एक-एक हारी सीट पर मंथन कर जीत की रणनीति बनाएगी भाजपा

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-2018 में हारी 114 सीटों के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने बनाया फार्मूला
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 में 200 सीटों को जीतने का टारगेट लेकर चल रही भाजपा 2018 में हारी 114 विधानसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी के रणनीतिकार एक-एक हारी सीट पर मंथन कर जीत की रणनीति बनाएंगे। इसी सिलसिले में गतदिवस भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश अचानक मालवा अंचल के 3 प्रमुख जिले रतलाम, मंदसौर और नीमच के सभी बड़े नेताओं की बैठक रतलाम में तलब कर ली। तीनों जिलों के कोर ग्रुप की इस बैठक में 5 मंत्री, 3 सांसद और विधायकों के अलावा जिलाध्यक्ष और जिले के प्रभारी शामिल हुए।  रतलाम में साढ़े तीन घंटे चली इस मैराथन बैठक में चिंतन-मंथन का मुद्दा मिशन 2023 ही रहा।  भाजपा सूत्रों का कहना है की पंचायत और निकाय चुनाव के दौरान बगावत के दृश्य और विधानसभा की हारी हुई सीटों को लेकर भाजपाई दिग्गजों की चिंता बढ़ गई है। इसी के तहत शिवप्रकाश ने तीनों जिलों के सभी नेताओं से पंचायत निकाय चुनाव के अनुभव और कमियों पर चर्चा की। ज्यादातर लोगों ने चुनाव में हुई बगावत और अनुशासन का मुद्दा उठाया। मंत्री-विधायकों ने यह भी कहा कि चुनाव लंबे चलने के कारण भी समन्वय में दिक्कत हुई, अधिकृत उम्मीदार के खिलाफ कई बागी मैदान में कूद गए। अनुशासन की अवहेलना भी हुई। सभी सदस्यों के सुझाव और संस्मरण सुनने के बाद शिवप्रकाश बोले कि विधानसभा चुनाव में इन कमियों को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
भाजपा की नजर कांग्रेस की सीटों पर
मध्य प्रदेश में मिशन-2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा ने कांग्रेस के कब्जे वाली 96 विधानसभा सीटों को छीनने के लिए पुख्ता तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी का इन सीटों पर विशेष फोकस रहेगा। सभी सीटों पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। उनकी निगरानी में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं को घेरने की तैयारी की जाएगी। इसके अलावा उन सात सीटों पर भी भाजपा फोकस कर रही है, जिन पर सपा-बसपा और निर्दलीय विधायक चुनाव जीते थे। 230 सीटों वाली मप्र विधानसभा में भाजपा के पास 127 सीटें हैं। वहीं, कांग्रेस के कब्जे में 96 और अन्य के पास सात सीटें हैं। भाजपा इस तैयारी में है कि कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के प्रति नाराजगी का वह फायदा उठा ले। इसी उद्देश्य से भाजपा ने कुल 103 सीटों पर चुनाव तैयारी प्रारंभ कर दी है। इनमें सभी सीटों पर कद्दावर नेताओं को प्रभारी बनाया गया है। इनमें प्रदेश के मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के प्रभारी सबसे पहले पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारण जानेंगे। पार्टी ने सभी प्रभारियों से कहा है कि संबंधित विधानसभा में भाजपा की कमजोरी का अध्ययन करें। कमजोरी को कैसे दूर कर सकते हैं, उस पर सभी मोर्चा-प्रकोष्ठ और संगठन के नेताओं के साथ समन्वय बनाना है। सामाजिक और जातिगत समीकरणों का अध्ययन कर उनके हिसाब से चुनावी जमावट करना। भाजपा कांग्रेस के बड़े नेताओं की 2023 के चुनाव से पहले घेराबंदी करना चाहती है,ताकि उन्हें बाहर प्रचार का मौका न मिल पाए।
बूथों की ग्रेडिंग कर की जाएगी तैयारी
बैठक में बूथ मजबूती, वोट शेयर बढ़ाने से लेकर हर महीने कोर ग्रुप की बैठक बुलाकर आपस में संवाद और संपर्क बढ़ाने की नसीहत भी दी गई। नए लोगों को पार्टी से जोड़ने  के लिए मुहिम चलाने को कहा गया है।  बैठक में कहा गया कि  बीते  विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा वहां मैदानी स्तर पर और मेहनत करें। सीटों के साथ बूथ का ग्रेड ए, बी, सी एवं डी तय करने को भी कहा गया है। अचानक बुलाई गई इस बैठक में सांसद गुमान सिंह डामोर, सुधीर गुप्ता, अनिल फिरोजिया, मंत्रीगण जगदीश देवड़ा, ओम प्रकाश सखलेचा, ओपीएस भदौरिया, हरदीप सिंह डंग और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव भी पहुंच गए थे। इनके अलावा तीनों जिलों के सभी भाजपा विधायक, जिलाध्यक्ष और जिलों के प्रभारियों ने अपने क्षेत्र में निकाय चुनाव का ब्योरा दिया।
दोनों पार्टियां मिशन मोड में
मिशन 2023 को लेकर इन दिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां मिशन मोड में काम कर रही  हैं। भाजपा की कोर कमेटी और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ ही आला नेताओं के बीच हुए मंथन के बाद यह साफ हो गया है की अब पार्टी ने उन 114 सीटों पर विशेष फोकस करने का फैसला किया है, जिन पर पार्टी प्रत्याशियों को 2018 में हार का सामना करना पड़ा था।  गौरतलब है कि पिछले विधानसभा में भाजपा को 109 सीटों पर ही विजय मिली थी। कांग्रेस के खाते में 114 सीटें गई थीं, हालांकि उपचुनाव के बाद तस्वीर बदल गई और भाजपा ने 28 में से 19 सीटें जीत ली थीं। इसके बाद भी पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव को आधार बनाकर इन विधानसभा क्षेत्रों में हार के कारण, कमियों को तलाशने के लिए प्रभारी बनाए हैं।
भाजपा की माइक्रोप्लानिंग
2023 के चुनाव के लिए इस बार प्लानिंग नहीं माइक्रो प्लानिंग हो रही है। 2018 में अपने ओवर कॉन्फिडेंस या कुछ अन्य फेक्टर्स के चलते सत्ता में आने से चूकी भाजपा, इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। चुनाव में भले ही सवा साल बाकी हो लेकिन, भाजपा की रणनीति अभी से बनना शुरू हो चुकी है। तरकश में रखे तीरों से तीन खास निशान भेदने हैं।  मिशन 114 सुनकर आप जरूर सोच सकते हैं कि सत्ता में आने के लिए सिर्फ शतक लगाना काफी नहीं। एक मुतमईन सरकार बनाने के लिए सीटें तो इससे बहुत ज्यादा चाहिए। ताकि पांच साल इत्मीनान से काटे जा सकें। फिर भाजपा की सुई सिर्फ 114 पर ही क्यों अटक गई है, तो बता दें कि ये सौ का आंकड़ा भाजपा के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है और अगर रणनीति कामयाब रही  , तो  भाजपा का ये मिशन 114 अगले चुनाव में  कांग्रेस की सिट्टी-पिट्टी गुम कर देगा। वैसे भाजपा के इस मिशन के आगाज से पहले कांग्रेस नींद से तो जाग चुकी है।

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