कागजों पर भोपाल को बना दिया ‘स्मार्ट’

स्मार्ट सिटी योजना

– अफसरों की कारस्तानी, सरकार की मंशा पर फेरा पानी
जनता के काम नहीं, कागजी खानपूर्ति में दिखाया कमाल
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना को किस तरफ पलीता लगाया जा रहा है, इसका नजारा भोपाल में देखा जा सकता है। राजधानी में स्मार्ट सिटी का क्षेत्र आज भी खंडहर बना हुआ है। योजनाएं आधी-अधूरी पड़ी हुई हैं, लेकिन करामाती अफसरों ने कागजों पर स्मार्ट सिटी का चकाचक बना दिया है। स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर केंद्र सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भोपाल में टीटी नगर स्मार्ट सिटी एबीडी का काम पूरा हो चुका है। लेकिन हकीकत यह है कि स्मार्ट सिटी योजना भोपालवासियों के लिए अभिशाप बन गई है। आज सात साल बाद भी जमीनी हकीकत बदहाल है।
 सरकार के दावे अनुरूप स्मार्ट सिटी मिशन के परिणाम अभी भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। सात साल पहले स्मार्ट सिटी मिशन लांच करते वक्त लोगों को जीवन स्तर में सुधार लाने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और शहर के समग्र विकास को बढ़ावा देने के जो सपने दिखाए थे वो आधे-अधूरे ही हैं। अफसर जिन योजनाओं को पूरा होना बता रहे हैं उनकी जमीनी हकीकत बेहद जुदा है। कंपनी ने ऐसे कई कार्य करवा लिए हैं जो ड्राफ्ट में शामिल ही नहीं थे। ड्राफ्ट में शामिल कई परियोजनाओं पर काम ही नहीं हुआ है।
ये सपने दिखाए थे
कॉर्पोरेशन ने केंद्र सरकार से दावा किया था कि पांच साल में नॉर्थ और साउथ टीटी नगर की 333 एकड़ जमीन पीपीपी मोड पर विकसित की जाएगी। प्रोजेक्ट और जमीनें बेचकर 6644 करोड़ की आमदनी होगी, जबकि डवलपमेंट कॉस्ट 3444 करोड़ आएगी। टीटी नगर में नॉलेज हब, एजुकेशन हब, एनर्जी हब, हेल्थ हब, इनोवेशन सेंटर सहित रेसीडेंस एवं कमर्शियल कैंपस बनाकर आधुनिक सुविधाएं देने का सपना दिखाया गया था। ठीक सात साल पहले 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री ने स्मार्ट सिटी मिशन की घोषणा की थी। भोपाल उन पहले दस शहरों में शामिल था, जिन्हें स्मार्ट सिटी मिशन के लिए चुना गया। आज भी केंद्र की रैंकिंग में कामकाज के आधार पर भोपाल की रैंकिंग अव्वल शहरों में है। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के स्मार्ट सिटी पोर्टल पर हर शहर के पूरे हो चुके प्रोजेक्ट की लिस्ट दी गई है। भोपाल की इस लिस्ट को देखकर कोई भी चौंक जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल भोपाल ही नहीं, पूरे देश में यही हाल है। दुनिया के बेस्ट लिवेबल सिटी की लिस्ट आई है। इसमें भारत के शहर ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं। होना यह चाहिए कि प्रोफेशनल प्लानर डेवलपमेंट प्लान बनाएं और प्रशासनिक अधिकारी व राजनीतिज्ञ उसे मिलकर लागू करें। लेकिन हमारे यहां इसके उलट होता है। प्लानर्स को कहा जाता है कि ऐसा प्लान बनाकर लाओ। स्मार्ट सिटी मिशन में भी कागज कुछ भी कहें लेकिन सच यही है कि न तो जनता की भागीदारी है, न प्लानर्स को शामिल किया गया है और जो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट दिखाए गए हैं उनके हिसाब से बजट भी नहीं है।
उजाड़ एबीडी को दिखा दिया कंपलीट
स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर केंद्र सरकार की वेबसाइट पर भरोसा किया जाए तो भोपाल में टीटी नगर स्मार्ट सिटी एबीडी का काम पूरा हो चुका है। कोलार डैम से सप्लाई वाले इलाकों में 24 घंटे सातों दिन पानी मिल रहा है। ज्योति टॉकीज से बोर्ड आॅफिस चौराहा पर टेक्टिकल अर्बनिज्म एंड प्लेस मेकिंग का प्रोजेक्ट भी पूरा हो गया है। इन तीनों प्रोजेक्ट की लागत 3093.52 करोड़ रुपए बताई गई है, जबकि जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। एबीडी एरिया उजाड़ है। शहर में पानी सप्लाई का कोई ठिकाना नहीं है और ज्योति टॉकीज पर केवल शेड लगे दिखते हैं। नई कोलार लाइन का काम प्रोजेक्ट अमृत के तहत 130 करोड़ से हुआ है। लेकिन वेबसाइट बताती है कि 100 प्रतिशत घरों में मीटर लगाए जा चुके हैं। स्काडा भी लगाया गया है। जबकि स्काडा का काम शुरू ही नहीं हुआ है। एबीडी डेवलपमेंट की लागत 3000 करोड़ रुपए बताई गई है और इसे भी कम्प्लीटेड प्रोजेक्ट में दिखाया गया है। जबकि यहां केवल एक बुलेवर्ड स्ट्रीट के अलावा कोई भी निर्माण पूरा नहीं हुआ है। हाट बाजार का काम भी अधूरा है।

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