इकबाल सिंह बैंस के निकट बिल्डर राजेश शर्मा पर धोखाधड़ी का मामला

  • ईओडब्ल्यू ने सनसनीखेज धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने किसान से धोखाधड़ी कर जमीन हड़मने के मामले में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। जांच एजेंसी ने किसान चिंता सिंह मारण निवासी रातीबड़ जिला भोपाल की शिकायत पर मेसर्स ट्राईडेंट मल्टी वेंचर्स के मालिक, फर्म के भागीदारी राजेश शर्मा निवासी कस्तूरबा नगर, राजेश तिवारी खजूरी कलां भोपाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। खास बात यह है कि राजेश शर्मा बिल्डर हैं और पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के करीबी बताए जाते हैं। छह महीने पहले उनके यहां आयकर छापा भी पड़ा था। उन्होंने तालाब किनारे सेंट्रल पार्क कॉलोनी  विकसित की है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में दर्ज प्रकरण के अनुसार राजेश शर्मा ने अपने सहयोगियों और फर्म मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स के माध्यम से किसान चिंता सिंह मारण उर्फ चिंतामन को गुमराह कर उसकी 12.46 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री कम कीमत पर करवा ली। धोखाधड़ी के उद्देश्य से उन्होंने किसान के नाम पर एक नया आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवाया और उसमें अपना मोबाइल नंबर (जो सहयोगी राजेश कुमार तिवारी का था) और ईमेल आईडी दर्ज करवा दी। इस सुनियोजित साजिश के तहत, रजिस्ट्री में 2.86 करोड़ का लेनदेन दर्शाया गया, लेकिन किसान को केवल 81 लाख ही मिले। शेष 2.02 करोड़ की राशि को आरोपियों ने किसान के नए बैंक खाते से धोखाधड़ी से अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। यहां तक कि रजिस्ट्री में भुगतान के लिए दर्शाए गए कुछ चेक भी स्टॉप पेमेंट कर दिए गए। जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू पड़ताल में यह संगठित अपराध पाया गया है। ईओडब्ल्यू ने किसान की शिकायत पर राजेश शर्मा, दीपक तुलसानी (फर्म के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता) और राजेश कुमार तिवारी (तकनीकी सहयोगी) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 सी व 66 डी के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
रसूख के दम पर हड़पी जमीन और पैसा
किसान चिंता सिंह मारण की कृषि भूमि (खसरा नंबर 01, रकबा 12.46 एकड़, ग्राम महुआखेड़ा, भोपाल) उच्च न्यायालय के आदेश से नामांतरण उपरांत उनके नाम दर्ज हुई थी। राजेश शर्मा एवं उनकी पार्टनरशिप फर्म मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स नै धोखाधड़ी से न केवल शिकायतकर्ता से विक्रय पत्र पर हस्ताक्षर कराए, बल्कि विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) में उल्लेखित भुगतान की राशि भी विक्रेता के खाते से धोखा देकर वापस निकाल ली। आरोपी राजेश शर्मा ने स्वयं को प्रभावशाली बताकर नामांतरण संबंधी समस्याएं सुलझाने और भूमि खरीदने का झांसा दिया। आरोपियों ने रजिस्ट्री की प्रक्रिया को अपने घर पर ऑनलाइन कराया।

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