शिंदे धड़े को मान्यता देने का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक: आदित्य ठाकरे

आदित्य ठाकरे

मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता आदित्य ठाकरे ने निर्वाचन आयोग की निंदा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग पूरी तरह से समझौता कर चुका है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे तीर-कमान चुनाव चिह्न आवंटित करने का उसका फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस समय महाराष्ट्र में ‘सीएम’ (मुख्यमंत्री) का मतलब ‘करप्ट मैन’ (भ्रष्ट व्यक्ति) है। उन्होंने कहा कि अवैध और असंवैधानिक मुख्यमंत्री को निश्चित रूप से जाना होगा। आदित्य ठाकरे ने उत्तरी मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे तीर-कमान चुनाव चिह्न आवंटित करने का निर्वाचन आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) को आवंटित मशाल का चिह्न एकमात्र ऐसा प्रकाश है जो विश्वासघात और पीठ में छुरा घोंपने के कारण हुए अंधेरे को मिटाएगा। उन्होंने कहा कि शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायकों ने उस सरकार को गिराने का ‘गंदा काम’ किया जिसने सत्ता में रहते हुए कोविड-19 महामारी से निपटने और चक्रवात एवं बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए अच्छा काम किया था।

पूर्व मंत्री ने कहा, महा विकास अघाड़ी सरकार महाराष्ट्र को सुनहरे दौर में ले जा रही थी। ढाई साल के एमवीए शासन के दौरान 6.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया था और 93 प्रतिशत निवेश प्रस्तावों को लागू किया गया था। ठाकरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सोच रही होगी कि क्या सरकार गिराना सही था या गलत। उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम किसानों को कर्जमाफी देना है।

वर्ली के विधायक ने कहा, महाराष्ट्र को विश्वासघात पसंद नहीं है और यही कारण है कि स्थानीय निकाय चुनाव टाले जा रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब भी मुंबई निकाय चुनाव होंगे, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की जीत होगी। आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिंदे खेमे में शामिल होने वाले 40 विधायकों में से किसी ने भी स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा है कि उन्होंने ऐसा करने के लिए पैसे नहीं लिए हैं। उन्होंने पूछा, जिन 40 विधायकों ने उद्धव ठाकरे को धोखा दिया। वे लोगों और राज्य के प्रति सच्चे कैसे हो सकते हैं?

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