मप्र में चुनाव जीतने… कुछ भी करेगी भाजपा

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गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा, कट्टर हिंदुत्व का लंबा चला अभियान और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों के बावजूद कर्नाटक में भाजपा की हार से मप्र में कांग्रेस जिस तरह उत्साहित नजर आ रही है, उससे मप्र भाजपा सतर्क हो गई है। सत्ता और संगठन के नेता किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहते हैं। इसलिए पार्टी ने रणनीति बनाई है कि प्रदेश में हर हाल में चुनाव जीतना है और जीत के लिए पार्टी कुछ भी करेगी। इसके लिए आलाकमान ने मप्र के रणनीतिकारों को गाइडलाइन बनाकर दी है। अब पार्टी उसी आधार पर मप्र में चुनावी रणनीति बनाकर काम करेगी।
गौरतलब है कि भाजपा ने करीब एक साल पहले से ही 51 फीसदी वोट के साथ 200 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन कर्नाटक चुनाव परिणाम और पार्टी में तथाकथित वर्चस्व की जंग के बाद के हालातों को देखते हुए आलाकमान ने नई गाइडलाइन पर काम करने का निर्देश दिया है। विधानसभा चुनाव की रणनीति के तहत दिल्ली से मिली गाइडलाइन पर भाजपा में फिर मंथन शुरू हो गया। बीते रोज प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी के नौ दिग्गज सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय सह- संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा जुटे और ढाई घंटे तक मंथन कर निर्णय लिया कि इस बार वह सभी कदम उठाए जाएंगे, जिससे चुनाव जीता जा सके।
समन्वय व समझाइश के साथ जोड़-तोड़ फार्मूला
प्रदेश भाजपा कार्यालय में ढाई घंटे चली बैठक में दिग्गज नेताओं ने जहां आज से प्रारंभ हुए महा जनसंपर्क अभियान की रूपरेखा पर चर्चा की , वहीं चुनाव जीतने के लिए समन्वय व समझाइश के अलावा जोड़-तोड़ का फार्मूला अपनाने पर मंथन किया । अब भाजपा हर क्षेत्र और क्षत्रप के हिसाब से काम करेगी। अलग- अलग अंचल के हिसाब से रणनीति की बेस लाइन तय की गई। ये भी तय हुआ कि कहां-किन प्रमुख लोगों से संवाद बढ़ाना है। असंतोष वाले नेताओं को साधने व ऐसे लोगों से भी संवाद बढ़ाना है, जो भविष्य में भाजपा से जुड़ सकते हैं। इसके लिए हर नेता अपने क्षेत्र में काम करेगा। दिल्ली में कांग्रेस की हुई बैठक को लेकर भी मंथन हुआ।
योजनाओं का प्रचार और डैमेज कंट्रोल पर फोकस
बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने के साथ ही डैमेज कंट्रोल में जुटेंगे। गौरतलब है कि आज से भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताएंगे। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क करेंगे। दस जून को जब एक करोड़ 20 लाख लाड़ली बहनों के खातों के एक-एक हजार रुपए डाले जाएंगे, तब उत्सव मनाया जाएगा। 30 जून तक जनसंपर्क का महाअभियान चलेगा। इसमें केंद्र से लेकर राज्य के वरिष्ठ नेता भाग लेंगे। महाअभियान को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। बैठक में असंतुष्टों को साधने के साथ कांग्रेस की घेराबंदी को लेकर भी चर्चा की गई।
कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर नजर…
चुनावी साल में भाजपा कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के उन नेताओं पर भी नजर रखे हुए है, जिनका जनाधार मजबूत है। बैठक में इस बात पर भी मंथन किया गया कि अगर संभव हो तो ऐसे नेताओं को पार्टी से जोड़ा जाए। वहीं अपनी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को मनाया जाएगा। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, इनके पहले जोड़-तोड़ की राजनीति तेजी से चलती है। असंतुष्टों पर दलों की नजर रहती है और इन्हें राजनीतिक माहौल बनाने के लिए मौके पर ही सदस्यता दिलाई जाती है। सूत्रों के अनुसार बैठक में वरिष्ठ नेताओं को समन्वय बनाने की जिम्मेदारी भी दी गई। दरअसल, जिलों में असंतोष की बातें लगातार सामने आ रही हैं। सार्वजनिक बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान भी पहुंच रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए वरिष्ठ नेता नाराज कार्यकर्ताओं से संपर्क करेंगे। प्रभारी मंत्रियों को भी इस कार्य में लगाया जाएगा।
दिखी दिग्गजों में एकता
पिछले कुछ दिनों के दौरान मप्र भाजपा में मची तथा-कथित उथल-पुथल के बाद सोमवार को पार्टी के सभी दिग्गज नेताओं में एकता दिखी। पार्टी में उथलपुथल के बाद सिंधिया का यह पहला भोपाल दौरा है। सिंधिया समर्थकों के क्षेत्र में ज्यादा असंतोष का फीडबैक मिला। ऐसे में डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनने में सिंधिया के कोर- एरिया भी अहम रहें। पार्टी समन्वय व प्रवास पर काम करेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार हर व्यक्ति का दिल जीतने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकारी योजनाएं ही नहीं विभिन्न समाजों के कल्याण के लिए कल्याण बोर्ड तक बना रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव सत्ताधारी दल और विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। मतदाताओं की संतुष्टि और नाराजगी नतीजों को प्रभावित करेगा इसे वे बेहतर तरीके से जानते हैं। एक तरफ सत्ताधारी दल भाजपा जहां महिला, किसान युवा से लेकर तमाम समाजों को खुश करने में लगी है तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी सत्ता में आने पर जनता को राहत देने के वादे कर रही है।
कांग्रेस की पचास सीटें आए जाएं तो बड़ी बात
उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रदेश में 150 सीटें आने के दावे पर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में पचास सीटें आ जाएं तो बड़ी बात होगी। उन्होंने पिछले चुनाव में किसानों की ऋण माफी का वादा किया था पर उसका क्या हुआ सबको पता है। राज्य की जनता कांग्रेस के वादे और दावे पर भरोसा नहीं करती है। कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी खींचतान है। दिल्ली में बैठकर मप्र को लेकर बात कर रहे हैं और सपने देख रहे हैं। कांग्रेस के बढ़े मनोबल के बीच, भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते दिनों कहते नजर आए थे, कि ये कर्नाटक-फर्नाटक क्या है? ये मप्र है। यहां हम धूमधाम से जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे। उनके (कांग्रेस) पास क्या है, हमारे पास नरेंद्र मोदी हैं। दिन-रात तपने वाले देवदुर्लभ कार्यकर्ता हैं। कांग्रेस कहीं से भी हमारा मुकाबला नहीं कर सकती। मेरे तरकश में अभी बहुत से तीर हैं।

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