एक योजना, जो बदल रही किसानों की तकदीर

किसानों की तकदीर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के ऐसे सैकड़ों किसान हैं, जिनकी आय में अचानक वृद्धि होना शुरू हो गई है और अब उनकी फसलों से बनने वाले उत्पाद देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान तेजी से बना रहे हैं। यह संभव हो सका है प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना से। यही वजह है कि अब किसान पारंपरिक फसलों की जगह अब नकदी और अच्छी कीमतें देने वाली बागवानी फसलों पर फोकस कर रहे हैं।
दरअसल दो साल पहले तक किसानों द्वारा सोयाबीन, धान और गेहूं जैसी फसलों पर ही फोकस किया जाता था। इसकी जगह अब वे फल, फूलों और सब्जियों की खेती पर फोकस कर रहे हैं। दरअसल सरकार द्वारा प्रदेश में हर जिले के हिसाब से एक जिला, एक उत्पाद योजना लागू की गई है। इसके तहत जिले के एक उत्पाद पर पूरा फोकस करना सरकार ने शुरू किया है। इसी का परिणाम है कि आज उद्यानिकी फसलों को पंख लग गए हैं और इन्हें देश-विदेशों में पहचान मिल रही है। पिछले डेढ़ दशक की बात करें तो उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में करीब 8 गुना तक वृद्धि हुई है। इसकी वजह से इस तरह की फसलों का रकबा बढक़र 6 गुना तक पहुंच चुका है। इस योजना की लोकप्रियता और उससे होने वाले फायदे को देखते हुए अब कई दूसरे प्रदेश भी इस इस योजना को अपने यहां लागू करने की योजना बना रहे हैं।
यह है परिकल्पना
मध्य प्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग ने फसलों के उत्पादन के लिए चर्चित जिलों का श्रेणीकरण किया। जिसके आधार पर उनके उत्पादों को देखते हुए जिलों का नाम दिया गया। जिलों के स्थानीय परिवेश और उद्यानिकी कृषकों द्वारा की जा रही फसलों की खेती को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले के लिये एक उत्पाद का चयन किया गया है। जिसमें अलग-अलग जिलों की फसलें चिन्हित की गई। राज्य सरकार द्वारा चयनित उत्पाद की खेती, भण्डारण, प्र-संस्करण और विपणन के क्षेत्र में कार्य करने में उद्यानिकी कृषकों को मदद दी जा रही है।
उद्यानिकी फसलों में प्रदेश की छलांग  
मध्य प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक के उद्यानिकी फसलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि मध्य प्रदेश का स्थान बहुत नीचे थे। प्रदेश की शिवराज सरकार ने उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार किए, जिसका परिणाम है कि आज फल, सब्जी, फूल आदि के उत्पादन में मध्य प्रदेश पांच राज्यों की सूची में है। मसालों के उत्पादन में तो मप्र एक नंबर पर है। वर्ष 2006 में उद्यानिकी फसलों का कुल रकबा 4 लाख 69 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढक़र 23 लाख 43 हजार हेक्टेयर हो गया। इस अवधि में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन भी 42 लाख 98 हजार मीट्रिक टन से बढक़र अब सात गुना से अधिक 340 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया है। प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित फूलों की खेती जो मात्र 15 हजार 650 हेक्टेयर में होती थी, अब 42 हजार 956 हेक्टेयर में हो रही है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश फूलों के उत्पादन में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बाद देश में चौथे स्थान पर है। देश के फूल उत्पादन में प्रदेश का हिस्सा 10.15 प्रतिशत है।

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