन 2023 के लिए सत्ता और संगठन ने कई मोर्चों पर काम शुरू कर दिया है। प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद जहां बूथ मैनेजमेंट में लगे हुए हैं ,वही विष्णु दत्त शर्मा नेताओं को एकजुट करने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में अपना ध्यान लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर नौकरशाही पर नकेल कसना प्रारंभ कर दिया है। मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों से भी कहा है कि वे संगठन के कार्यों को गंभीरता से लें। खास तौर पर प्रदेश सरकार ने महिलाओं, युवाओं, दलितों, किसानों और आदिवासियों पर फोकस किया है। मुख्यमंत्री केवल ऐलान ही नहीं कर रहे हैं ,बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनकी सभी घोषणाओं को पूरा किया जाए।
कानून व्यवस्था पर पूरा ध्यान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पूरी कोशिश होती है की कानून-व्यवस्था में चूक न हो। राज्य में कानून व्यवस्था को और सख्त करने के लिए सरकार ने प्रशासनिक मशीनरी में कसावट लाई है, अब तो दुराचार के आरोपियों पर सख्त कार्रवाई हो रही है। वहीं उनके मकानों तक बुलडोजर चलाया जा रहा है ताकि अपराध की फिराक में रहने वालों तक संदेश पहुंचाया जा सके। भाजपा ने मिशन 2023 के तहत सबसे अधिक फोकस आदिवासियों पर ही किया है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में झाबुआ में कड़ी कार्रवाई करते हुए एसपी और कलेक्टर को हटाया। आदिवासी छात्रों से बदतमीजी से बात करने वाले एसपी अरविंद तिवारी को तो निलंबित भी कर दिया गया। जाहिर है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इतनी कड़ी कार्रवाई कर आदिवासी समाज को संदेश दिया है कि सरकार उनके लिए कुछ भी कर सकती है। भाजपा 2018 में मिली पराजय को भूली नहीं है। इस कारण से पार्टी ने आदिवासी समाज के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
समाज की सक्रिय सहभागिता से सुशासन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिशों का ही परिणाम है की आम जनता की सक्रिय सहभागिता से ही मध्यप्रदेश सुशासन के क्षेत्र में देश के सामने उदाहरण बनकर खड़ा हो सका है। आज से 15 वर्ष पहले मध्यप्रदेश जिन क्षेत्रों में बहुत पीछे था और बीमारू राज्य कहलाता था, उन क्षेत्रों में लगातार प्रगति के प्रयास किए गए, जिसका परिणाम यह है कि मध्यप्रदेश पहले विकासशील राज्य बना और अब विकसित प्रदेशों की पंक्ति में खड़ा है। मध्यप्रदेश में जन-भागीदारी से विकास का मॉडल लागू किया गया है। कोविड महामारी के नियंत्रण में इस मॉडल की उपयोगिता सिद्ध हुई।
28/09/2022
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