भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य वित्त विकास निगम द्वारा बीते छह सालों में लोन से ज्यादा वसूली छोटे उद्योगों से किए जाने का मामला सामने आया है। दरअसल वित्त विकास निगम ने पिछले छह सालों में 920 करोड़ का लोन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बांटकर उनसे 1764 करोड़ की राशि वसूल की है। वित्त विकास निगम मुख्यरूप से प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, विस्तार व आधुनिकीकरण आदि कार्यों के लिए ब्याज दर पर लोन बांटने का काम करता है। पिछले छह सालों में निगम ने करीब एक हजार से ज्यादा उद्यमियों को लोन देने का काम किया है।
इसमें सिर्फ उद्योग ही नहीं बल्कि होटल, कोल्ड स्टोरेज, निजी अस्पताल एवं मनोरंजन केंद्र की स्थापना आदि शामिल है। उल्लेखनीय है कि वित्त विकास निगम द्वारा नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए अधिकतम पांच करोड़ रुपए का लोन दिया जाता है। इसके अलावा आधुनिकीकरण, छोटे-मोटे कार्यों के लिए एक से पांच करोड़ का लोन देने का कार्य किया जाता है। इसमें खासतौर पर अविकसित औद्योगिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर के बैंकों के सहयोग से लोन वितरण का कार्य किया जाता है। प्रदेश के वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि निगम औद्योगिक क्षेत्र के विकास और नए उद्योगों की स्थापना में मदद कर रहा है। वसूली को लेकर जो बात सामने आई है उसमें पुराने लोन की राशि और ब्याज भी शामिल है, इसलिए लोन से ज्यादा वसूली दिखाई जा रही है।
एमपीएसआईडीसी के लोन में गड़बड़ी
राज्य सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम कैटेगिरी के उद्योगों को ऋण बांटने की जिम्मेदारी वित्त विकास निगम को सौंपी है। जिससे कि इस श्रेणी की ज्यादा से ज्यादा इकाइयां स्थापित हो सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। इसके साथ ही एमपीएसआईडीसी ने भी बड़े उद्योगों को 619 करोड़ का ऋण बांटा है। हालांकि इसमें गड़बड़ियों की वजह से फिलहाल यह मामला कोर्ट में लंबित है।
19/05/2021
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