नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को और तीन महीने का समय दे दिया है। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसके लिए मंजूरी दी। इसके बाद कांग्रेस ने इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा है कि इन आरोपों की सच्चाई का पर्दाफाश केवल जेपीसी ही कर सकती है। कांग्रेस ने कहा कि अदाणी मामले की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के पर्यवेक्षण में की जा रही यह जांच केवल प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन तक सीमित है। केवल एक जेपीसी जांच ही पूरी सच्चाई को उजागर कर सकती है। केवल एक जेपीसी ही है जो मोदानी घोटाले के बारे में पूरी सच्चाई को उजागर कर सकती है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सेबी ने छह महीने का विस्तार मांगा था और कहा कि इस मामले की पूरी समीक्षा में 15 महीने लगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का विस्तार दिया है। उन्होंने इस मामले पर एक ट्वीट करते हुए कहा कि केवल एक जेपीसी ही मोदानी घोटाले के बारे में पूरी सच्चाई को उजागर कर सकती है। इस दौरान उन्होंने कई सवाल भी खड़े किए। उन्होंने कहा कि मोदाणी घोटाला एक ‘पॉलिटिकल पब्लिक पार्टनरशिप’ है। जिसकी आड़ में इतने बड़े स्कैम को अंजाम दिया गया है। इसके हर राज को केवल संसद की जेपीसी ही पूरी तरह से सुलझा सकती है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 2 मार्च को यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा अदाणी ग्रुप के खिलाफ शेयर के हेर-फेर के आरोपों की जांच के लिए छह सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था। यह समयसीमा दो मई को खत्म हो गई थी। जिसके बाद सेबी ने जांच के लिए छह माह का और समय मांगा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह तीन महीने का ही अतिरिक्त समय दे सकती है। आज यानी गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष कोर्ट की पीठ ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को अदाणी समूह द्वारा शेयर की कीमतों में हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया है। साथ ही सेबी को एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत की इस बेंच,जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पर्दीवाला भी शामिल हैं, ने यह भी आदेश दिया कि जस्टिस ए एम सप्रे समिति की रिपोर्ट सभी पक्षकारों को उपलब्ध कराई जाए ताकि वे इस मामले में अदालत की सहायता कर सकें। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से डर का माहौल पैदा न करने के लिए कहे जाने के बाद बुधवार को कहा कि सरकार को इस टिप्पणी पर ध्यान देना चाहिए और राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए सरकारी संसाधनों की बर्बादी बंद करनी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि ईडी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट है, यह राजनीतक विरोधियों को खत्म करने का ‘एलीमिनेशन डिमार्टमेंट’ नहीं है। मोदी सरकार को उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों पर ध्यान देना चाहिए और राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने पर सरकारी संसाधनों की बर्बादी बंद करनी चाहिए।
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से प्रवर्तन निदेशालय पर बुरा बर्ताव करने और राज्य में कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जांच एजेंसी से डर का माहौल पैदा न करने को कहा था। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्ला की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी उन्हें तथा उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार करने की धमकी दे रहा है और मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश कर रहा है।