- तीन माह की जगह साल-साल भर में भी पूरे नहीं हो रहे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
आम आदमी तो ठीक प्रदेश की अफसरशाही माननीयों पर भी भारी पड़ रही है। यही वजह है कि विधानसभा में जिन अश्वासनों को पूरा करने के लिए समय सीमा की घोषणा की जाती है, वह अश्वासन तय समय सीमा में पूरे ही नहीं हो पाते हैं।
इसकी वजह से विधायकों को उनके द्वारा किए गए वादे को पूरा होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सामान्य तौर पर आश्वासनों को पूरा करने के लिए तीन माह की समय सीमा तय की जाती है, लेकिन छह माह और एक साल से भी अधिक समय में ये पूरे नहीं हो पा रहे है। विधानसभा सचिवालय आश्वासनों और लंबित याचिकाओं पर कार्यवाही के लिए विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को बार-बार स्मरण कराता रहता है लेकिन विभागीय अमले की सुस्ती के कारण विधायकों को कार्यवाही के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। फरवरी, दिसंबर और जुलाई 2024 के आश्वासन अभी तक पूरे नहीं हुए है। विधायक प्रणय प्रभात पांडे के 18 दिसंबर 2024 के सवाल के जवाब में बहोरीबंद विधानसभा में सिहुडी जलाशय के निर्माण कार्य अनुबंध अनुसार ठेकेदार द्वारा कार्य समय सीमा में पूर्व न करने से ठेकेदार के अनुबंध को विखंडित करने के आश्वासन पर मई में भी कार्यवाही नहीं हो पाई है।
इंजीनियर प्रदीप लारिया के 18 दिसंबर के सवाल पर नरयावली विधानसभा में ग्राम पथरिया हाट की डूब प्रभावित जमीन के अधिग्रहण का आश्वासन दिया गया था पांच महीने से यह शासन स्तर पर परीक्षणाधीन ही चल रहा है। इसी तरह विधायक प्रताप ग्रेवाल, कुंवर सिंह टेकाम, महेन्द्र यादव, हरिशंकर खटीक, मोहन राठौर, ठाकुरदास नागवंशी, प्रदीप अग्रवाल, फुंदेलाल मार्को, प्रदीप लारिया, कैलाश कुशवाहा, प्रियंका पैंची, देवेन्द्र सखवार, बाबू जन्डेल, श्रीकांत चतुर्वेदी, अजय सिंह, अमर सिंह यादव, ओमप्रकाश धुर्वे, प्रहलाद लोधी, आशीष शर्मा, नीलेश उइके, नारायण पट्टा, दिनेश राय मुनमुन, सेना पटेल, विक्रांत भूरिया, विपीन जैन, ठाकुर दास नागवंशी, हीरालाल अलावा, रामकिशोर दोगने, राजेन्द्र मेश्राम, राजेन्द्र भारती, उमादेवी खटीक, चैन सिंह वरकड़े, वीरेन्द्र लोधी सहित कई विधायकों द्वारा आमजन से जुड़े वेतन के अंतर, मुआवजे, जमीन अधिग्रहण, सिंचाई योजनाओं के पूरा होने के मामले उठाए गए और सदन में आश्वासन भी मंत्रियों ने दिए लेकिन अधिकांश मामलों में प्रक्रियाधीन, प्रस्तुतिकरण में, कार्य प्रगतिरत, केन्द्र से मंजूरी लेना जैसी औपचारिकताओं में ये आश्वासन उलझे हुए है और समयसीमा में पूरे नहीं हो पाए है।
अनुशंसाएं भी ठंडे बस्ते में
यही हाल याचिका और अभ्यावेदन समितियों की अनुशंसाओं के है। सुरेन्द्र सिंह गहरवार की याचिका पर सतना के जरदुआ तिघरा और कारीगोही के मध्य गहवर नदी पर बांध निर्माण, फूलसिंह बरैया के मामले में दतिया जिले के ग्राम सेरसा माइनर को पूर्ण कराने, रमेश खटीक के मामले में करेरा की महुअर नदी पर बने नावली डेम से माइक्रो सिंचाई परियोजना में भूमि की सिंचाई का मामला बिसाहूलाल सिंह के द्वारा अनूपपुर की ग्राम पंचायम बम्हनी की कठना नदी पर स्टॉप डेम के निर्माण का मामला हो प्रदेश की आम जनता के लिए ये बड़े काम है, लेकिन विभागों के अफसरों की सुस्ती से ये पूरे नहीं हो पा रहे है।