पार्टी लाइन से अलग नाथ के ममता कार्ड से हाईकमान नाराज

 कांग्रेस

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और पार्टी के कद्दावर नेता कमलनाथ पश्चिम बंगाल में मिली ममता बनर्जी की जीत के बाद से उनके कसीदे पढ़ने में लगे हैं। वे पार्टी लाइन से हटकर अब ममता कार्ड खुलकर खेल रहे हैं। बताया जाता है कि नाथ द्वारा पार्टी लाइन से हटकर खेले जा रहे इस ममता कार्ड से पार्टी हाईकमान नाराज है। फिलहाल पार्टी में कमजोर पकड़ के चलते हाईकमान इस स्थिति में नहीं है कि वह किसी पार्टी के बड़े नेता के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सके। दरअसल चुनाव परिणाम आने के बाद न केवल नाथ ने ममता बनर्जी की जमकर तारीफ की बल्कि उन्हें  देश का बड़ा नेता तक बता दिया। यही नहीं नाथ ने उन्हें मप्र आने तक का न्यौता भी दे दिया। दरअसल इन दिनों कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व के संकट से जूझ रही है।  ऐसे में नाथ द्वारा ममता की सार्वजनिक रुप से जमकर तारीफ करना कुछ और इशारा करता है। हालांकि नाथ ने बतौर सफाई यह भी कहा कि वे उनकी युवक कांग्रेस में साथी रही हैं और वे अभी यूपीए का हिस्सा भी हैं। नाथ द्वारा की गई इस जमकर तारीफ के अब कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ लोग इसके पार्टी हाईकमान को लेकर पार्टी में जारी असंतोष सें जोड़कर भी देख रहे हैं। दरअसल ममता ऐसी नेता बनकर उभरी हैं, जिन्होंने अपनी दम पर न केवल मोदी विरोधी छवि बना ली है बल्कि भाजपा को भी बंगाल में सरकार बनाने से रोकते हुए टीएमसी की तीसरी बार सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। यही वजह है कि मोदी विरोधी सभी राजनैतिक दलों की नजर अब पूरी तरह से ममता बनर्जी पर टिक गई है।
इस मामले में जिस तरह से नाथ द्वारा ममता की तारीफ की गई है, उसे लेकर अब प्रदेश कांग्रेस में मौजूद उनके विरोधी भी हवा देने में सक्रिय हो गए हैं। बतौर नाथ ममता बनर्जी ने उनका मप्र आने का न्यौता स्वीकार कर लिया है। उनका मप्र दौरा किस मायने में होगा तो तय नही है, लेकिन उनकी पार्टी को प्रदेश में कोई वजूद भी नहीं है और उनके द्वारा अपने एक दशक के कार्यकाल में बंगाल से बाहर कोई रुचि नहीं लेने से यह तो तय है कि उनकी रुचि मप्र में भी नही रहेगी। इसकी वजह से माना जा रहा है कि ममता से निकटता की वजह से कांग्रेस में गांधी परिवार के विरोधियों के बीच बढ़ती निकटता के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल कांग्रेस में पहले से ही करीब दो दर्जन बड़े नेता पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी अब तक लंबे समय से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं करा पा रही है। दरअसल ममता भी पुरानी कांग्रेसी नेता हैं। वे उन नेताओं में शामिल है जो हाईकमान की मनमर्जी के चलते पार्टी छोड़कर सत्ता के शिखर तक पहुंची हैं। ऐसे कई कांग्रेस के पुराने नेता हैं जो वर्तमान में अपने -अपने प्रदेशों में सत्ता के शीर्ष पर हैं। यही नहीं जिस तरह से विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने ममता के उस प्रस्ताव को यह कहते हुए ठकरा दिया था कि वे उनके साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगें, बल्कि ममता चाहें तों कांग्रेस में शामिल हो जाएं। इस वजह से ममता व राहुल गांधी के बीच पहले से तल्खी और बढ़ गई थी , लेकिन जिस तरह से नाथ ने उनकी तारीफ की और ममता ने उनका मप्र आने का न्यौता स्वीकार कर लिया है उससे कुछ अलग ही खिचड़ी पकने की संभावना बनती दिख रही है। वैसे भी मप्र वह प्रदेश है जो भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुका है। इस गढ़ को ध्वस्त करने के लिए कांग्रेस को एक ऐसे मजबूत साथी की जरूरत महसूस की जा रही है जो उसे चुनाव में वैशाखी प्रदान कर सके।
यह भी है एक वजह
दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने परदे के पीछे रहकर सरकार को चलाया और जब मौका आया तो नाथ को बहुमत के बारे में अंधेरे में रखे रहे , जिसकी वजह से न केवल नाथ को अचानक मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा बल्कि कांग्रेस की सरकार भी गिर गई । बताया जाता है कि इसके बाद से ही नाथ उनसे नाराज चल रहे हैं। इसके बाद भी पार्टी हाईकमान लगातार सिंह को भरपूर तवज्जो दे रहा है।

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